- अभी तक वायरस के 5 म्युटेशन मिले
- वायरस के म्युटेशन पर भारतीय वैज्ञानिकों ने लगाई मुहर
- चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोइन्फार्मेशन ने एक अध्ययन में वायरस के 4300 म्यूटेशन दर्ज
आखिरकार कोरोना वायरस के म्युटेशन यानी स्वरूप बदलने के मामले पर भारतीय वैज्ञानिकों ने मुहर लगा ही दी। अभी तक यही माना जा रहा था कि वायरस में म्यूटेशन नहीं होता। दरअसल यह वायरस जिस देश से निकलकर अगले देश में पहुंचा उसी की जलवायु के मुताबिक इसमे बदलाव हो गया। खुद भारत में 17 देशों के वायरस मिल चुके हैं। इससे यह भी साबित हो रहा है कि अब इस वायरस को मारने में सिर्फ एक तरह की वैक्सीन कारगर नहीं होगी। वैक्सीन पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया अब और लंबा समय ले सकती है।
दरअसल, तीन शोध में भी वायरस का असली रूप पता नहीं चल पाया था। म्युटेशन को लेकर हो रहे शोध के क्रम में सबसे पहले वुहान से लौटे केरल के दो छात्रों पर शोध हुआ। वहां के वायरस और इनमें मिले वायरस में 99.97 फीसदी समानता थी, पर वास्तविक रूप नहीं। इसी तरह जयपुर में संक्रमित मिले इटली के नागरिक व इटली से दिल्ली आए मरीज व उसके आगरा निवासी रिश्तेदारों पर शोध हुआ। वायरस को आइसोलेट कर दवा का परीक्षण चला पर जेनेटिक अंतर काफी मिला।
मगर तीसरे शोध में इन लोगों के अलावा, ईरान-इटली से लाए गए नागरिकों के 21 सैंपल की जांच की गई। इस बार 17 से ज्यादा देशों की समानता तो मिल गई लेकिन वास्तविक जीनोम संरचना नहीं मिली। इस तरह तीन शोधों से मिले नतीजे के बाद से जलवायु और जगह के हिसाब से कोरोना वायरस के स्वरूप बदलने पर अब भारतीय वैज्ञानिकों ने भी मुहर लगा दी है। इसके जीनोम की तलाश कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया कि भारतीय मरीजों में अब तक 17 से भी ज्यादा देशों के वायरस मिल चुके हैं। वायरस के पांच म्यूटेशन यानी आनुवांशिक परिवर्तन भी मिले हैं।
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारतीय मरीजों में अब तक मिलने वाले वायरस किसी एक देश के वायरस जैसे नहीं हैं। मरीज जिस देश से लौटा है, उसमें वहां फैले स्ट्रेन का पता चला है। इससे साबित होता है कि चीन के वुहान से निकला वायरस जिस देश में पहुंचा, वहां के हालात के मुताबिक खुद को ढाल लिया। वैज्ञानिकों ने केरल, इटली, ईरान से लौटे भारतीयों को पांच समूहों बांटा, उनके 21 नमूनों पर अध्ययन किया।
पाया कि हर संक्रमित नमूने में वायरस अलग-अलग देश के मुताबिक व्यवहार कर रहा है। एनआईवी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि तीसरे अध्ययन में भी हमें वह कामयाबी हासिल नहीं हो पाई, जिसके लिए हम दो महीने से लगे हुए थे। हालांकि, लगातार निगरानी से वायरस की पूरी पिक्चर जरूर पता चलेगी। इससे पता लगा सकेंगे कि भारत में कितने स्ट्रेन और म्यूटेशन हैं। इनमें कैसे-कैसे बदलाव हो रहे हैं।
चीन में 4300 म्यूटेशन दर्ज
चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोइन्फार्मेशन ने एक अध्ययन में वायरस के 4300 म्यूटेशन दर्ज किए थे। इन्होंने वुहान में मिले 10 हजार लोगों के सैंपल पर शोध किया था। वहीं, तीन स्ट्रेन ए, बी और सी का पता भी लगाया था, लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों को लगता है कि कुछ स्ट्रेन ऐसे भी हैं जिनकी ताकत का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। मैड रैक्सीव साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में भी घातक म्यूटेशन की पुष्टि हुई।
आगरा के मरीज में नीदरलैंड जैसा स्ट्रेन, जयपुर के मरीज में मिला वायरस भी इसी तरह का
जयपुर में संक्रमित मिले इटली के नागरिकों में चेक गणराज्य, स्कॉटलैंड, फिनलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, शंघाई और आयरलैंड में फैले वायरस के बीच काफी समानता मिली। जबकि दिल्ली के मरीज के संपर्क में आए आगरा के मरीजों में मिलने वाले संक्रमण का स्ट्रेन नीदरलैंड, हंगरी, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसा है।
कुवैत जैसा पांचवां म्यूटेशन मिला
वैज्ञानिकों को आश्चर्य तब हुआ, जब भारतीय मरीज में उन्हें वायरस का पांचवां म्यूटेशन मिला। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कुवैत के मरीजों में देखने को मिला है। इससे पहले, भारत में दो म्यूटेशन पता चल चुके थे, लेकिन अब तीन और सामने आ चुके हैं।