डॉ दिलीप अग्निहोत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कार्यकाल में सबका साथ सबका विकास नारा दिया था। उन्होंने इसे केवल नारे तक सीमित नहीं रखा,बल्कि अपनी सरकार की नीतियों का इसे आधार भी बनाया। इसके अनुरूप गरीबों के कल्याण हेतु अभूतपूर्व योजनाएं बनाई व लागू की गई। करोड़ों लोगों की इन योजनाओं का सीधा लाभ मिला। इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सबका साथ सबका विकास पर अमल किया। उनका मानना रहा है कि आर्थिक समानता सामाजिक समानता का आधार बनती है। समाज में अगर एक तबका मजबूत हो जाए और एक तबका कमजोर हो तो ऐसा समाज कभी भी आत्मनिर्भर समाज नहीं बन सकता है। इसके लिए समाज में संतुलन आवश्यक है। सामाजिक व आर्थिक स्तर पर सन्तुलन आवश्यक है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्तमान सरकार सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मूल मंत्र के तहत कार्य कर रही है।
इसी के अनुरूप मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर अनुसूचित जाति के गरीब व्यक्तियों के सर्वागीण विकास हेतु नवीन रोजगार छतरी योजना का शुभारम्भ किया। इसके साथ ही पं दीनदयाल उपाध्याय स्वरोजगार योजना के करीब साढ़े तीन हजार लाभार्थियों को धनराशि के आनलाइन हस्तान्तरण भी किया गया। लाभार्थियों के खातों में करीब साढ़े सत्रह करोड़ रुपये धनराशि अन्तरित की गई। योगी आदित्यनाथ ने अनेक लाभार्थियों से संवाद किया। उनको इस धनराशि से स्वरोजगार प्रारंभ करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि आपदा की वर्तमान परिस्थितियों में भी प्रदेश सरकार लोगों को आर्थिक मदद देकर उन्हें स्वावलम्बी बनाने का कार्य कर रही है। बाबा साहब डाॅ भीमराव आंबेडकर जी व अन्य सभी महापुरुषों ने सामाजिक समानता का जो सपना देखा था,उसे मूर्तरूप देने का कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है।
वैश्विक महामारी कोविड काल में प्रधानमंत्री ने गरीबों के कल्याण के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जिसके माध्यम से गरीब, दलित,वंचित लोगों को मदद पहुचायी जा रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से गरीबों को मुफ्त अनाज देने का कार्य किया जा रहा है। इस प्रकार गरीबों को महीने में दो बार खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार श्रमिकों को रोजगार व उनके समायोजन के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर प्रदेश के श्रमिकों, कामगारों, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वाले या दैनिक कार्य करने वाले सभी लोगों को एक रुपये का भरण पोषण दिया गया है। निर्माण श्रमिकों को भी दो बार भरण पोषण भत्ता देने का कार्य किया गया है। अब तक सवा करोड़ से अधिक श्रमिकों कामगारों को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य किया गया है। कोविड के दौरान तीन करोड़ छप्पन लाख जनधन खातों में पांच पांच सौ रुपये की धनराशि अन्तरित की गयी।