डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

 

आज सुबह से ही मन में ये उथल पुथल थी कि आखिर अपने बाल्यकाल , शैशव , युवावस्था, प्रौढ़ावस्था को पार कार चुके गणतंत्र के 72 वे दिवस पर खड़े होकर भी मुझे उसका सही अर्थ क्यों नहीं पता है | क्या आज भी दुनिया के सबसे अंधे यही पर रहते है क्यों दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब यही पर है क्यों ज्यादातर के पास आवास नहीं है ? क्यों सबसे ज्यादा कोढ़ी यही पर है ? क्यों सबसे ज्यादा ह्रदय रोगी यही पर है ? सबसे ज्यादा बेरोजगार और सबसेज्यादा भूखे यही पर है और जब हम इतने जगहों पर पहले नंबर है तो गणतंत्र का अर्थ क्या है ? क्यों जिसे देखिये वो तिरंगा लेकर नाच रहा है ?? अचानक मन के एक कोने ने आज तिरंगा अपने नजरिये से देखा और मैं ख़ुशी से नाच उठा ये सोच कर कि आज तक देश को तिरंगे का सही अर्थ ही नहीं पता था | तिरंगे के ऊपर केसरिया रंग है और आज सबसे ज्यादा यही शोर है कि हर तरफ केसरिया का ही वर्चस्व है अब कौन कहे कि हम तो तिरंगे का दर्शन जी रहे है और तिरंगे का सबसे निचला रंग हरा है | पूरा देश बस हरे रंग से ही लड़ता दिख रहा है और मानिये न मानिये केसरिये और हरे के बीच सफ़ेद के पीछे भी यही दर्शन है कि सफ़ेद रंग में सात रंग छिपे है इस लिए इस देश के हिन्दू मुसलमान के बीच में बाकि सारे धर्म के लोग इस देश में इन्ही दोनों के अनुसार रहे है वो भी चक्र में उपस्थित २४ तीली की तरह चौबीस घंटे |

मुझे मालूम है कि आपको सच स्वीकार करने में हमेशा परेशानी रहती है इस लिए तिरंगे का सही अर्थ क्यों मानने लगे खैर प्रजातंत्र है आप मेरे विचार को माने या ना माने पर ये तो मानियेगा ना कि गणतंत्र का अर्थ वही है जो मैं कह रहा हूँ | जी जी आप बिलकुल सही समझे गण तो सिर्फ हमारे भगवन भोले भंडारी शिव के पास ही होते है | भूत प्रेत चांडाल , औगढ़ , और नंदी ( देश में गौ माता का वर्चस्व है ) अब जिस देश में सबसे ज्यादा भूखे नंगे , बीमार , बेरोजगार , आवास विहीन , रौशनी विहीन लोग हो और फिर भी वो अपना जीवन ख़ुशी ख़ुशी बिता रहे हो तो वो होंगे तो भूत प्रेत ही क्योकि मानव होकर इतने कष्ट में रह पाना आसान नहीं है | तो भोलेनाथ के गणों से भरे इस देश में गणतंत्र दिवस का मतलब क्या अब भी नहीं समझ पाये !!!!!!!!!

चलिए चलते चलते रूस के राष्ट्रपति पुतिन का वक्तव्य बता देते है उन्होंने भारत दौरे में कहा था कि मुझे ये नहीं पता कि दुनिया में भगवन है कि नहीं है पर भारत के लोगो और उनकी जीवन शैली देख कर लगता है कि ये देश जरूर भगवान से ही चल रहा है तो अब तो मान लीजिये कि भोले के गणों का देश इस लिए यहाँ का तंत्र गणतंत्र | वैसे मुझे मालूम है कि हमारे यहाँ सच को न मानने की बीमारी है ( अगर ये बीमारी ना होती तो बेचारे हरिश्चंद्र को अपना राज्य पाट क्यों छोड़ना पड़ता इसी लिए इस बीमारी से लोग दूर ही रहते है कौन सच बोले और कौन फसे ?) पर देश को भूत प्रेत का निवास बना कर गणतंत्र जिन्होंने बनाया उन्होंने करीब ६० साल तक इस देश में तपस्या की ( कांग्रेस वाले बुरा ना माने क्षमा करें ) तब जाकर ये देश गणों के अनुरूप बन पाया वो तो भला तो नरेंद्र मोदी का जो राम की बात करके शिव को प्रसन्न ( राम ने सेतु बनाने के लिए शिव की पूजा की थी ) करने लगे है ताकि शिव अपने कल्याणकारी स्वाभाव से इस देश को भूत प्रेतों से मुक्त कर सके और मनुष्यो को इस देश में रहने का अधिकार मिल सके | हा ये वादा रहा कि भले ही भूत प्रेत से इस देश को छुटकारा मिल जाये और मनुष्य एक बेहतरीन जीवन की तरफ बढ़ जाये पर हम उनकी ( गणों ) की याद में हर साल २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मानते रहेंगे | क्या आप को गणतंत्र के इस अर्थ पर ऐतराज है ( सिर्फ भूत प्रेत ही इसका उत्तर दे )

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