1. सेंट्रल टेक्सास फूड बैंक की ट्रेविस काउंटी सेंटर में भोजन लेने वालों की संख्या 207% बढ़ी
  2. अब तक बेरोजगारी भत्ते के लिए 2.60 करोड़ से ज्यादा दावे
  3. कई स्थानों पर खाना लेने के लिए सैकड़ों कारों की कतार लगती है

अमेरिका। क्या कभी किसी ने सोचा था कि अमेरिका जैसे देश के लोग खाने के लिए फ़ूड बैंक पर लाइन लगाएंगे ? कोरोना जैसी बीमारी के आगे यह सर्व शक्तिमान देश घुटने टेक देगा ? मगर यह सत्य है। लोग कारें लेकर फ़ूड सेंटर खाना लेने आ रहे हैं जबकि अमेरिका में इन सेंटरों की स्थापना आज के 56 साल पहले ग्सरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए की गई थी।

1964 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन द्वारा शुरू की गई फूड बैंक योजना से अमेरिका में कोरोना संकट के दौरान लाखों लोगों को सहारा मिला है। यह योजना गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए है। लेकिन, बेरोजगारी बढ़ने और कारोबार ठप पड़ने के कारण कई लोग जीवन में पहली बार फूड बैंक से खाने-पीने का सामान लेने के लिए मजबूर हैं।
कई स्थानों पर खाना लेने के लिए सैकड़ों कारों की कतार लगती है।

राइट स्टेट यूनिवर्सिटी, फुटबॉल स्टेडियम में डेटन फूडबैंक ने इमरजेंसी भोजन वितरण सेंटर शुरू किया है। वहां 21 अप्रैल को 4500 से ज्यादा लोगों को दो सप्ताह का खाने का सामान जैसे चिकन कटलेट, छोले, खीरा, अंडे, प्रोटीन शेक, आलू, चावल और तरबूज दिए गए। कुछ सेंटरों पर हर दिन 1200 तक कारें खाना लेने आ रही हैं।

पिछले सप्ताह 44 लाख लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए दावा किया था। इस तरह 14 मार्च के बाद अब तक दो करोड़ 60 लाख से अधिक दावे दाखिल किए जा चुके हैं। इस कारण लोग फूड बैंक का रुख कर रहे हैं। थ्री स्केवयर फूड बैंक, लास वेगास ने कुछ सप्ताह पहले जब भोजन वितरण का नया सिस्टम शुरू किया तो उसे हर दिन प्रत्येक सेंटर पर 200 से 250 कारें आने का अनुमान था। अब कुछ सेंटरों पर हर दिन 1200 तक कारें खाना लेने आ रही हैं। सेंट्रल टेक्सास फूड बैंक की ट्रेविस काउंटी सेंटर में भोजन लेने वालों की संख्या 207% बढ़ी है।

फूड बैंक सरकारी मदद के अलावा स्वयंसेवी संगठनों और दानदाताओं के दान से चलते हैं। कोविड संक्रमण के बाद डोनेशन में मिलने वाले सामान में कमी आई है। ग्रेटर शिकागो फूड बैंक ने बताया कि उसे गैर सरकारी स्रोतों से मिलने वाले सामान में मार्च 2019 की तुलना में 30% गिरावट आई है। फूड बैंकों में काम करने वाले स्वयंसेवकों की संख्या भी घटी है। 65 साल से अधिक आयु के लोगों के अधिक संख्या में बीमार पड़ने के कारण सेंटरों में स्वयंसेवकों की कमी हो गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here