सत्यम ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात.

गुजरात में कोरोना के इलाज में उपयोगी इंजेक्शन की कालाबाजारी के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है , फूड एण्ड ड्रग विभाग द्वारा कोरोना के इलाज के लिए उपयोग में ली जानेवाली टोसीलीजुमेब इन्जेक्शन का ब्लैक मार्केटिंग करने के घोटाले का पर्दाफाश किया गया है। इस घोटाले की कड़ी सूरत से मिली जिसके बाद मुनाफाखोरी के लिए मरीजों से इंजेक्शन के दुगने दाम वसूलने की हकीकत सामने आयी है

कोरोना महामारी के बीच मुनाफाखोर कैसे मरीजों की मज़बूरी का फायदा उठाकर जान बचाने वाले इंजेक्शन के दुगने दाम वसूल रहे है। इसका एक चौकाने वाला मामला सामने आया है . सूरत में मरीजों को उनके जरूरत के हिसाब से 50 हजार से 1 लाख रुपये तक रकम वसूल कर एक इंजेक्शन बेचने का बड़ा घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था. फूड एंड ड्रग्स कमिश्नर डॉ. एच. जी. कोशिया के मुताबिक सूरत में टोसीलीजुमेब इंजेक्शन की कालाबाजारी की खबर मिली थी। जिसके बाद उन्होंने ट्रैप लगाकर इस पुरे मामले का पर्दाफाश किया है। जिसमे अहम् कड़ी थी सूरत की एक महिला फार्मासिस्ट।

दरअसल कोरोना के क्रिटिकल केस में इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले टोसीलीजुमेब और रेमडेसिविर इंजेक्शन के पिछले कई दिनों से सूरत के बाजार में न मिलने की खबर आ रही थी. मरीजों की शिकायत थी कि इंजेक्शन मिल भी रहा है तो उसकी कीमत से 5 या 10 गुना ज्यादा तक वसूली जा रही है. दूसरी ओर इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोकने के लिए केंद्र की ड्रग्स कंट्रोल अथॉरिटी ने राज्य की अलग-अलग टीमों को जानकारी दी थी. इसके बाद अथॉरिटी की ओर से इन इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर चलाए गए ऑपरेशन में एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. इस रैकेट के तार अहमदाबाद के सिविल कोविड अस्पताल तक से जुड़े बताए जा रहे हैं.

छानबीन में पता चला की सूरत की एक महिला फार्मासिस्ट के जरिए मरीजों को उनके जरूरत के हिसाब से 50 हजार से 1 लाख रुपये तक रकम वसूल कर एक इंजेक्शन बेचने का का कारोबार चल रहा है. इसके बाद एक दवाई के व्यापारी को नकली ग्राहक बनाकर सूरत के सार्थक फार्मा नाम की होलसेल एजेंसी में भेजा गया. वहां उन्हें इस इंजेक्शन की कीमत 4500 के बदले कई गुना ज्यादा बताया गया. इस मामले में जब डीजीसीआई ने जांच की तो इसके तार अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के फार्मासिस्ट तक जुड़े मिले. जांच में सामने आया की अमित नाम का एक शक्श धुर्वी और अन्य फार्मा डिस्ट्रीब्यूटर से 32 हजार 700 रूपये में प्रिस्क्रिप्शन दिखाकर ये इंजेक्शन ले गया है जिसके बाद कई लोगो से होते हुए ये इंजेक्शन जरूरतमंद मरीजों तक कई गुना दाम बढ़ाकर बेचे जा रहे है इस संबंध में एजेन्सी के लायसन्स होल्डर उमा केजरीवाल के पास टोसीलीजुमेब इन्जेक्शन की खरीदी करने का बिल नहीं मिला है और फिलहाल 3 इन्जेक्शन उनके पास से जब्त की गई है। उमा केजरीवाल ने इन इन्जेक्शनों को सूरत में स्थित न्यु शांति मेडिसिन्स के मालिक मितुल शाह के पास से खरीदा था और इन्जेक्शन के 50,000 रुपए चुकाए गए थे। न्यु शांति मेडिसिन्स के व्यापारी द्वारा टोसीलीजुमेब इन्जेक्शन अहमदाबाद की केबीवी फार्मा एजेन्सी के मालिक अमित मंछरामानी के पास से खरीदा गया था और एजेन्सी को इन्जेक्शन का 45000 रुपए का भुगतान किया जाता था। इन रकमों को अहमदाबाद सिविल में स्थित टीबी होस्पिटल में काम करनेवाले घनश्याम व्यास नामक एक व्यक्ति के बैंक के खाते में जमा कराया गया था

बहरहाल इस मामले में सूरत की उमरा पुलिस थाने में सार्थक फार्मा के उमा साकेत केजरीवाल , न्यू शांति मेडिसिन के मालिक मितुल शाह इंजेक्शन खरीदने वाले अमित मचारमणी घनश्याम अनिरुद्ध और ध्रुवी फार्मा के भावेश सोलंकी के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कारवाही शुरू कर दी है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here