डा. संजय तिवारी की कलम से

एक नई संक्रामक कोरोना महामारी अर्थात कोविड-19 से संपूर्ण विश्व तीव्रता से प्रभावित हो रहा है। वास्तव में यह संक्रामक महामारी एक वायरस अटैक है। वायरस अर्थात विषाणु जो सामान्य आंखों से नहीं देखे जा सकते इन्हें केवल इलेक्ट्रॉनिक सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है और ये एक दूसरे से संक्रमण कर तीव्रता से केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर निर्मित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं और इनका जीवन चक्र प्रारंभ हो जाता है। इन्हे क्रिस्टल के रूप में भी अधिक समय के लिये एकत्र किया जा सकता है। एक वायरस अर्थत विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी किसी व्यक्ति, जीव अथवा किसी माध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है तब वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन प्रारंभ कर देती है। कोरोनावायरस (Coronavirus) अनेक प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो मनुस्‍यों और अन्‍य जीव जन्‍तुओं में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो जाता है इसमें व्‍यक्‍ति की मृत्यु तक हो सकती है। वर्तमान में बचाव ही इसका इलाज है।
आइए इन्हें हम एक सरल उदाहरण द्वारा समझने का प्रयत्न करते हैं आपने कंप्यूटर वायरस का नाम तो अवश्य सुना होगा। कम्प्यूटर वायरस या कम्प्यूटर विषाणु एक कंप्यूटर प्रोग्राम (computer program) होता है जो अपनी अनुलिपि कर सकता है और उपयोगकर्ता की अनुमति के बिना एक कंप्यूटर को संक्रमित कर सकता है जिसका उपयोगकर्ता को पता भी नहीं चलता। सामान्यतया ये फ्लॉपी, सीडी किसी ड्राइव अथवा इंटरनेट के संपर्क में आने के पश्चात ही कंप्यूटर को प्रभावित करता है। उसी प्रकार कोरोना वायरस अथवा कोई अन्य वायरस किसी संपर्क से आने के पश्चात ही व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।


वर्तमान समय में कोविड-19 अर्थात कोरोना वायरस ने समस्त विश्व में त्राहिमाम मचा रखा है। वास्तव में यह कोई महामारी नहीं है वरन चीन द्वारा किया गया एक वैश्विक युद्ध का अनुप्रयोग है। जिसमें चीन अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल रहा है। वैश्विक महाशक्ति बनने की लालसा ने चीन को इतने निम्न स्तर तक गिरा दिया कि उसने मानवता के पतन की भी कोई चिंता नहीं की। अपने देश की जनहानि और संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई मृत्यु के पश्चात भी वुहान में चीन द्वारा की गई सजावट, आतिशबाजी और उत्सव उसके अमानवीय स्वरूप का प्रतिबिंब है। कोरोना वायरस का सबसे पहला परीक्षण चीन ने अपने हुबेइ प्रांत की राजधानी वुहान में किया था। यहां बिना किसी कारण के अनेक व्यक्तियों को निमोनिया होने लगा और उनकी मृत्यु होने लगी इसके पश्चात ही दिसंबर 2019 में इस वायरस का पता चला और जिस जिस व्यक्ति ने इस महामारी के बारे में कोई बात की अथवा विरोध प्रकट किया तो वह व्यक्ति या तो लापता हो गए या इसी वायरस के संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई यह बताया गया। चीन में इस कोरोना वायरस के बारे में बात करने वाले किसी व्यक्ति, शोधार्थी, डॉक्टर अथवा कोई वैज्ञानिक को अपना लेख प्रकाशित करने अपने विचार रखने अथवा उपचार के उपाय बताने पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके साथ ही साथ जो लेख पूर्व में इंटरनेट में प्रकाशित किए गए हैं उनको हटा दिया गया है और यह भी आदेश चीन सरकार द्वारा किया गया है कि सरकार की अनुमति के पश्चात ही कोई प्रकाशन किया जा सकता है। यह सभी तथ्य चीन के प्रति संपूर्ण विश्व में संदेह की भावना के कारक है। इस परिप्रेक्ष्य में चीन अपने अनुरूप किसी समाचार को प्रकाशित कर उसका विस्तार करता है। चीन के हुबेइ प्रांत के शहर वुहान में वायरस के क्षेत्र में कार्य करने वाली एक बहुत बड़ी लैब है। जिसमें जैविक हथियार के रूप में कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 का निर्माण किया गया। वर्तमान समय में वुहान में इस वायरस पर और भी अधिक शोधकार्य हो रहा है और इसकी संरचना में परिवर्तन कर उसे और अधिक आक्रामक वायरस के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका प्रमाण यह है कि वर्तमान समय में इस वायरस के संक्रमण में अब लक्षण भी उत्पन्न नहीं हो रहे हैं और इससे संक्रमित व्यक्ति शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
वास्तव में चीन के इस जैविक हथियार ने संपूर्ण विश्व को भयक्रांत कर दिया है। इसके संक्रमण हेतु चीन नई-नई युक्तियां भी निकाल रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि “हग अ चायनीज कैम्‍पेन” भी इसका एक कारक हो सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, खिलौनों, मोबाइल फोन के द्वारा भी प्रोग्रामिंग कर किसी भी वायरस के संक्रमण को फैलाया जा सकता है इसके लिए इन उपकरणों में प्रयुक्त डायोड, कंडेनसर रूपी कैप्सूल में संग्रहित इन वायरस क्रिस्टल को प्रोग्रामिंग के द्वारा या रीमोटली अपडेशन अथवा संचालन के द्वारा पंचर कर उस उपकरण को किसी विशेष समय अथवा पूर्व निर्धारित समय में संक्रमित किया जा सकता है और संक्रमित उपकरण का प्रयोग करने वाला व्यक्ति स्वयं संक्रमित होकर अन्य व्यक्तियों तथा अपने परिवार को संक्रमित कर सकता है जिससे कि यह संक्रमण उस क्षेत्र में भयंकर रूप में विस्तारित होकर किसी समाज अथवा राष्ट्र को बड़े पैमाने पर क्षति पहुंचा सकता है। इन संभावनाओं और वायरस की विभीषिका को देखते हुए विश्व में चाइना के प्रति संदेह उत्पन्न हो गया है। वर्तमान समय में चाइना की तुलना में तीव्रता से विश्व की आर्थिक स्थिति निम्न होती जा रही है।


वास्तव में चीन ने इस जैविक हथियार कोरोना अर्थात कोविड-19 का निर्माण अपनी निर्धन जनता और उइगर मुसलमानों को समाप्त करने के लिए किया था परंतु इसकी विभीषिका को देखते हुए उसने प्रयोग के तौर पर संपूर्ण विश्व मैं इसका पूर्व परीक्षण कर दिया अब देखना यह है कि इसके क्या सामाजिक आर्थिक और वैश्विक परिणाम होते हैं। वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व इस महामारी से लड़ रहा है। इस लड़ाई में अनेक राष्ट्रों को चाइना का सहयोग चिकित्सीय उपकरण, दवाई, मास्क इत्यादि के रूप में भी लेना पड़ रहा है। इस व्यापार से चीन को अत्यधिक आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। परंतु आने वाले समय में संपूर्ण विश्व में सामाजिक और आर्थिक संबंधों में तीव्रता से परिवर्तन परिलक्षित होगा। आज विश्व के लगभग सभी देश इस महामारी से लड़ने में लगे हैं इसके पश्चात वे अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए नियंत्रित होंगे; इसके बाद ही विश्व में ऐसा समय आएगा जब सभी प्रभावित राष्ट्र एक होकर मानवता के पतन के कारण को समाप्त करने पर बल देंगे। यह समय तृतीय विश्व युद्ध का होगा। चीन विश्व महाशक्ति के रूप में अपने को प्रतिस्थापित करना चाह रहा है। अपने विस्तार के साथ-साथ उसने बिना लड़ाई किए विश्व को क्षति पहुंचाने का शस्त्र ढूंढ लिया है। अब वह युद्ध के परंपरागत तरीकों को छोड़कर बिना युद्ध किए जी छद्म रूप से किसी राष्ट्र को प्रभावित कर बर्बाद कर सकता है; यह उसे पता है। चीन के इस कृत्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भी संलिप्तता की भी चर्चा है। इसके परिणाम स्वरूप अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को आर्थिक सहायता देना बंद कर दिया है।
यदि आपको पता चले कि आपका मोबाइल जो किसी विशेष देश में निर्मित है उसे दूर से नियंत्रित कर उसमें अंदर लगा एक कैप्सूल के प्रकार का डायोड या कंडेनसर को पंचर कर संक्रमण फैलाया जा सकता है तो क्या आप उस मोबाइल को लेना पसंद करेंगे ? इसी प्रकार इन देशों में निर्मित अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, खिलौनों या अन्य वस्तुओं का प्रयोग क्‍या आपके द्वारा किया जाएगा ? यह एक विचारणीय प्रश्न है।
आज विश्व में भी इस तथ्य से चिंतित होते हुए अपनी अधिकांश बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां, प्रतिष्ठान चाइना से अन्य मित्र देशों अथवा अपने देश में स्थानांतरित करने के आदेश निर्गत कर दिए हैं। एक तरफ तो इन आदेशों से चाइना की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुयी है किंतु आने वाले समय में यदि समस्त राष्ट्र सचेत होते हुए एक हो गए तो चीन अपने इस नकारात्मक उद्देश्य में सफल नहीं हो पाएगा और अपनी करनी के फल के परिणाम स्वरूप उसका पतन हो जाएगा।

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