शरद दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार.

निरमला की मौत ने बटेसर को झंझकोर कर रख दिया.. अपराध बोध से ग्रस्त बटेसर सोचता.. दुखिया जाने का कहईया रहैय.. हमका गोहारत रहैय.. तनु बतलाय लीति तौ का चला जात..यू हरामी परकास वहिके मरै क बाद बताइस कि वहिके बारे म झूठ कहानी बताइस रहै.. वा तौ छिनार नाय सती रहैय.. सच में निरमला सती ही थी जबकि कन्हई ने उसके मरने के महीने भर बाद ही शादी कर ली और खेती किसानी करके अपनी जीविका चलाने लगा.. बटेसर ऐसा डिस्टर्ब हुआ कि पूनम से इजहार-ए-मोहब्बत करना भूल गया..दो महीने अवसाद में कट गये.. एक और वज्रपात हुआ.. पूनम के घर के बाहर मोटरसाइकिलहा आये थे.. खूब हंसी ठठ्ठे की आवाज आ रही थी.. बटेसर को उत्सुकता हुई.. पूनम के घर घुस गया.. भीतर आठ लोग बैठे थे.. बालूशाही, लाल रंग की जलेबी.. चांदी का वरक लगी बर्फी प्लेटों में सजी थी.. आगंतुकों में से दो को बटेसर खूब पहचानता था..मझगंवा वाले चाचा और उनका लड़का परमोद था.. बटेसर ने देखते ही चाचा के पैर छुए.. पांव छुई चाचा.. चाचा ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि खुश रहौ बटेसर.. आओ बैठव.. अबही घरै आइत ऊ.. बटेसर बैठ गया.. बातचीत से पता चला कि पूनम की शादी परमोद के साथ तय हो रही है.. चेहरा फक्क पड़ गया.. दिल बैठ गया.. अवसाद एकाएक दिमाग में फैल गया.. लगा जैसे शरीर से जान निकल जायेगी.. उठकर बोला.. चाचा घरै आयेव.. बप्पा तेने बताय दी.. जवाब का इंतजार किये बिना गोली की तरह वहां से निकल गया और घूरे की बगिया में बड़हल के पेड़ के नीचे बैठकर खूब रोया..

शंकर भगवान का सब दुख हमहे कहियां देइक हैंय.. हम कौन पाप कई डारेन.. फिर सोचता.. पूनम हमरे अलावा कोई तेने बिहाव नाय करी.. हम बस याक दांय उते कहि दी.. विचारों की उठापठक चल रही थी.. हमरे कहे कहूं बेइज्जत न कै देय..तुमते बिहाव नाय करब.. तरह तरह के विचार आ रहे थे.. खुद सवाल करता खुद जवाब देता.. शाम को घर पहुंचा.. अम्मा ने उसको कटोरी में लाल पेड़े निकालकर दिये.. पूनम केरा बिहाव तै होई गवा.. मिठाई लैके आइ रहै..बहुत खुस रहैय.. तुमका पूछत रहैय..तुम आज कहां रहौ बड़ी देर म आयेव..बटेसर ने जवाब नहीं दिया और कमरे में जाकर खटिया पर निष्प्राण पड़ रहा.. जैसे मुर्दा चिता पर लेटा हो.. बटेसर पूनम से कुछ कह नहीं पाया.. शादी से पांच दिन पहले गौरा वाली मौसी के यहां चला गया.. शादी होने के पांच दिन बाद ही वापस आया.. बटेसर पर मरने वाली शन्नो की भी शादी हो गयी.. उसके आशिक हरदीपुरवा के लखन के भी तोते उड़ गये.. उसने भी शन्नो के जाने के बाद कोकनामऊ का दोबारा मुंह नहीं देखा.. पिताजी ने ढूंढकर रमपतिया से बटेसर की शादी कर दी.. पुरानी बातें भूलकर बटेसर आम गृहस्थ की तरह खटने लगा.. पहले रमपतिया प्यार उड़ेलती थी.. दो बच्चे हो गये तो प्यार मार में बदल गया.. अब लठ्ठमार बोली में बात करती है.. बीस साल गुजर चुके हैं.. जीवन का मजा अली रजा ले गये.. हाइड्रोसील की बीमारी अलग से हो गयी.

.जिस पूनम के घर से वापस आने पर हाइड्रोसील हुआ वो भी मजाक उड़ाने में औरों जैसी निकली.. अंडकोष सूजने के एक साल बाद ढीला पायजामा पहनकर पूनम के घर पहुंचा था तो चाची ने सबसे पहले पूछा.. का बटेसर! अत्ते दिन बादि आयेव.. हम परमोद तेने कहिति रहय.. बटेसर नाय आये.. बटेसर लंबे कुर्ते से अपने अंडकोष की हेल्थ को छिपा कर चाची से बात करता रहा फिर उन्हें जलेबी का दोना पकड़कर पूछा.. परमोद कहा हैंय.. चाची बोली सुरैंचा गये हैंय.. बहुरिया हैय भीतर.. तुमका पूछत रहैय.. मिलि लेव.. बटेसर की बांछे खिल गयीं.. भीतर गया.. पूनम बर्तन मांज रही थी.. बटेसर को देखते ही खिल उठी और हाथ धोने लगी.. अरे कहां रहि गये रहव.. बहुत दिनन बादि आयेव..खटिया गिरा दी और कहा.. बैठव.. ये आग्रह बटेसर को भारी लग रहा था.. समस्या फूले हुए अंडकोषों की थी जिन्हें ढीला पायजामा और लंबा कुर्ता पहनकर छिपाने की कोशिश में लगा था.. लेकिन बैठना तो था ही.. एक पल की चूक हो गयी.. तशरीफ खटिया के बांध पर सेट हो गयी..दुष्ट फोते खटिया की पटिया से कूदकर लटक पड़े.. हलचल कुछ ऐसी हुई कि पूनम का ध्यान उधर चला गया.. माजरा समझ में आ गया.. ठहाका लगाकर हंसने लगी.. हंसी रुक नहीं रही थी.. बटेसर शर्म और गुस्से को मिलाकर बोला.. का भवा.. पगलाय गईव का? पूनम पर जैसे भूत सवार हो गया.. मुंह पर हाथ रखकर हंसी दबाने की कोशिश की लेकिन हथेली हंसी का दबाव नहीं सह पाई.. हंसी का फव्वारा छूट पड़ा..

अब बटेसर के बर्दाश्त के बाहर की बात हो गयी थी.. उठा और चल दिया.. पूनम ने हंसते हुए हाथ पकड़कर रोकने की कोशिश की लेकिन हाथ झटककर निकल लिया.. बाहर चाची के पैर छुए.. चाची बोली.. बड़ी जल्दी जाय रहेव.. चाय पियेव कि नाय.. बटेसर भरा पड़ा था.. कटाक्ष करते हुए बोला.. चायेव पियेन.. बर्फीव खायेन.. खूब छकि गये हन.. चाची भोली थीं.. अच्छा भैया.. ठीकु हैय.. जल्दी आयेव..बटेसर हामी भरकर बाहर आया और साइकिल उठायी पहले फोते टिकाये फिर तशरीफ.. पैडल मारे और निकल लिया..रास्ते भर बड़बड़ता रहा.. ससुरी भैंसु.. चर्बी चढ़ी हैय.. बड़ी हंसी आय रही.. मुंह नाय द्आखत..लागत 60 साल क बुढ़िया हैय.. पुरान साथ रहै तौ मिलै आय जाति रहन.. अब थूकै नाय आइब.. जो आई जाई तौ जौन थरिया म कुत्ता खाति हैय वहिमा खाई.. हंसि लेव ससुन्धों.. बीमारी क्यार मजाकु उड़ावत हैय.. भदभद.. सास .. बंडार..

बटेसर की हुस्नपरी को एक हंसी ने चुड़ैल में बदल दिया था..

अगल भाग बहुत जल्द….

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