भूमिका, संवाददाता, गुजरात

 

गुजरात स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सियासी पारा गरमा गया है इस बार गुजरात की स्थानीय निकाय चुनाव इसलिए भी दिलचस्पप होने जा रहे हैं क्योंकि इस बार गुजरात के चुनावी अखाड़े में ओवैसी की एंट्री हो चुकी है ओवैसी की पार्टी ए आई एम आई एम गुजरात की आदिवासी पार्टी बीटीपी के साथ गठबंधन कर स्थानीय निकाय चुनावों मैं किस्मत आजमा रही है

गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में इस बार चौतरफा जंग होने जा रहा है हर बार की तरह इस बार सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस ही आमने सामने नहीं होंगे बल्कि ओवैसी की पार्टी एआईएमआई एम और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी मैदान में है, सबसे पहले बात गुजरात की प्रमुख पार्टी बीजेपी की, बीजेपी ने इस बार पुराने चेहरों की जगह नए और युवा उम्मीदवारों पर भरोसा किया है. साथ ही बीजेपी ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का भी खास ख्याल रखा है, लेकिन बीजेपी ने उम्मीदवारों के लिए जो मापदंड बनाए थे उसके चलते गुजरात भर में कई जगह उन्हें कार्यकर्ताओं के गुस्से का सामना भी करना पड़ रहा है

21 फरवरी से शुरू होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आज से पर्चा भरने की शुरुआत हो गई है इन चुनावों में आप पहले ही अपने तमाम उम्मीदवारों की सूची घोषित कर प्रचार में भी जुट गई थी उसने अपना इरादा साफ कर दिया था कि इस बार के चुनाव में वह अपनी जमीन गुजरात के राजनीतिक अखाड़े में जरूर तैयार करेगी आप पार्टी का मानना है कि अगर उनके पांच पार्षद भी जीतते हैं तो सत्ताधारी पार्टी को वह चुनौती देने में सक्षम रहेंगे।

सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करने वाली बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम को निकाय चुनाव में टिकट नहीं दिया है.हालांकि, इसके पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मुस्लिम प्रत्याशी उतार रही है,. जिसे देखते हुए बीजेपी ने मुस्लिम बहुल सीट पर हिंदू प्रत्याशी उतारने का दांव चला है. इस समीकरण के जरिए बीजेपी को लग रहा है कि हिंदू वोटर को लामबंद कर वह बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रहेगी।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार के लिए सात फरवरी को गुजरात का दौरा करेंगे. हैदराबाद के सांसद ओवैसी इस दौरान अहमदाबाद और भरूच में जनसभा को संबोधित करेंगे. कहा जा रहा है भरूच से अपने दौरे की शुरुआत करने वाले ओवैसी सबसे पहले अहमद पटेल के घर जाएंगे ऐसे में माना जा रहा है कि वह आधी लड़ाई इसी में जीत लेंगे और इसका खासा असर मुस्लिम वोटरों पर होगा ओवैसी अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर शाम छह बजे रैली को संबोधित करने वाले हैं। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है।

वही हर बार की तरह कांग्रेस इस बार भी अंदरूनी गुटबाजी के चलते पर्चा भरने की शुरुआत होने तक अपने उम्मीदवारों का नाम तक घोषित नहीं कर पाई हालात इस कदर खराब है कि कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा पसरा था और तमाम नेताओं को चुप चुप कर अलग-अलग फार्महाउस में मीटिंग करनी पड़ रही है कांग्रेस की चिंता इस बार इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि ओवेसी की पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन ने भारतीय आदिवासी पार्टी (बीटीपी) के साथ गठबंधन में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. दोनो पार्टियों का दावा है मुस्लिम दलित और आदिवासी गठबंधन के करीबन 70 उम्मीदवारों की फौज गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजों में गजब का बदलाव ले आएंगे और यही बदलाव गुजरात की राजनीति में भी देखने को मिलेगा

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