डॉ दिलीप अग्निहोत्री

भारत में आदिकाल से ही चिकित्सा विद्या का सृजन हो चुका था। उस समय देश के ऋषि आश्रम वैज्ञानिक शोध के केंद्र हुआ करते थे। यहां अनेक विद्याओं के साथ चिकित्सा पर भी अद्भुत शोध व अविष्कार हुए। आयुर्वेद से लेकर योग पर आधारित ग्रन्थों की रचना की गई। हजारों वर्ष बाद भी इनकी उतनी ही उपयोगिता है। इन ग्रन्थों में रोग की औषधि मात्र का उल्लेख नहीं किया गया। बल्कि स्वस्थ जीवन शैली के लिए भी मार्ग दर्शक बिंदुओं का निर्धारण किया गया। इस प्रकार यह आज भी मानव मात्र के लिए महान धरोहर है। क्योंकि इसमें सभी लोगों के कल्याण की कामना की गई। यह सराहनीय है कि उत्तर प्रदेश राजभवन में इस प्रचीन धरोहर को प्रतिष्ठित रखने का प्रयास किया गया है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने धन्वन्तरि जी को हमारे आयुर्वेद का भगवान बताया। कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन आयुर्वेद,दवाई और सुश्रूषा में व्यतीत किया। आयुर्वेद की औषधियां मनुष्यता के लिए जीवन दायनीय है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धनतेरस के अवसर पर उप्र राजभवन परिसर में आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि की प्रतिमा स्थापना तथा आयुर्वेद से संबंधित प्रदर्शनी अत्यंत रोचक एवं प्रेरणास्पद है। राज्यपाल के सान्निध्य में यह कार्यक्रम अत्यंत महत्व का हो गया है। इस अवसर पर राजभवन परिसर में राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने इलायची तथा लौंग के पौधों का रोपण भी किया। आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजभवन में भगवान धनवन्तरि की प्रतिमा का अनावरण किया। उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने आयुर्वेद पर आधारित पाण्डुलिपियों और प्रमुख ग्रंथों पर केन्द्रित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। यह प्रदर्शनी प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित की गयी। उन्होंने ‘भारत के प्राणाचार्य‘ तथा ‘दुर्लभ पाण्डुलिपियों में आयुर्वेद‘ नामक दो पुस्तकों का विमोचन भी किया।

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