Total Samachar मंदिरों-मठों की मुक्ति के लिए एकम् सनातन भारत दल ने की आंदोलन की घोषणा।

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  • मदीरों को सरकती कब्जे से मुक्त कराएगा एकम सनातन भारत दल
  • एकम सनातन की हुंकार, हमारे मंदिर मुक्त करो
  • मंदिर मुक्ति के लिए एकम सनातन का आह्वान देश भर से आए हजारों हिंदू
  • हिंदुत्ववादी राजनीति में एकम सनातन का उद्घोष, मंदिर मुक्ति से होगी सनातन राष्ट्र की शुरुआत

नई दिल्ली 19 जून – मंदिर और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किए जाने की मांग हिंदू समाज द्वारा काफी समय की जा रही है लेकिन अब इस मांग को और तेज व मजबूती से आमजन तक पहुंचाने के लिए एकम् सनातन भारत दल के हजारों कार्यकताओं ने 19 जून को सुबह 12 बजे से शाम 5 बजे तक दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में माता वैष्णों देवी से जुड़े बारीदार समुदाय के साथ विभिन्न हिंदू संप्रदाय के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

इस अवसर पर एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा कि मंदिर और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने हेतु एकम् सनातन भारत दल के कार्यकताओं द्वारा पूरे देश में आंदोलन का संचालन किया जाएगा। जब मस्जिद और चर्च पर सरकार का नियंत्रण नहीं है तो फिर सरकार हिंदू मंदिर पर नियंत्रण का जिद क्यों पाले हुए है? यह संविधान में वर्णित समानता के सिद्धांत के भी विरुद्ध है। स्वतंत्रता के बाद से ही हिंदू समाज के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जा रहा है, जो अक्षम्य है।

अंकुर शर्मा ने कहा कि हिंदुओं को संवैधानिक अधिकार दिलाने के उद्देश्य से ही एकम् सनातन भारत दल का गठन किया गया है।हमारे सप्त-संकल्प में यह साफ-साफ स्पष्ट कर दिया गया है कि अब हिंदुओं के साथ कोई भी भेदभाव स्वीकार नहीं किया जाएगा।

एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा, अंग्रेजों के बनाए कानून को स्वतंत्रता के बाद से ही सभी सरकारों ने न केवल और भी अधिक मजबूत किया, बल्कि इसमें उत्तरोत्तर वृद्धि ही की है। खुद को हिंदूवादी कहने वाली भाजपा सरकार ने भी उत्तराखंड के चार धामों पर नियंत्रण कर यह साबित किया है कि वह हिंदुओं के मंदिरों-मठों को लूटने में अंग्रेजों और कांग्रेस के ही राह पर चल रही है। दरअसल मंदिर के संचालनों के नाम पर सरकारों ने मंदिर पर कब्जा किया हुआ है।

इस अवसर पर एकम् सनातन भारत दल के राष्ट्रीय महासचिव संदीप देव ने कहा कि भारत के अधिकतर बड़े मंदिरों का संचालन आज विभिन्न सरकारों की ओर से किया जाता है। भारत के करीब 4 लाख मंदिरों पर सरकारों का कब्जा है। इससे होने वाली आय पर भी सरकार का अधिकार है। यह पूरी तरह से अनैतिक, अनुचित और असंवैधानिक है। संदीप देव के अनुसार, देश में किसी भी मस्जिद और चर्च के संचालन में सरकार की कोई भूमिका नहीं है फिर मंदिर ही सरकार के कब्जें में क्यों रहें?यह बहुत बड़ा प्रश्न है और अब समय आ गया है कि मंदिरों और मठों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराया जाए।

गौरतलब है कि मद्रास हाई कोर्ट ने भी अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार मंदिरों के हितों की अनदेखी कर उनकी जमीन का उपयोग नहीं कर सकती। यही नहीं, वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर मामले में कहा था कि “मैं नहीं समझ पाता कि सरकारी अफसरों को क्यों मंदिर का संचालन करना चाहिए?” उन्होंने अपनी टिप्पणी में तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा कि “सरकारी नियंत्रण के दौरान वहां अनमोल मूर्तियों की चोरी की अनेक घटनाएं होती रही हैं।” जस्टिस बोबडे ने तब साफ कहा था कि “ऐसी स्थितियों का असली कारण है भक्तों के पास अपने मंदिरों के संचालन का अधिकार न होना।”

इससे पूर्व भी सर्वोच्च न्यायालय ने सन 2014 में तमिलनाडु के प्रसिद्ध नटराज मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का आदेश दिया था।

ज्ञात हो कि भारत में मस्जिद, दरगाह और चर्च पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है लेकिन मठों मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण है। यह भेदभाव अब खत्म होना चाहिए।

पार्टी के राष्ट्रीय सचिव कमल रावत ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष देश में जब संविधान किसी भी तरह के धार्मिक भेदभाव की मनाही करता है तब पूजा स्थलों के प्रबंधन को लेकर भेदभाव क्यों है?

ध्यान देने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां चर्च की संपत्ति का हक कैथोलिक चर्च को है। इसके ट्रस्ट व बोर्ड के सदस्य भी केवल ईसाई होते हैं। यहां रोजगार केवल ईसाईयों को मिलता है। इनकम टैक्स माफ है। पैसे का इस्तेमाल धर्म परिवर्तन और कॉन्वेंट स्कूल चलाने में होता है। वहीं दूसरी ओर मस्जिद की बात करें तो संपत्ति का हक मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास है। ट्रस्ट व बोर्ड के सदस्य केवल मुस्लिम होंगे। रोजगार भी केवल मुसलमानों को मिलेगा। इनकम टैक्स भी माफ है। लेकिन मंदिर की स्थिति पर नज़र डाली जाए तो संपत्ति का हक राज्य सरकारों के पास। ट्रस्ट व बोर्ड का सदस्य गैर हिंदू भी हो सकता है। यहां रोजगार भी सभी धर्मों के लोगों के लिए है। इनकम टैक्ट भी मंदिर से वसूला जाता है और मंदिरों में हिंदुओं के चढाए पैसों का इस्तेमाल मस्जिद, मदरसे चलाने और चर्च को अनुदान देने तक के लिए किया जाता है। इस अन्याय पूर्ण नियम को बदलने के लिए ही एकम् सनातन भारत दल न केवल आंदोलन की राह पर उतरा है, बल्कि चुनावी राजनीति में उतर कर वह इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को बदलना चाहता है।

एकम सनातन भारत दल के उत्तर परदेश संयोजक विंग कमांडर पुष्कल द्विवेदी ने कहा की हिंदू सदा से याचक की भूमिका में रहता है और सत्ता उसे अपने हिसाब से भ्रमित करती रहती है। अब हिंदुओं को एकम सनातन भारत दल के रूप में एक पूर्ण सनातनी राजनीतिक मंच मिल चुका है। अयोध्या , काशी और मथुरा उत्तर प्रदेश में भले ही स्थित हों लेकिन सम्पूर्ण विश्व के स्नातनियों की आस्था के केंद्र हैं। विंग कमांडर पुष्कल द्विवेदी ने इस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा की निर्माणाधीन अयोध्या का श्रीराम मंदिर किसी भी प्रकार के सरकारी नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए वरना आगामी चुनाव में हिंदू अपनी शक्ति दिखाकर छद्म हिंदू सरकार को हाशिए पे ला देंगे। देश भर में लाखों मंदिर हैं जो मुक्त नहीं हैं और हिंदुओं के अपने सांस्कृतिक धार्मिक की।भूमिका इसीलिए नहीं निभा पा रहे हैं। उन्होंने कहां की यदि मंदिर मुक्त होंगे तो मंदिर स्वयं सनातनियों के लिए अच्छी विज्ञानपरक शिक्षा व्यवस्था काम खर्च में भी कर देंगे जिससे हिंदुओं पर बढ़ता महंगाई का बोझ कम होगा और रोजगार भी सृजित होगा। इससे हिंदू परिवार और वंश वृद्धि में बढ़ोत्तरी करने में आ रही आर्थिक समस्याओं का भी कुछ हल होगा।

जंतर मंतर पर आयोजित इस आंदोलन में एकम् सनातन भारत दल के सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों व कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कार्यकर्ताओं ने यह संकल्प लिया कि जंतर-मंतर से निकल पर वो अपने-अपने राज्य में इस आंदोलन को ले जाऐंगे और इसे और तेज करेंगे।

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