डॉ दिलीप अग्निहोत्री

 

छह वर्ष पहले तक पश्चिम बंगाल की राजनीति में भाजपा का कोई महत्व नहीं था। तब पार्टी ने भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया था। यह माना गया कि यहां कम्युनिस्ट,कांग्रेस और बाद में तृणमूल कांग्रेस के अलावा अन्य किसी के लिए कोई जगह नहीं है। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अमित शाह ने यह असंभव दिखने वाली चुनौती स्वीकार की। उन्होंने पश्चिम बंगाल में भाजपा को एक शक्ति के रूप में स्थापित करते कि रणनीति बनाई। यह कारगर साबित हुई। इसके सकारात्मक परिणाम हुए। आज स्थानीय निकाय से लेकर ऊपर तक भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर रही है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस सच्चाई को स्वीकार कर लिया है। यही कारण है कि अब वह कांग्रेस और सभी कम्युनिस्ट पार्टियों पर कोई टिप्पणी नहीं करती। उनको भाजपा से ही सीधा मुकाबला दिखाई देने लगा है। भाजपा उनकी सत्ता को सीधी चुनौती दे रही है। ममता बनर्जी को भी भाजपा के बढ़ते प्रभाव की चिंता सताने लगी है। वह हड़बड़ी में गलत निर्णय भी ले रही है। केंद्र ने गरीबों के लिए अनेक योजनाएं लागू की है। इनसे गरीबों,श्रमिकों स्ट्रीट वेंडरों किसानों आदि को सीधा लाभ मिल रहा है। लेकिन राजनीतिक कारणों से ममता ने इन्हें अपने राज्य में लागू नहीं किया है। उनकी भाजपा से नफरत समझ आ सकती है। लेकिन गरीबों को लाभ उठाने से रोकना अनुचित है। उनके कल्याण की योजनाओं को तो बिना किसी भेदभाव के लागू करना चाहिए। इन विषयों को पार्टी लाइन से ऊपर समझना चाहिए। इसके अलावा ममता बनर्जी तुष्टिकरण के लिए जमीन आसमान एक कर रही है। उन्हें लगता है कि वर्ग विशेष को छूट देकर वह चुनाव जीत जाएंगी। इसीलिए वर्ग विशेष के आयोजन के लिए दुर्गा पूजा जुलूस पर रोक लगाती है। इस प्रकार तृणमूल कांग्रेस कांग्रेस,और कम्युनिस्ट पार्टियों में कोई अंतर नहीं बचा है। एक जैसे वोटबैंक के लिए ये अनेक पार्टियां बेकरार है। जबकि भाजपा इन सबसे अलग दिखाई दे रही है। वह सबका साथ सबका विकास और तुष्टिकरण किसी का नहीं नीति पर चल रही है। इसके प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है।

केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं को लागू ना करने के प्रति भी लोगों में नाराजगी है। गृहमंत्री अमित शाह ने दो दिवसीय पश्चिम बंगाल यात्रा में यही सन्देश दिया है। उन्होंने आदिवासी परिवार में जाकर भोजन किया। काली मंदिर जाकर पूजा अर्चना की,विकास कार्यो के प्रति लापरवाही के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। कहा कि इस सरकार को जनहित की नहीं केवल वोटबैंक की चिंता है। यही कारण है कि प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हेतु केंद्र द्वारा प्रदान की गई रेल सुविधा को लेने से इस सरकार ने इनकार कर दिया। अमित शाह ने ममता बनर्जी सरकार पर तुष्टिकरण आरोप लगाया। यही कारण है यहां राजनीतिक हिंसा होती रहती है। उन्होंने आंतरिक सुरक्षा के मसले पर भी प्रदेश सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया। कहा कि देश की सुरक्षा बंगाल के आंतरिक सुरक्षा के साथ जुड़ी है। देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इस प्रदेश सरकार की बिदाई अपरिहार्य है। यह कार्य भाजपा सरकार ही कर सकती है। यहां भाजपा सोनार बांग्ला की रचना करेगी। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में छह महीने से कुछ ज्यादा समय ही बचा है। इसके दृष्टिगत अमित शाह की यात्रा महत्वपूर्ण साबित हुई है। उन्होंने आदिवासी कार्यकर्ता के भोजन के माध्यम से भी बड़ा सन्देश दिया है। यह बताने का प्रयास किया कि भाजपा आदिवासियों के साथ है। अमित शाह ने दक्षिणेश्वर काली मंदिर जाकर हिंदुओं को सन्देश दिया। यहां स्वामी विवेकानंद के गुरु परमहंस ने आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की थी। यहां अमित शाह चैतन्य महाप्रभु रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद और अरबिंदो का उल्लेख किया। कहा कि बंगाल आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रहा है लेकिन आज तुष्टिकरण चरम पर है।

वह मतुआ समुदाय के मंदिर भी गए। उनके बीच भोजन किया। मतुआ पश्चिम बंगाल में एससी आबादी का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है। बंगाल में मतुआ समुदाय के लगभग बहत्तर लाख लोग हैं। बंगाल की पौने दो करोड़ की एससी आबादी में तैतीस लाख नमोशूद्र है। जिसका एक बड़ा हिस्सा मतुआ हैं। करीब सात दशक पहले मतुआ धार्मिक प्रताड़ना के बाद बंगाल आए थे। शाह ने यहां सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास पर जोर दिया। कहा कि भाजपा की सरकारें इसी भावना के अनुरूप कार्य करती है।

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