- संस्कृत के अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड ऐम्बैसडर आज़ाद की ऐतिहासिक उपलब्धि
- देवभाषा संस्कृत एवं सनातन धर्म के उन्नयन,संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक योगदान
मुम्बई से अमित मिश्रा
आषाढ़ शुक्ल एकादशी को धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज द्वारा स्थापित दुर्गाकुंड- काशी, वाराणसी स्थित धर्म -संघ – शिक्षा मंडलम ने देवभाषा संस्कृत एवं सनातन धर्म के उन्नयन,संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक योगदान के लिए संस्कृत महानायक मेगास्टार आज़ाद को ‘महर्षि’ की सनातन उपाधि से विभूषित किया। आज़ाद विश्व के एकमात्र ऐसे कलाकार-फ़िल्मकार हैं जिन्हें सनातन धर्म एवं संस्कृति द्वारा महर्षि के अलंकरण से अलंकृत किया गया है।
संस्कृत के अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड ऐम्बैसडर एवं संस्कृत महानायक मेगास्टार आज़ाद ने सनातन धर्म एवं संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाकर भारत की दैवी संस्कृति से आधुनिक विश्व को अवगत कराया।संस्कृत के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मेगास्टार आज़ाद ने विश्व इतिहास की पहली मुख्यधारा संस्कृत फ़िल्म अहं ब्रह्मास्मि का सृजन कर विश्व को चमत्कृत कर दिया है।
देवभाषा संस्कृत जो कि न्यस्त स्वार्थ और हज़ार सालों की राजनैतिक और आत्मिक ग़ुलामी के कारण आज विस्मृत और कर्म-कांड की भाषा मात्र बनकर रह गई थी,उसे मेगास्टार आज़ाद जैसे सनातनी एवं क्रांतिकारी प्रतिभा ने पुनर्जीवित कर जन-जन की आशा की भाषा में परिवर्तित कर दिया।
डॉक्टर बालकृष्णा शिवराम मूँजे द्वारा स्थापित भोंसला सैन्य विद्यालय के यशस्वी छात्र आज़ाद डॉक्टर बालकृष्णा शिवराम मूँजे को अपना वैचारिक गुरु मानते हैं।प्रखर राष्ट्रवाद और भारतीय दैवी संस्कृति के प्रखर अग्निधर्मा क्रांतिदूत मेगास्टार आज़ाद ने सर्वदा एक उद्धारक और उन्नायक की भूमिका में ही अपनी कला-साधना की है। राजनारायण दुबे, हिमांशु रॉय और देविका रानी द्वारा स्थापित भारतीय सिनमा के आधार स्तम्भ बॉम्बे टॉकीज़ के पुनरुद्धार के साथ ही मेगास्टार आज़ाद ने महान क्रांतिकारी चंद्रशेखरआज़ाद को इतिहास के अंधेरे से निकालकर फ़िल्म राष्ट्रपुत्र के माध्यम से पूरी गरिमा के साथ वैश्विक दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। चंद्रशेखर आज़ाद के विचारों का,उनके जीवन और दर्शन का तब विश्व दर्शकों के सामने महाविस्फोट हुआ जब आज़ाद द्वारा लिखित-निर्देशित और अभिनीत फ़िल्म राष्ट्रपुत्र का फ़्रान्स में आयोजित विश्व प्रसिद्ध ७२ वें कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में ऐतिहासिक प्रदर्शन हुआ।
मेगास्टार आज़ाद ने भारत के पुराने गौरव और गरिमा को अपनी कालजयी फ़िल्म ‘अहं ब्रह्मास्मि’ के ज़रिए आज की वैश्विक पीढ़ी तक न सिर्फ़ सफलता पूर्वक पहुँचाया है बल्कि नई पीढ़ी के अंदर भारत दैवी संस्कृति का संचार भी किया है।
ज्ञातव्य है कि संस्कृत के अन्तर्राष्ट्रीय ब्रांड ऐम्बैसडर और संस्कृत महानायक मेगास्टार आज़ाद द्वारा सृजित राष्ट्रपुत्र और अहम ब्रह्मास्मि का निर्माण बॉम्बे टॉकीज़ के सहयोग से सनातनी राष्ट्रवादी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे ने किया है।
मेगास्टार आज़ाद साहित्य,कला और संस्कृति के बहु आयामी हस्ताक्षर हैं। भारत को पुन: विश्वगुरु बनाने की दिशा में आज़ाद मन -वचन और कर्म से संग्लग्न हैं।भारत की आध्यात्मिक सम्पदा उनकी पूँजी है। संस्कृत के साथ ही संस्कृत से उत्पन्न सभी भारतीय भाषाओं के वैश्विक प्रचार-प्रसार,संरक्षण,उन्नयन और प्रोत्साहन के लिए मेगास्टार आज़ाद कृत संकल्प हैं।मेगास्टार आज़ाद ने अपनी कला-साधना की परिधि में संस्कृत के साथ ही विश्व की प्राचीनतम भाषाओं को भी सम्मिलित किया है। मेगास्टार आज़ाद की तमिल और लैटिन फ़िल्में भी कोरोना-काल के बाद प्रदर्शन हेतु तैयार हैं।
आज़ाद की प्रतिभा-कला अपने ऋषि-पूर्वजों की तरह देश और काल से परे है।विश्व विख्यात महान नाटककार शेक्सपीयर को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से उन्होंने अपनी इंग्लिश फ़िल्म ‘द ग्रेट पेट्रीयट’ का सृजन किया।
अभी हाल ही में अपने इंग्लैंड प्रवास के दौरान मेगास्टार आज़ाद शेक्सपीयर के घर भी गए जहाँ कभी शेक्सपीयर रहा करते थे। शेक्सपीयर के घर के सामने ही आज़ाद ने शेक्सपीयर की अमर कृति ‘हेमलेट’ का पाठ किया।
अपनी सनातनता से आज़ाद का सम्बंध इतना गहरा है कि आज़ाद शारीरिक रूप से विश्व के किसी भी कोने में रहें,लेकिन उनका मन सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता में ही रमता है। अपने इंग्लैंड प्रवास के दौरान गलियों और चौराहों पर रखे बैंड के साथ आज़ाद हनुमान चालीसा और दुर्गा सप्तशती गाते हुए दिखे।
आज़ाद की कला-यात्रा बाबा विश्वनाथ की नगरी भारत की आध्यात्मिक राजधानी काशी से शुरू हुई है जो गंगा से टेम्स, ूमिसिसिपी , आमेज़न और नील नदी से होती हुई वोल्गा तक जारी रहेगी। विश्व -परिक्रमा के साथ आज़ाद की कला यात्रा वसुधैव कूटुम्बकम की भावना को साकार करेगी।
कला – साधक और संस्कृतिदूत की भूमिका के अतिरिक्त भी आज़ाद कई अन्य भूमिकाओं में भी अपनी सार्थकता सिद्ध कर रहे हैं। आयुर्वेद को दैवी जीवन विज्ञान के रूप में विश्व में प्रतिष्ठित करने के अभियान में मेगास्टार आज़ाद अपने तन-मन-धन के साथ अपनी अग्रणी भूमिका में हैं।पूरे विश्व को आयुर्वेद के वरदान से लाभान्वित करने के उद्देश्य से सनातनी महिला निर्मात्री कामिनी दुबे ने ‘माँ आयुर्वेद’ की स्थापना की है और मेगास्टार आज़ाद का आयुर्वेद का ज्ञान,आयुर्वेद के प्रति श्रद्धा-संकल्प और निष्ठा को देखते हुए उन्हें आयुर्वेद का वैश्विक ब्रांड ऐम्बैसडर नियुक्त किया है। महर्षि आज़ाद अब आयुर्वेद को घर-घर की उपलब्धि बनाएँगे।
मेगास्टार आज़ाद अब महर्षि आज़ाद की सनातन भूमिका में हैं।अब महर्षि व्यास,महर्षि वाल्मीकि, महर्षि चरक, महर्षि सुश्रुत से लेकर महर्षि योगी अरविंद तक की सनातन संस्कृति,धर्म-कर्म-योग की परम्परा का उत्तरदायित्व अमृत-कलश के रूप में आज़ाद के कंधे पर है।विश्व मानवता को सनातन सभ्यता-संस्कृति से और समृद्ध करने के इस महत कार्य में महर्षि आज़ाद का महायज्ञ पूर्णत: सफल हो रहा है।
आज़ाद की ओर से प्रो. ब्रजभूषण ओझा ( अध्यक्ष व्याकरण विभाग ) सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ने महर्षि की उपाधि का सम्मान ग्रहण किया।