डॉ ध्रुव कुमार, एशोसिएट प्रोफेसर

राजस्थान। आज दिनांक 27 मई 2020 को पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पुण्यतिथि के अवसर पर एक बेबीनार का आयोजन कोटा के राजस्थान में राजीव गांधी स्टडी सर्किल द्वारा संपन्न हुआ। इस वेबीनार के संयोजक अनुज विलियम थे।

इसमें मुख्य वक्ता नेशनल कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर सतीश राय जी ने अपना उद्बोधन दिया। बिहार के आरजीएससी के कोऑर्डिनेट प्रोफेसर रामायन यादव जी, उत्तर प्रदेश के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर विनोद चंद्रा जी, दिल्ली के की कोऑर्डिनेट डॉक्टर चयनिका उनियाल जी, डॉ. गोपाल सिंह जी, प्रोफसर पी के गुप्ता लखनऊ विश्व विद्यालय, डॉ. अमित धारीवाल, बीएल सैनी, बालमुकुंद यादव, इरफान अहमद और भी अनेकों विद्वत जनों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर बड़े विस्तार से चर्चा हुई।

 

इस चर्चा में जो मुख्य बात उभर कर सामने आई वह थी कि भारत के स्वतंत्रता के बाद हम सुई भी नहीं बना सकते थे। हम अपने जनसंख्या के अनुपात में अनाज भी ठीक से उत्पादन नहीं कर पाते थे। हमारे पास सीमित संसाधन थे। कड़वी भाषा में यदि कहें तो स्वतंत्रता के बाद हमारे पास कुछ नहीं था। लेकिन सलाम है वह वीर जवानों को उन क्रांतिकारियों को जिनके सपनों को लेकर आगे बढ़ने वाले उस वक्त के लीडर/नेता जिनमें बहुत साहस था। आगे बढ़ने की ललक थी। अपने जनता के प्रति अगाध प्रेम था और यह सब दिखाई पड़ता था लोग अनुभव करते थे। किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी या किसी व्यक्तित्व के निजी जिंदगी में झांकने और ताकने के कृत्य को गलत समझते थे। वह अपने देश को आगे ले जाने के लिए दिवाने थे।

प्रोफेसर सतीश राय जी ने यह बताया कि पंडित जवाहरलाल नेहरु जी जब प्रधानमंत्री थे। तो विद्वानों का बहुत आदर करते थे। उनकी आलोचनाओं से घबराते नहीं थे। उसका समय पर जवाब देते थे। उससे सीख लेते थे और उसका प्रयोग अपने देश को आगे ले जाने में करते थे। एक बार माननीय प्रधानमंत्री जी के सामने ही आचार्य नरेंद्र देव जी ने सरकार की बहुत आलोचना की लेकिन वह महान व्यक्तित्व जरा भी विचलित नहीं हुआ। आज के वक्त में यदि कोई विद्वान सरकार के खिलाफ एक शब्द भी लिख दे तो उसका सर कलम तो नहीं किया जाता लेकिन उसका ऐसा हश्र कर दिया जाता है कि वह भविष्य में किसी के खिलाफ बोलने/ लिखने का साहस न जुटा सकेगा। यह फर्क था लोकतांत्रिक व्यवस्था से देश को चलाने का। लकोतंत्र में सबसे गरीब और वंचित लोगों तक सुविधाओं को पहुंचाने का दृष्टिकोण होना चाहिये।  हम लोकतंत्र में कितना सफल हुए यह तो विचार और विमर्श का विषय है।

पंडित जवाहरलाल नेहरु जी भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। जो लोकतंत्र की कद्र और सम्मान करते थे। लोकतांत्रिक ढोंग नहीं करते थे।  स्ट्रक्चरल डेवलपमेंट का सूत्रपात नेहरू जी द्वारा शुरू हुआ और भारत का संरचनात्मक स्वरूप हम लोगों के सामने आया।

आज भारत में जो कुछ भी हैं, उसमें अधिकांश संस्थायें पं जवहार लाला नहरू जी के द्वारा बनाई गई हैं। दिस पर आ भी हर भारतीय को गर्व होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को आगे ले जाने के लिये पं. नेहरू जी वैज्ञानिकों से हमेशा विचार विमर्श किया करते थे। सैनिक, किसान, नौजवान, कामगार और विद्वान सबके हित के लिये योजनाओ का क्रियांवयन किये थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here