किलर कोरोना ने अपना कहर इस तरह से बरसाया कि समूचा विश्व इसके आगोश में आ गया। पूरे विश्व मानों ठप सा हो गया हो, जिन्दगी रूक सी गई हो… किलर कोरोना की वजह से पूरे देश में हर कोने में लाकडाउन हो चुका हैं। ऐसे में सभी बाजार माल दुकाने आफिस बन्द पड़े हैं। लेकिन कुछ लोग लोग लाकडाउन का पालन करते हुए अपने घर से ही काम कर रहे हैं। बहुत से ऐसे कम्पनीयों के कर्मचारी हैं जो वर्क फ्राम होम कर रहे हैं। ऐसे में कई मिटीगं भी आन लाईन ही हो रही हैं। जो कि विडीयो कान्फ्रेसिंग कर जरिये की जा रही हैं। इसके लिये ज्यादातर कम्पनियां जूम ऐप का इस्तेमाल कर रही हैं। एक्सपर्ट्स इस ऐप में शुरुआत से ही प्राइवेसी को लेकर दिक्कतों से आगाह कर रहे हैं. अब सरकार ने भी जूम के इस्तेमाल के लिए कुछ गाइडलाइन जारी कर दी हैं.

केंद्र सरकार के साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (CyCord) ने लोगों के लिए जूम के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी जारी की है. ये एडवाइजरी सरकारी ऑफिस और अधिकारियों के आधिकारिक कामकाज के लिए नहीं है.

CyCord ने जूम ऐप को असुरक्षित बताते हुए कहा कि cert-in ने इसके संबंध में 6 फरवरी और 3 मार्च को एडवाइजरी जारी की थी। cert-in साइबर सिक्योरिटी खतरों से निपटने वाली नोडल एजेंसी है।

CyCord की गाइडलाइन:

  1. हर मीटिंग के लिए नया यूजर आईडी और पासवर्ड सेट करें
  2. ‘वेटिंग रूम’ फीचर ऑन करें. इससे मीटिंग में लोग तभी आ पाएंगे, जब होस्ट अनुमति देगा.
  3. ‘ज्वॉइन बिफोर होस्ट’ फीचर ऑफ कर दें. ऐसा करने से कोई भी यूजर होस्ट से पहले मीटिंग में नहीं आ पाएगा.
  4. ‘Screen Sharing by host Only’ फीचर ऑन रखें
  5. ‘Allow removed participants to re-join’ फीचर को बंद कर दें.
  6. अगर जरूरत न हो, तो फाइल ट्रांसफर का ऑप्शन बंद कर दें.
  7. एक बार सभी लोग मीटिंग में आ जाएं, तो मीटिंग को लॉक कर दें.
  8. रिकॉर्डिंग फीचर ऑफ रखें
  9. अगर आप एडमिनिस्ट्रेटर हैं, तो मीटिंग को सिर्फ छोड़े नहीं, उसे बंद करें.

जूम ऐप के ट्रोजन वर्जन

सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम के ऐसे वर्जन का पता लगाया है, जो कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में घर से काम कर रहे लोगों को टारगेट कर रहे हैं. थ्रेट इंटेलिजेंस एजेंसी Bitdefender ने कई ऐसे वर्जन का पता लगाया है, जो असल जूम ऐप जैसे लगते हैं लेकिन वो ट्रोजन सॉफ्टवेयर से प्रभावित हैं.

ट्रोजन सॉफ्टवेयर प्रभावित वर्जन यूजर को असल लग सकते हैं, लेकिन इन्हें डाउनलोड करने पर ये यूजर के सिस्टम में वायरस लोड कर देता है. ये वायरस यूजर का डेटा चुरा और डिलीट कर सकता है

रिसर्चर्स ने पता लगाया कि ट्रोजन वर्जन खुद को असली ऐप जैसा ही दिखता है. इंटरफेस भी एक जैसा है और पैकेज का नाम “us.zoom.videomeetings” भी एक है. इसके अलावा सर्टिफिकेट भी एक जैसे लगते हैं.

 

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