डॉ दिलीप अग्निहोत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कोरोना आपदा प्रबंधन के मामले में अव्वल माना जा रहा है। यह किसी राजनीतिक पार्टी की लाइन नहीं है,बल्कि तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष है। इस पूरी अवधि का एक एक पल योगी आदित्यनाथ ने आपदा प्रबंधन के लिए ही समर्पित किया है। वह कमान संभाल कर आगे बढे,तो सरकारी मशीनरी को भी उसी मुस्तैदी से चलना पड़ा। इस दौरान योगी के पूर्व आश्रम पिता का निधन हुआ। वह दुखी थे, लेकिन उन्होंने इसे प्रकट नहीं होने दिया। समाचार मिलने के बाद भी उन्होंने आपदा राहत योजना पर विचार हेतु चल रही योजना को बीच में नहीं छोड़ा,वह राजधर्म का निर्वाह करते रहे। आसुओं को पोंछा, मुख पर मास्क लगाया,जिससे उनके मनोभाव को कोई देख ना सके। प्रदेश के तेईस करोड़ लोगों के हित को वरीयता दी।

आपदा राहत का कार्य बिना किसी व्यवधान के आगे बढ़ता रहा। वस्तुतः कोरोना की आहट और लॉक डाउन की शुरुआत में ही होगी ने प्रदेश में इस जंग का मुस्तैदी से मोर्चा संभाल लिया था। उन्होंने कोई ना रहे भूखा अभियान शुरू किया। देखते ही देखते सभी जनपदों में कम्युनिटी किचेन शुरू हो गए। राशन वितरण भी शुरुआत से ही जारी है। प्रत्येक गरीब के खाते में भरण पोषण भत्ता भेजा जा रहा है। कोरोना से इलाज व बचाव के भी व्यापक प्रबन्ध किये गए। प्रत्येक जनपद में कोविड़ अस्पताल निर्मित हो गए। इनमें तीनों लेवल के अस्पताल शामिल है। सभी में चिकित्सकीय नियमों के अनुरूप उपकरणों व संसाधनों की व्यवस्था की गई। योगी कम्युनिटी किचेन से लेकर अस्पतालों की व्यवस्था का जायजा ले रहे है।

दूसरे प्रदेश से बड़ी संख्या में श्रमिक आने लगे,तब योगी ने उनकी सुरक्षित व सम्मानजनक घर वापसी का अभियान शुरू कर दिया। सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी की संख्या चालीस लाख को पार कर जाएगी। इस पर बसों की लिस्ट का मजाक भी हुआ।

ऐसा करने वालों को राजनीति करनी थी। दूसरी तरफ योगी श्रमिकों के प्रति संवेदनशील थे,वह उन्हें घर पहुंचाना चाहते थे। इसलिए करीब बारह सौ ट्रेन केंद्र द्वारा चलाई गई। योगी ने प्रदेश स्तर पर बारह हजार और जिला स्तर पर कुल पन्द्रह हजार बसों को इस काम में लगाया। इसी के साथ श्रमिकों की जांच,इलाज आदि की व्यवस्था की गई। इस तरह सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित हुई। योगी यहीं नहीं रुके।

सम्मान के साथ श्रमिकों को राशन किट व एक हजार रुपये देने की भी व्यवस्था की गई। वह इससे भी आगे बढे।आयोग गठित करके इन श्रमिकों को रोजगार देने की भी व्यवस्था की जा रही है। श्रमिकों के लिए एमएसएमई सेक्टर,एक जिला एक उत्पाद और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे है। कृषि डेयरी पशुपालन आदि से जुड़ी गतिविधियों में भी रोजगार की बड़ी सम्भावनाएं तलाशी जा रही है। श्रमिकों को इन सेक्टरों से जोड़ा जाएगा।

इनकी दक्षता का विवरण संकलित करने के लिए स्किल मैपिंग का कार्य निरन्तर जारी है। रोजगार हेतु जिला सेवायोजन कार्यालय की उपयोगिता को पुर्नस्थापित किया गया है। वर्षा काल में भी मनरेगा के कार्यों के संचालन की वैकल्पिक सम्भावनाओं पर विचार होगा। औद्योगिक इकाइयों कर्मियों के साथ निर्माण श्रमिकों व परम्परागत कामगारों का एक डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इसमें श्रमिकों के बैंक खातों का विवरण भी रहेगा। वापस आने वाले सभी श्रमिकों व कामगारों की स्क्रीनिंग की जा रही है। आवश्यक होने पर क्वारंटीन सेन्टर अथवा होम क्वारंटीन पर भेजने की व्यवस्था की गई है। होम क्वारंटीन जाने वाले श्रमिकों कामगारों को खाद्यान्न किट व एक हजार रुपये प्रदान किये जा रहे है। इनके राशन कार्ड भी बनाए जा रहे है।

योगी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित बीस लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के तहत आवास निर्माण के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के अधिकारियों को निर्देश दिया है।

आपदा के समय योगी पूरी संवेदनशीलता से काम कर रहे है। वह पीड़ित लोगों की सुविधा के प्रति भी सजग है। योगी कहा कि सभी कोविड अस्पतालों में मरीजों को समय से सुपाच्य, सात्विक और पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। योगी ने इसके लिए समय का भी निर्धारण किया है। दोपहर का खाना एक बजे तक और शाम का खाना सात से आठ बजे के बीच उपलब्ध कराया जाएगा। मरीजों के बेड की बेडशीट्स रोज बदली जाएंगी। मरीजों की लगातार माॅनीटरिंग की जाएगी।

सीनियर डाॅक्टर, नर्स,पैरामेडिक स्टाफ को लगातार राउण्ड लेंगे। मरीजों के प्रति अच्छे व्यवहार की भी नसीहत दी है। सभी जनपदों में वेण्टीलेटर क्रियाशील रखने होंगे। बुजुर्ग,अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों, गर्भवती महिलाओं व बच्चों के प्रति विशेष ध्यान देने को कहा गया है। अस्पतालों में बेड्स की संख्या एक लाख की जा रही है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री तथा स्वास्थ्य मंत्री व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के लिए जिलों का दौरा करेंगे। सभी विभागों की आवश्यक और महत्वपूर्ण निर्माण परियोजनाओं पर कार्य पुनः शुरू होगा। देरी से परियोजनाओं की लागत बढ़ जाती है। योगी ने विश्वास दिलाया कि आवश्यक निर्माण परियोजनाओं के लिए धन की कमी नहीं होनी दी जाएगी। निर्माण परियोजनाओं में श्रमिकों कामगारों के लिए अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे।

परियोजनाओं में कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन अपरिहार्य होगा। श्रमिकों कामगारों को प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार प्रदान किया जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का पैंतालीस प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो गया है। लाॅक डाउन के बावजूद यह परियोजना निर्धारित समय से पहले पूर्ण कर ली जाएगी। बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस वे का कार्य समयबद्ध ढंग से चल रहा है। गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण की कार्यवाही प्रगति पर है। इसके लिए हुडको द्वारा उनतीस सौ करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत कर दिया गया है।

मेडिकल काॅलेजों के निर्माण की गति बढ़ाने के लिए श्रमिकों कामगारों के अधिकाधिक नियोजन पर बल दिया जाएगा। अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय निर्माण कार्य में तेजी लाई जा रही है। प्रत्येक मण्डल में अटल आवासीय विद्यालयों के निर्माण कार्य शुरू होगा। प्रदेश में तीन नए राज्य विश्वविद्यालयों की स्थापना कार्य शुरू किया जाएगा। भूमि की व्यवस्था करने के साथ ही निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय अलीगढ़ हेतु नि शुल्क भूमि उपलब्ध हो चुकी है। स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ कोरोना आपदा के मुकाबले के साथ ही वर्तमान व भविष्य के विकास की कार्ययोजना पर भी अमल कर रहे है।

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