जानिए, देश की आर्थिक रीढ़ कहे जाने वाला सेक्टर क्या चाहता है सरकार से?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है, इसका सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 फीसदी योगदान है। देश में 6.34 करोड़ एमएसएमई में करीब 97 फीसदी उद्योग सूक्ष्म श्रेणी में हैं, जिसका अर्थ यह है कि 97 फीसदी एमएसएमई में प्लांट और मशीनरी में 25 लाख से कम का निवेश है। ये सभी सूक्ष्म इकाइयां मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र में हैं और स्ववित्त पोषित हैं। आईए, जानते हैं कि इस सेक्टर को क्या दिक्कतें आ रही हैं और यह सेक्टर सरकार से क्या चाहता है?

नई दिल्ली। कोविड-19 की वजह से लॉक डाउन ने एमएसएमई के संचालन को काफी हद तक बाधित कर दिया है, क्योंकि एमएसएम्ई नकद अर्थव्यवस्था पर निर्भर होते हैं, जो लॉक डाउन के कारण क्षतिग्रस्त हो चुका है। श्रमिकों की अनुपलब्धता, कच्चे माल, परिवहन और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता में प्रतिबंध से यह क्षेत्र काफी प्रभावित है। इससे पूरी अर्थव्यवस्था में विपरीत प्रभाव पड़ना तय है। इसलिए देश में एमएसएमई क्षेत्र में एक मजबूत नीति बनाना अति आवश्यक है।

आईआईए ने की एक समग्र पैकेज की मांग

उत्तर भारत में एमएसएमई की सर्वोच्च संस्था इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (IIA) है, जो कोविड-19 महामारी के कारण एमएसएमई के लिए बदलती परिस्थितियों पर नजर रख रहा है। साथ ही अपने सदस्यों को इस कठिनाई का सामना करने के लिए भी तैयार कर रहा है। आईआईए अपने 8000 से अधिक सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में है और उनसे मिले फीडबैक के आधार पर स्थिति से निपटने के लिए समय-समय पर राज्य और केंद्र सरकार को रिप्रजेंटेशन सौंप रहा है। लॉक डाउन में विषम परिस्थितियों को देखते हुए आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज कुमार ने प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और एमएसएमई मंत्री को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा है, जिसमें एमएसएमई के लिए आज की परिस्थिति में एक समग्र पैकेज की मांग की गई है।

छोटी और असंगठित फर्मों के लिए लाभदायीं नहीं घोषणाएं

आईआईए का कहना है कि भारत सरकार ने अब तक कुछ सहायता अवश्य की है, जिसमें ब्याज दरों में कमी, एनपीए में वृद्धि, जिससे इन्सोलवेन्सी को रोका जा सके और कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के सरकार के हिस्से से भुगतान का प्रावधान शामिल है। ये नीतिगत उपाय कुछ हद तक उत्साहवर्धक हैं, लेकिन वे बड़े और अधिक औपचारिक फर्मों के लिए अधिक लाभदायी हैं ना कि छोटी और असंगठित फर्मों के लिए, जिनका देश के औद्योगिक परिदृश्य में एक बड़ा हिस्सा है।

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