आनलाइन क्लास
सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट..
वाराणसी,दिनांक 21 अप्रैल, 2020 (सू0वि0)
*ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चो को लगातार कई घंटे मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर देखना पड़ रहा है इससे उनकी Eye Sight प्रभावित हो रही हैं -जिलाधिकारी**सभी स्कूल एक दिन में एक या लगातार दो-तीन दिनों तक एक ही विषय पढ़ाये, ताकि बच्चे पढ़ाई गयी चीज़ें समझ कर ग्रहण कर सकें-कौशल राज शर्मा**अभिभावकों द्वारा निजता भंग होने के मामले में ने निर्देशित किया कि सभी विद्यालय यथा सम्भव zoom app का प्रयोग बन्द करके कोई विश्वसनीय एप का प्रयोग करे या यू-ट्यूब पर विडियो अपलोड करके 5 से 10 बच्चों के समूह में एप पर जोड़कर यूट्यूब वीडियो के प्रश्नोत्त्तरी करते हुए भी इन बच्चों की पढ़ाई संचालित करायें*
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया है कि कक्षा 9 तक के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 90 मिनट से ज्यादा मोबाइल फोन या लैपटॉप स्क्रीन का प्रयोग न करने दिया जाए तथा प्रतिदिन की क्लास/लेक्चर 90 मिनट से अधिक का न हो और इस अवधि में 5 से 10 मिनट के एक से दो ब्रेक भी दिये जायें। एक दिन में इससे अधिक समय अवधि की क्लास वर्जित रहेगी। विद्यालयों के द्वारा ज़ूम एप या अन्य एप के माध्यम से मोबाइल व लैपटॉप पर बच्चों की पढ़ाई कराने से कई अभिभावकों ने निजता भंग होने का मामला उठाया हैं। ऐसी स्थिति में सभी विद्यालय यथा सम्भव zoom app का प्रयोग बन्द करके कोई विश्वसनीय एप का प्रयोग करे या यू-ट्यूब पर विडियो अपलोड करके 5 से 10 बच्चों के समूह में एप पर जोड़कर यूट्यूब वीडियो के प्रश्नोत्त्तरी करते हुए भी इन बच्चों की पढ़ाई संचालित करायें। अत्यंत आवश्यक हो तो विद्यार्थियों के छोटे समूह बनाकर जूम ऐप प्रयोग करें। अभिभावकों द्वारा बताया गया कि बच्चों को एक ही दिन में कई विषयों को पढ़ाया जा रहा है, जिससे उनकी ग्रहण करने की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। इसलिए सभी स्कूल एक दिन में एक या लगातार दो-तीन दिनों तक एक ही विषय पढ़ाये जाने का निर्देश दिया हैं। ताकि बच्चे पढ़ाई गयी चीज़ें समझ कर ग्रहण कर सकें।
ध्यानाकर्षण
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यह आदेश बनारस के डीएम ने अभिभावकों के ध्यानाकर्षण पर लिया है जिसकी जितनी भी तारीफ की जाय कम होगा। ऐसा इसलिए लिख रहा हूं कि एक प्रशासनिक अधिकारी ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए बच्चों के साथ हो रही ज्यादती को समझा। एक लगातार घंटों बच्चे स्क्रीन के सामने आंखें गड़ा रहे। जिसका दुष्परिणाम बाद में आएगा।
सवाल उठता है कि आनलाइन क्लासेज का आदेश जारी करने वाले अफसरान ऐसी समझ क्यों नहीं रखते ? वह आदेश के साथ ही एक गाइडलाइन जारी करते। यहां निजी स्कूलों के प्रबंधन ने इसे सामान्य दिनों के स्कूलिंग जैसा बना दिया है। एक लगातार चार घंटे तक मोबाइल या लैपटॉप पर क्लास और उस पर मिले काम को करने के लिए भी चार घंटा। मतलब आप जितना ही मोबाइल और इंटरनेट एडिक्शन रोकने की बात कर रहे और दूसरी तरफ आठ-नौ घंटे की उसी मोबाइल पर क्लास। शिक्षाविदों को इस पर अवश्य गौर करना चाहिए। एक साथ सभी विषयों को पढ़ाने का टाइम टेबल बताता है कि इन लोगों को आनलाइन क्लास का मतलब नहीं पता है। जब बच्चों के पास नये सत्र की किताबें भी नहीं है तब तो उनके लिए समझना व उसे करना और भी मुश्किल हो रहा है। हम क्लास ले रहे या उन्हें सजा दे रहे हैं। उनके स्तर पर जाकर सोचने की आवश्यकता है।
मुझे लगता है कि बच्चों को एक दिन में एक विषय की क्लास कराई जाय वह भी अधिकतम 90 मिनट की। इसमें दस मिनट का ब्रेक रखा जाना चाहिए। इससे बच्चे ज्यादा अच्छी तरह समझ सकेंगे। बच्चों की सेहत के लिए केंद्र व राज्य सरकार के स्तर से एक स्पष्ट गाइडलाइन जारी किया जाना चाहिए ताकि आनलाइन क्लास बाद में संकट न बन जाय।