डा. आशिष तिवारी की कलम से…..

मुम्बई । अब कोई बाॅबी का राजा नही बन सकेगा । अब कोई चाँदनी का रोहित नही बन सकेगा । अब कोई प्रेमरोग का देव नही बन सकेगा। अब कोई सागर का रवि नही बन सकेगा । क्यों कि अब हमारा ऋषि कपूर चला गया है इस दुनिया को हमेशा के लिए छोड़कर ।

ॠषि कपूर फिल्म जगत के ऐसे विरले कलाकार थे जिन्हे फिल्मों के लिए कभी एक्टिंग करनी नही पड़ी । एक्टिंग उनके चेहरे से टपकती थी । एक फ्लाॅलेस एक्टर जिसे जो भी रोल दिया गया वो रोल इतिहास बन गया । रोमांस का बेताज बादशाह जिसने कई पीढ़ियों को रोमान्स करना सिखा दिया । एक्टिंग का पावरहाउस जो स्क्रीन पर सूरज की तरह दमकता था ।

ऋषि कपूर मेरे सबसे पसंदीदा कलाकारों में एक थे । समय समय पर हम उनकी फिल्में देख लिया करते थे । अभी तीन चार दिन पहले ही उनकी फिल्म सागर फिर से देखी और हम फिर उसी दशक में पहुँच गये थे । ऋषि कपूर हमारे जमाने के कलाकार थे और हम उनकी फिल्मों को देखकर बड़े हुए । ऋषि के हिस्से में भारतीय फिल्म जगत के आज तक के सबसे बेहतरीन गाने आये हैं जिन्हे ऋषि ने अपने अभिनय से अविस्मरणीय कर दिया ।

याद है फिल्म ये वादा रहा का वो गाना तू तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा ..का प्रील्यूड बज रहा है और ऋषि अपनी खुली बाँहों को लेकर एक कमरे में एक पिलर के चारो ओर घूम कर नाच रहे हैं सामने पूनम ढिल्लो खड़ी हैं वो जादू वो करिश्मा कोई और पैदा नही कर सकता ।

ऋषि कपूर आप फिल्म जगत के कोहिनूर हो और आपकी फिल्मों की अदाकारी हमारे दिलोदिमाग पर एक नशे की तरह छायी हुयी है । ये नशा इस जीवन में तो कभी कम न होगा । आप बेमिसाल हो और ऐसा बेमिसाल कलाकार अब नही होगा । आप हमारी यादों में सदा महकते रहोगे । आप हमारे होठों पर सदा चहकते रहोगे । आप हमारे हीरो हो आप हमेशा हमारे हीरो रहोगे ।

अलविदा ऋषि । मेरी आत्मिक श्रद्धांजलि ।

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