टाटा मोटर्स ने SMS के वैज्ञानिक प्रो.भरतराज सिंह के ‘एयर-ओ-बाइक’
के सिद्धांत को अपनाकर बनाई एयर-पॉड कार

लखनऊ : सभी भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है, जब हम अपने वैदिक काल के ग्रंथों में अंकित गूढ़ तथ्यों के आधार पर पुनः कोई खोज कर जनमानस के हित के लिए उतारते हैं। ऐसा ही एक आविष्कार डा.भरत राज सिंह, महानिदेशक, स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट साइंसेज, लखनऊ ने सन 2005 से 2010 में किया। इस शोध-पत्र को अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ़ फिजिक्स न्यूयार्क ने अपने रिन्यूएबल एनर्जी जोर्नल में काफी छानबीन के साथ दो-वर्षो के उपरान्त विश्व के सभी प्रमुख व अग्रणी समाचार पत्रों के साथ 22 जून 2010 को प्रकाशित किया।

यह गर्व कि बात थी कि उन्होंने दो भारतीय वैज्ञानिकों डा.भरत राज सिंह व डा.ओंकार सिंह का नाम उल्लेखित किया। यह शोध मूल है और अन्वेषण है, जो हवा के दवाव पर आधारित वाहन इंजन को चलाने में सक्षम है। इसकी पूरे विश्व में चर्चा हुई और कहा गया कि यह विद्युत/बैटरी संचालित इंजन से प्रदूषण नियंत्रण में अधिक प्रभावशाली होगा, भले ही इसके बनाए में समय अधिक लगे।

यह भी कहा गया कि यदि इसका उपयोग मात्र दो-पहिया वाहनों पर ही लागू कर दिया जाएगा तो वाहनों से निकालने वाले प्रदूषण में 50-60 फीसदी की कमी लाइ जा सकती है। इसका कोई अपशिष्ट भी बैटरी का जीवन समाप्त होने के उपरान्त जो आयेगा उसकी तरह नहीं निकलेगा।

इस पर तत्समय से निरंतर शोध की कड़ी आगे बढती रही और डा. भरत राज सिंह से कई देशों ने तकनीक को हस्तांतरित करने का प्रयास भी किया, परन्तु उन्होंने यह कहते हुए उन्हें लिखित रूप में मना कर दिया कि मैं एक भारतीय हूं और इस तकनीक को भारतवर्ष में लागू किया जाना उनका सपना है। उनके इस आविष्कार को ‘लिम्का बुक रिकॉर्ड्स, 2014’ में प्रथम आविष्कारक के रूप में स्थान मिला तथा इस तकनीक इंजन जिसका भारतीय पेटेंट विभाग द्वारा भी 13 अप्रैल 2012 को उनके जर्नल में अंकित किया गया।

इस हवा से चलने वाले तकनीक इंजन को एयर-ओ–बाइक नाम देकर इसे मोटर-बाइक पर लगाया है जो एक 30-30 लीटर के दो सिलिंडर के उपयोग से 45 किलोमीटर चलने में सक्षम है और 70-80 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर चल रही है, इसकी लागत लगभग 86,000 रुपये है। इस आविष्कार को राज्यपाल, उत्तर-प्रदेश तथा राष्ट्रपति, भारत वर्ष द्वारा 2013 व 2017 में देखा जा चुका है। इसे जन-मानस के उपयोग में लाने में एक ही कठिनाई डा.भरत राज सिंह को हो रही है कि इसके हलके 5-5 किलोग्राम वजन के दो-सिलिन्डर जो लगाने हैं, वह एल्युमीनियम एलाय के डिजाइन किये गए है जिसकी खर्च की आपूर्ति किसी भी संस्था से अभी तक स्वीकृत नहीं हो पाई है। डा.सिंह ने इसके लिए किसी निजीक्षेत्र के औद्योगिक संस्थाओं को जोड़ने से असहमति जताई है।

डा.सिंह ने खुशी जाहिर की है कि टाटा मोटर्स द्वारा भारतवर्ष में की गई उनकी इस पहल से जो हमारे एयर-ओ-साइकिल सिद्धांत को अपनाकर चार-पहिये वाहन को जनता में उतार रहे हैं, काफी सराहनीय है और उन्हें बधाई व आगे इसमें निरंतर नयापन लाने के लिए शुभकामनाएं देते हैं। इस एयर-पॉड कार का जो सोशल मीडया में दर्शाया जा रहा है, पिछला दो पहिया बड़ा है और अगला दो-पहिया छोटा है, सिलिंडर में 172 लीटर हवा भरने का प्राविधान है, जो एक बार 75 रुपये में भरने के उपरान्त 200 किलोमीटर चलेगी तथा इसकी गति 45 से 75 किलोमीटर अधिकतम होगी। इसमें वाहन चालाक के अलावा दो लोग बैठ सकते हैं। इस कार के लागत की घोषणा अभी नहीं हुई है।

 

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