डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारत की शिक्षा नीति में अनेक विसंगतियां रही है। इनमें सुधार की पिछले कई दशकों से अपेक्षा की जा रही थी। लेकिन पिछली सरकारों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। भाजपा ने दो हजार चौदह के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में नई शिक्षा निति लागू करने का वादा किया था। यह विषय अति महत्वपूर्ण था। इसलिए नरेंद्र मोदी सरकार ने जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया। सुझाव के लिए समिति गठित की गई। इसके साथ ही संस्थाओं शिक्षाविद व आमजन के
विचार भी आमंत्रित किये गए। लाखों की संख्या में लोगों ने सरकार को अपने विचार व सुझाव प्रेषित किये। इन सभी पर विचार किया गया। इसके बाद ही नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया गया था। कैबिनेट निर्णय के अनुरूप इसे लागू किया गया है।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधपति आनन्दी बेन पटेल ने नई शिक्षा नीति को सराहनीय बताया है। कहा कि इससे स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी एवं उद्देश्यपूर्ण परिवर्तन आयेगा। कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक अनिवार्य रूप से मातृ भाषा व स्थानीय भाषा में शिक्षा ग्रहण करने से बच्चों का तेजी से बौद्धिक विकास होगा। अब छात्रों को पहले से तय विषय चुनने की बाध्यता भी समाप्त कर दी गयी है। बोर्ड परीक्षाओं का तनाव भी खत्म कर दिया गया है। नया पाठ्यक्रम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण तैयार करेगा।  उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद जैसे विभिन्न नियामक अभी देश में कार्य कर रहे हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इन्हें एक ही छत के नीचे लाने का निर्णय सही दिशा में लिया गया फैसला है। इससे उच्च शिक्षा की दिशा में न केवल निर्णय लेने में तेजी आयेगी, बल्कि पारदर्शिता भी आयेगी।

उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउण्डेशन का सृजन किया जाएगा। इसके साथ ही चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग।का गठन किया जाएगा। राज्यपाल ने कहा कि इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महामारी एवं वैश्विक महामारी के दृष्टिगत आनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशों के एक व्यापक सेट को कवर किया गया है, जिससे जब कभी और जहां कहीं भी पारम्परिक और व्यक्तिगत शिक्षा प्राप्त करने का साधन उपलब्ध होना सम्भव नहीं है, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधन की तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों को ई शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजिटल कन्टेन्ट और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से एक समर्पित इकाई बनायी जाएगी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने नई शिक्षा को क्रांतिकारी कदम बताया है। कहा कि इससे शिक्षा व्यवस्था के ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन आएगा। हर वर्ग के लिए सुलभ और सुगम शिक्षा उपलब्ध कराना ही इसका लक्ष्य है। इसमें फीस के स्ट्रक्चर पर भी काम किया गया है। यह भारतीय सभ्यता, संस्कृति और ज्ञान के अनुरूप दिशा प्रदान करेगी। शिक्षा और रोजगार के लिए जरूरी शिक्षा के बीच के अंतर को पाट पाएगी।

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