कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में मंगलवार को रिकार्ड वृद्धि होने से संक्रमण के मामले 50 हजार के करीब पहुंच गए और 200 और मौतें होने से मृतक संख्या 1600 से ऊपर चली गई. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस से मुकाबला कोई ‘राकेट साइंस’ नहीं है और लोग यदि स्वच्छता की अच्छी आदतों को आत्मसात कर लेते हैं तो वे आदतें ‘अप्रत्यक्ष वरदान’ साबित होंगी. इसबीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस टीका विकसित करने,दवा की खोज करने , पता लगाने और जांच करने के लिए गठित कार्यबल की बैठक की और कोविड-19 से पार पाने के भारत के प्रयासों की समीक्षा की.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण का बयान

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन ने से कहा कि अगर भारतीय संक्रमण के चलते अपने व्यवहार में हाथ धोने, सांस संबंधी और पर्यावरण स्वच्छता की आदत को बरकरार रखते हैं, तो कोरोना वायरस संकट के समाप्त होने के बाद, भविष्य में जब देश महामारी के इस काल को देखेगा तो वे इन आदतों को वह ‘ अप्रत्यक्ष वरदान’ मान सकते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने घातक वायरस संक्रमण के प्रसार को लेकर शाम पांच बजे के अपने आधिकारिक अपडेट में कहा कि कोविड-19 से सोमवार शाम से 194 मौतें हुई हैं जिससे मृतक संख्या बढ़कर 1,583 हो गई है, जबकि 3,875 नए मामले सामने आने से कुल मामले बढ़ कर 46,711 हो गए हैं. हालांकि रात 10 बजे तक विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से घोषित आंकड़ों के आधार पर पुष्ट मामले बढ़कर 49,369 हो गए हैं, वहीं मृतकों की संख्या बढ़कर 1,621 हो गयी है. इससे यह भी पता चलता है कि इस बीच 13,500 से अधिक मरीज ठीक भी हो चुके हैं.

भारत की चिन्ता बढ़ी

तमिलनाडु में मंगलवार को 500 से अधिक नए मामले सामने आये जिससे उसके कुल मामले 4,000 के पार हो गए, जबकि गुजरात में 441 और व्यक्ति संक्रमित पाये गए जिससे राज्य में कुल मामले 6,200 से अधिक हो गए. कई अन्य राज्यों में भी मामलों में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि इस घातक वायरस के प्रकोप का चरम अभी बाकी है और अगले 4-6 हफ्तों में भारत में सामने आ सकता है, मामलों में एक और बढ़ोतरी का दौर बाद में सर्दियों के मौसम में सामने आ सकता है. आंकड़ों से पता चलता है कि देशभर में पुष्ट मामलों में से एक तिहाई से अधिक मामले पिछले एक सप्ताह में सामने आये हैं, अधिकतर मामले कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ शहरी क्षेत्रों से सामने आये हैं. यह भी आशंका उत्पन्न हुई कि भारत में मामलों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि सरकार ने विभिन्न देशों से बड़ी संख्या में भारतीयों को वापस लाने की योजना की घोषणा की है जिसकी शुरूआत बुधवार से होगी.

सूत्रों ने कहा कि तीन लाख से अधिक लोगों ने केवल खाड़ी क्षेत्र से ही वापस आने के लिए पंजीकरण कराया है. भारत में मामलों की कुल संख्या और मृतक संख्या कई अन्य देशों की तुलना में कम है. पिछले दिसंबर में चीन में इस वायरस के उभरने के बाद से दुनिया भर में 2.5 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 35 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं. कई देशों में लॉकडाउन हटा लिये गए हैं और उनके से कई देशों में अब कुछ या शून्य मामले सामने आ रहे हैं. चीन और दक्षिण कोरिया को मिलाकर मंगलवार को केवल चार मामले सामने आये जबकि हांगकांग, ताइवान, वियतनाम, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल थे जहां लगातार दूसरे दिन कोई मामला सामने नहीं आया.

इसके अलावा, ऐसा प्रतीत होता है कि वैश्विक रूप से मुख्य जोर अब एक टीका विकसित करने पर केंद्रित हो गया है क्योंकि दुनिया के कई नेता सोमवार से अब तक इस उद्देश्य के लिए आठ अरब अमेरीकी डालर से अधिक की प्रतिबद्धता जता चुके हैं. हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने कहा कि भारत सामुदायिक प्रसार का जोखिम कम करने में सफल रहा है और मामलों के प्रबंधन में हम बहुत सहज हैं, लेकिन फील्ड स्तर पर किसी भी ढिलाई के परिणाम सही नहीं होंगे.’’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में सोमवार सुबह आठ बजे से मंगलवार सुबह आठ बजे तक एक दिन में रिकार्ड 195 मौतें हुई और 3900 मामले सामने आये. इनमें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान सहित अन्य स्थानों में होने वाली मौतें शामिल हैं.

राहत के साथ चिन्ता भी

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि वहीं देश में कोविड​​-19 से ठीक होने की दर में सुधार हुआ है और यह 28.17 प्रतिशत हो गई है. अग्रवाल ने कहा, ‘‘अब कोविड-19 के मामलों के प्रबंधन में हम बहुत सहज हैं, लेकिन फील्ड स्तर पर किसी भी ढिलाई के परिणाम सही नहीं होंगे.’’ अग्रवाल ने यह भी कहा कि ‘‘कुछ राज्यों’’ द्वारा मामलों की समयबद्ध जानकारी देने में देरी किये जाने से आंकडों में अचानक बढोतरी हुई है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड-19 का ग्राफ अबतक अपेक्षाकृत फ्लैट (समतल) बना हुआ है लेकिन लगातार समान रफ्तार से मामलों में वृद्धि चिंता का विषय है.

गुलेरिया ने कहा कि विभिन्न मॉडलिंग विशेषज्ञों का अनुमान है कि कोरोना वायरस के मामलों की संख्या में चरमोत्कर्ष अगले चार से छह सप्ताह यानी मई के आखिर या जून के मध्य तक हो सकता है, ऐसे में हमें और चौकस रहने तथा हॉटस्पॉट में मामलों की संख्या घटाने की कोशिश करने की जरुरत है. उन्होंने यह भी कहा, ‘‘देश में सर्दियों में एक बार फिर कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं लेकिन यह तो वक्त ही बताएगा.’’ गुलेरिया ने कहा, ‘‘यह ग्राफ लॉकडाउन और अन्य निषिद्ध उपायों से अबतक अपेक्षाकृत रूप से फ्लैट (समतल) रहा है और इसने हमें देश में अपना स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा खड़ा करने और परीक्षण सुविधाएं बढ़ाने का समय दे दिया है.’’ कई राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों ने भी कहा कि हाल के दिनों में मामलों की संख्या इसलिए बढ़ रही है क्योंकि की जा रही जांच की संख्या बढ़ी है.

गुलेरिया ने कहा, ‘‘लेकिन मामलों की संख्या स्थिर दर से लगातार बढ़ रही है और यह चिंता का विषय है. हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और लॉकडाउन के सिद्धांतों और एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने के नियम का ईमानदारी से पालन करना चाहिए खासकर यदि वे हॉटस्पॉट या निषिद्ध में हैं तो.’’ स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने भी देशव्यापी लॉकडाउन के महत्व को रेखांकित किया जो 24 मार्च से लागू है और 17 मई तक रहने वाला है और कहा कि अर्थव्यवस्था की ही तरह स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है. कई विशेषज्ञ महामारी और लॉकडाउन से अर्थव्यवथा पर प्रभाव पड़ने के बारे में बात कर चुके हैं. राज्य भी अपना राजस्व बढ़ाने की तलाश में हैं.

अर्थव्यस्था और स्वास्थ्य में संतुलन

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) ने एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 संकट के चलते देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 27.11 प्रतिशत हो गई. मार्च मध्य में यह दर सात प्रतिशत से कम थी. मुंबई स्थित थिंक टैंक ने कहा कि बेरोजगारी की दर शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक 29.22 प्रतिशत रही, जहां कोविड-19 संक्रमण के सबसे आधिक प्रभावित इलाकों ‘रेड जोन’ की संख्या सबसे अधिक है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह 26.69 प्रतिशत है. हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘सरकार को एक संतुलनकारी कार्य करना होगा.’’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

इस बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल हास्पिटल में 24 व्यक्ति जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गए. संक्रमित पाये गए व्यक्तियों में सेवारत एवं सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कर्मी शामिल हैं. अधिकारियों ने शास्त्री भवन के एक तल को भी सील कर दिया, जिसमें कई महत्वपूर्ण मंत्रालय स्थित हैं. विधि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जाने पर ऐसा किया गया.

एक सप्ताह के भीतर लुटियन दिल्ली में किसी सरकारी इमारत को आंशिक रूप से सील किये जाने यह दूसरी घटना थी. इससे पहले निदेशक स्तर के अधिकारी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर 28 अप्रैल को नीति आयोग की इमारत को 48 घंटे के लिए सील कर दिया गया था. उससे पहले, राजीव गांधी भवन को सेनेटाइज करने के लिए सील कर दिया गया था जिसमें नागर विमानन मंत्रालय स्थित है. ऐसी ही अन्य घटनाओं में, हाल ही में सीआरपीएफ मुख्यालय और बीएसएफ मुख्यालय के एक हिस्से को भी सील कर दिया गया था. ये इमारतें राष्ट्रीय राजधानी में सीजीओ कॉम्प्लेक्स में स्थित हैं.

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