डॉ दिलीप अग्निहोत्री

संस्कृत दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। यह सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक भाषा है। इसमें उल्लखित ज्ञान विज्ञान आधुनिक समय में भी हतप्रभ करने वाला है। दुनिया में जब मानव सभ्यता का विकास भी नहीं हुआ था,तब प्राचीन भारत के संस्कृत आचार्य व ऋषि अनगिनत अनुसन्धान कर चुके थे। रुड़की के प्रसिद्ध आई आई टी ने ऐसे ही विषय पर बेबीनार का आयोजन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें अपना सन्देश भेजा। इसमें उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से संस्कृत हमारी परंपरा का एक अंग रही है। हमारे संस्कृत शास्त्र भारतीय ज्ञान,दर्शन, विज्ञान और नैतिकता की अभिव्यक्ति के वाहक रहे हैं। इस तरह के आयोजन प्रतिभागियों में भाषा के प्रति गहरी रुचि विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस बेबीनार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। इसकी विशिष्टता और महत्व के प्रति नई पीढ़ी को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। भारतीय संस्कृति और ज्ञान स्त्रोतों को संरक्षित करने के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

संस्कृत भारती और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी रुड़की के संस्कृत क्लब ने सुभाषितमसंस्कृतम के ऑनलाइन स्पोकेन संस्कृत कोर्स का आयोजन किया था। संस्कृत साहित्य में उल्लखित ज्ञान विज्ञान आज भी प्रासंगिक है। क्योंकि आज भी वही पृथ्वी,अग्नि वायु,जल अंतरिक्ष,सूर्य,चन्द्र,नक्षत्र है। इन सबसे संबंधित विज्ञान संस्कृत में उपलब्ध है। आज जो अरबों रुपये व्यय करके इन से संबंधित शोध किये जाते है,उनका अनुसन्धान भारत की नदियों के तट और वनों में स्थित गुरुकुलों में कर लिया गया था। इसके अलावा आयुर्विज्ञान भूगर्भ विज्ञान,सौर ऊर्जा विज्ञान,खगोल विज्ञान,अग्नेय अस्त्रजीव जंतु विज्ञान विज्ञान व्यावसायिक और तकनीकी,कृषि,जीव विज्ञान का भी उत्कृष्ट वर्णन संस्कृत साहित्य में है। लेकिन सदियों की गुलामी के कारण यह सब उपेक्षित रह गया। स्वतन्त्रता के बाद भी इस दिशा में अपेक्षित कार्य नहीं किया गया। वर्तमान सरकार इस प्राचीन धरोहर को संभालने का प्रयास कर रही है। संस्कृत में उल्लखित योग विद्या की विश्व स्तर पर स्वीकारोक्ति इसका एक प्रमाण है। तकनीक से जुड़े शिक्षण संस्थान भी इस दिशा में जागरूक हो रहे है।

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