डॉ दिलीप अग्निहोत्री

सूर्य देव ऊर्जा के असीमित स्रोत है। भारत के ऋषियों ने आदिकाल में ही उनकी महिमा पर वैज्ञानिक शोध किये है। उनकी दिव्यता को प्रणाम किया था। आधुनकि विकास में ऊर्जा की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसके उत्पाद के आधुनिक संसाधन सीमित है। इनमें से कुछ को तो हानिकारक भी माना गया। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में ही अंतरराष्ट्रीय सौर ऊर्जा एलायंस या क्लब की स्थापना का प्रस्ताव किया था। जिस प्रकार उनके अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्रस्ताव को अभूतपूर्व समर्थन मिला था, वही इसमें भी देखा गया। कुछ ही समय में करीब सौ देश सौर ऊर्जा एलाइंस के सदस्य बन गए। ये वह देश है जिनपर सूर्य देव की कृपा रहती है। यह सभी सौर ऊर्जा के बल पर विकास करने की क्षमता रखते है। अनेक देशों के बीच सौर ऊर्जा पर साझा प्रयास करने के करार भी हुए है। इस दिशा में लगातार प्रगति भी हो रही है।

ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये अंतरराष्ट्रीय सोलर एलायंस का निर्माण किया गया था। नरेंद्र मोदी ने ठीक कि हमारे देश में सूर्य उपासना का विशेष स्थान है। सूर्य हमको पवित्र करता है, हमारे लिये अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत भी है। सूर्य श्योर एवं सिक्योर ऊर्जा देता है। इसकी ऊर्जा श्योर अर्थात सदा सर्वदा है,प्योर अर्थात पर्यावरण के लिये सुरक्षित एवं शुद्ध है,और सिक्योर अर्थात हमेशा के लिये है। यह हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकती है। भारत की सस्ती सौर ऊर्जा की पूरी दुनिया में चर्चा है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम विश्व के शीर्ष पांच देशों में पहुँच गये हैं। भारत ने सिद्ध कर दिया है कि सौर ऊर्जा अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण दोनों की दृष्टि से लाभदायी है। वर्ष दो हजार चौदह में जहां सौर ऊर्जा की कीमत सात से आठ रुपये प्रति यूनिट हुआ करती थी, आज वह घटकर दो ढाई रुपये प्रति यूनिट हो गयी है।

प्रधानमंत्री ने रीवा के मेगा सोलर प्लांट का ऑनलाइन लोकार्पण किया। यह एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है। इसीलिए मोदी ने कहा कि रींवा अब तक मां नर्मदा व सफेद बाघों के लिए प्रसिद्ध था,अब इसकी पहचान सोलर ऊर्जा उत्पादन से भी होगी। यह सस्ती बिजली का उत्पादन बड़ी उपलब्धि है। सोलर बिजली आत्मनिर्भर भारत के लिये आवश्यक है। साफ सुथरी ऊर्जा के प्रति सरकार संकल्पित है। इससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी। बिजली आधारित परिवहन की व्यवस्था के प्रयास किये जा रहे हैं। देश में गत वर्षों छतीस करोड़ एलईडी बल्ब के माध्यम से लगभग छह सौ अरब यूनिट बिजली बचाई गई है। सभी लोगों तक सस्ती बिजली पहुंचाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य चल रहा है। शासन ऐसी योजना बना रहा है, जिसके माध्यम से अब किसान अपनी बंजर एवं अनुपयोगी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर बिजली का उत्पादन कर सकेंगे। वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति के साथ ही दूसरों को भी बिजली दे सकेंगे। अन्नदाता किसान अब ऊर्जादाता भी बन सकेगा। एशिया के सबसे बड़े रीवा सोलर प्लांट का साढ़े सात सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। इसके अलावा शीघ्र ही शाजापुर,नीमच, छतरपुर और ओंकारेश्वर डैम से भी सोलर एनर्जी का उत्पादन होगा।

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