प्रकृति के साथ जिस तरह से खेलवाड़ किया जा रहा हैं और कोरोना काल में जिस तरह से लोगों ने कोरोना कोरोना कह कर जिस तरह से मजाक बना रखा हैं। उसे ही कवित्री स्निग्धा बनर्जी ने अपने कविता के माध्यम से बड़े ही मार्मिक ढ़ंग से दर्शाया हैं।
प्रकृति के साथ जिस तरह से खेलवाड़ किया जा रहा हैं और कोरोना काल में जिस तरह से लोगों ने कोरोना कोरोना कह कर जिस तरह से मजाक बना रखा हैं। उसे ही कवित्री स्निग्धा बनर्जी ने अपने कविता के माध्यम से बड़े ही मार्मिक ढ़ंग से दर्शाया हैं।