मुम्बई से वरिष्ठ पत्रकार विजय यादव की रिपोर्ट

मुंबई. तेज हवाओं के साथ बीच-बीच मे उठती लहरें। इन लहरों के बीच साँय साँय करती आवाजें। मानो वर्षों से यहां कोई मानव नही आया। खानपान के बंद पड़े स्टाल के हालात को देखकर ऐसा लगता है, जैसे कोई सुनामी सब कुछ तबाह करके चली गई हो। यह दृश्य है मुंबई के उस आक्सा बीच का जहां सैलानियों के शोरगुल से पूरा समुद्री किनारा गुलजार रहता था।

आक्सा बीच पश्चिम उपनगर का सबसे व्यस्तम पिकनिक पॉइंट है। लॉक डाउन का असर यहां भी देखा जा सकता है। इस सन्नाटे मे कोई है तो सिर्फ वह बेजुबान जानवर जिसे इन्सान का सबसे वफादार साथी कहा जाता है। जैसे ही यहां कोई इन्सान दिखता है कुत्तों का झुंड उनकी ओर दौड़ पड़ता है, शायद कुछ उन्हे कुछ खाने के लिये मिल जाय।

मनपा की ओर से नियुक्त लाइफ गार्ड अभी यहां मौजूद हैं। लाइफ गार्ड एकनाथ तांडेल बताते हैं कि कभी-कभी कुछ लोग इनके लिये खाना लेकर जरुर आते हैं। किसी-किसी दिन इन्हे भूखे ही रहना पड़ता है। हम लोग भी इनके लिये खाने की व्यवस्था करते हैं, लेकिन इनकी संख्या इतनी ज्यादा ही सभी भरपेट खिलाना मुश्किल होता है।

 


इस बीच एक अच्छी खबर यह है कि समुद्र का पूरा किनारा साफ सुथरा नजर आ रहा है। उठती चंचल लहरें खुद अपनी निर्मलता का बयान कर रही हैं। आम दिनो मे जहां किनारे पर कचरे ढेर नजर आता था, आज वहां चमकती रेत अपनी सुंदरता का बखान कर रही है।

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