सत्यम ठाकुर, ब्यूरो चीफ, गुजरात.
गड़बड़ी का एपिक सेंटर है अहमदाबाद का सिविल अस्पताल
अहमदाबद का सिविल अस्पताल परिसर में बना कोविड स्पेशल हॉस्पिटल लगातार विवादों में घिरा हुआ है और रविवार को हद तो तब हो गई। जब दो परिवारों को सिविल अस्पताल ने फोन कर कहा के उनके परिजनों को अन्य वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। जबकि परिवार पहले ही उनकी अंतिम संस्कार कर चुके थे। कोरोना महामारी आने के बाद बनाई गई स्पेशल कोविड अस्पताल के शुरू होने के बाद से ही ऐसे न जाने कितने लापरवाही के किस्से सामने आते रहे है।
ये हैं गुजरात के अहमदाबाद का शानदार हास्पीटल। जिसको लोग अहमदाबाद में सिवील हास्पीटल के नाम से जानते हैं। लेकिन कोरोना काल में इसे अब लोग कालकोठरी के नाम से भी जानने लगे हैं। आपको याद होगा अभी कुछ दिन पहले ही गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को कालकोठरी से भी बदतर बताया था। आप समझ सकते है सिविल अस्पताल में इलाज की व्यवस्था का क्या आलम होगा कि हाईकोर्ट को ऐसी बात कहनी पड़ी। आये दिन सिविल अस्पताल की लापरवाही के मामले सामने आ रहे है। रविवार को सामने आये दो मामलो ने तो सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर सिविल अस्पताल में हो क्या रहा है। यहाँ कोई नियम कायदा कानून या देखरेख करने वाला कोई है या नहीं। यहां नियम नाम की कोई चीज हैं या नही।
रविवार के दोपहर को उस वक्त एक परिवार में खलबली मच गई जब उन्हें सिविल से फोन कर ये कहा गया की उनके परिजन की हालत अब ठीक है और उन्हें आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। अब आप सोच रहे होगें कि ये तो अच्छी बात हैं कि परिजन ठीक है। लेकिन अब आप जानकर हैरान हो जायेगे कि जिस परिवार को सिवील अस्पताल से फोन आया था उस परिवार ने तो अपने परिजन का अन्तिम संस्कार पहले कर चुका था।
हैरान करने वाला यह मामला अहमदाबाद के निकोल का है। जहां देवराम भाई को 28 मई को डाइवीटिज बढ़ जाने से सिविल अस्पताल में भर्ती किया गया था। 29 मई दोपहर उनकी मौत हो गई। कपडे देख परिवार ने मृतदेह देवराम का है ऐसा मान कर परिवार के दो सदस्यों ने पीपीई किट के साथ उनका अंतिम संस्कार भी कर दीया। उसके बाद सिविल अस्पताल से अगले दिन फोन आया कि देवराम की तबियत स्थिर है और उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा है। ये सुनते परिजनों के होश उड़ गए वो सोच में पड़ गए कि आखिर उन्होंने किसका अंतिम संस्कार कर दिया हैं। बाद में प्रेस रिलीज़ जारी कर इस कण्ट्रोल रूम की भूल बताया और शव देवराम का ही होने की पुष्टि की गई। अभी इसकी चर्चा थमी भी नहीं थी कि दरियापुर से सागर शाह का एक वीडियो सामने आया जिसमे उन्होंने खुद को ऐसी ही भूल का शिकार बताया। सागर के पिता कोरोना ग्रस्त किशोर शाह का GCRI हास्पिटल में 16 मई को देहांत हो गया। 30 मई को मृतक के पुत्र सागर के मोबाइल में सिविल अस्पताल से मेसेज आया की उसेक पिताजी को GCRI हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया हैl सागर परेशान हो गया की आखिर अंतिम क्रिया के 14 दिन बाद ये फोन क्यों आया और अगर किशोर शाह मर चुके है तो मृतक किशोर के नाम पर किस को शिफ़्ट किया गया?
ऐसे और कई मामले है जो हमारी छानबीन में सामने आये जिससे सिविल अस्पताल की घोर लापरवाही उजागर होती है
सिविल हास्पीटल की लापरवाही
- 19 अप्रैल को दो पुलिस कांस्टेबल ने सिविल की अव्यवस्था पर सवाल उठाया था जब कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें सिविल ले जाया गया तो न वहां बेड था न ही पंखे जिसे लेकर उन्होंने कण्ट्रोल रूम में लिखित शिकायत की थी।
- मध्य अप्रैल में ही सिविल अस्पताल में मिल रहे भोजन पर भी सवाल उठाया गया था। मरीजों द्वारा जिसकी खबरे मीडिया में आने के बाद खाने का कॉन्ट्रैक्ट बदला गया।
- 30 अप्रैल को खबर आई थी कि कोरोना मरीज के रिस्तेदार को मरीज के साथ जबरन अस्पताल में रोका जा रहा था। सिविल के कोरोना अस्पताल के डी विंग के सी वार्ड से एक वीडियो आया था सामने जिसमे साफ़ देखा जा रहा था कि कोरोना मरीजों के बगल में ही मरीज के रिश्तेदार को रखा गया था। ( इसका फोटो फीड में है जिसमे महिला पीला सलवार पहन लेती हुई है )
- अहमदाबाद के गोमतीपुर इलाके से कोरोना पाजीटिव पाए जाने के बाद महेश राठोड को 4 मई को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। घरवालों का आरोप है कि 14 मई को उन्हें बताया गया की 6 मई को ही महेश भाई की मौत हो गई थी इस पर भी काफी विवाद हुआ था ( इसकी पिक फीड में है जैकेट और काला चस्मा पहना है )
- 10 मई को कोविद अस्पताल के बाथरूम से महिला का मृतदेह पाया गया था जिसके कारणों का अभी तक खुलासा नहीं किया गया
- सिविल में भर्ती मरीज की लाश बस स्टैंड पर मिली। 10 मई को दांडिलिमड़ा इलाके के एक 67 साल के वृद्ध गणपत मकवाणा को सांस की तकलीफ के बाद सिविल अस्पताल के कोरोना वार्ड में शिफ्ट किया गया 14 मई को कोरोपोरशन के अधिकारी घर पर आकर क्वारंटाइन का बोर्ड लगाकर गए और 15 तारीख को कॉल आया की गणपत भाई की लाश बीआरटीएस स्टॉप पर मिली जांच में पाया गया की उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने पर उसी बस स्टॉप पर उतारा गया था जहा वो सो गए थे और उसके बाद उनकी लाश की खबर सामने आई। घरवालों के आरोप के मुताबिक पोस्टमार्टेम रूम का भी घरवालों को कड़वा अनुभव हुआ। जहां उनसे लाश को लपेटने के लिए प्लास्टीक मंगाई गई और दवा छिड़काव के पैसे लिए गए
- 24 मई को 45 वर्षीय महिला की कोविड स्पेशल हॉस्पिटल में मौत के बाद पता चला की वो पॉजिटिव थी ही नहीं उसकी रिपोर्ट के पहले ही उसे कोविद अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था ,महिला को साँस लेने में तकलीफ थी उस वक्त बिना किसी अन्य बीमारी की जांच के महिला को कोरोना वार्ड में दाखिल कर दिया गया जहा उसकी मौत हो गई
- सिविल असपताल में कोरोना के मरीज ऐसे डाक्टरों के भरोसे है जिनकी जरुरत नहीं है , ऑर्थोपेडिक , स्किन विशेषयज्ञ , गायनेक , सर्जरी जैसे विभागों के डाक्टर के हवाले है कोरोना मरीज क्यूंकि सीनियर डाक्टर कोरोना से दूर रहना चाहते है
- शक्तिसिंह गोहिल ने एक ट्वीट कर सिविल के किडनी कोविद अस्पताल में बिजली चले जाने से मरीजों को हो रही परेशानी पर सवाल उठाया था।
- सिविल अस्पताल को लेकर लगातार सवाल उठा रहे कांग्रेस विधायक की माने तो मई के आखिरी सप्ताह में कोरोना वार्ड में नजमाबीबी नाम की एक महिला की इसलिए मौत हो गई क्यूंकि उसे वेंटीलेटर की पाइप गलत तरीके से लगाईं गई
- सिविल अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए उपयोग में लाये जा रहे स्वदेशी वेंटीलेटर धमण पर भी काफी विवाद हुआ है जिसके बाद सिविल में गुजरात के दूसरे जिलों से हाई एन्ड वेंटीलेटर मंगाये गए है ताकि मौत के आकड़ो को घटाया जा सके वही स्वदेशी वेंटीलेटर को स्टोर रूम में रख देने की तस्वीरें भी सामने आई है
ऐसी और ना जाने कितनी घटनाएं है जो बाहर ही नहीं आ रही है ऐसा लगता है सिविल अस्पताल और यहाँ भर्ती मरीज दोनों ही राम भरोसे है हलांकि इस पर राजनीती जमकर हुई बीजेपी और कोंग्रेस दोनों ही इस मामले में अपनी राजनीती चमकाने और एक दूसरे को भला बुरा कहने में पीछे नहीं रहे। कांग्रेस जहां सिविल की लापरवाही को लेकर लगातार अस्पतल के दौरे से लेकर हाई कोर्ट और मानव अधिकार आयोग तक सरकार पर आरोप लगाती रही वही बीजेपी इसे सिर्फ राजनितिक स्टंट करार देती रही है
इस मामले में सिविल अस्पताल के कर्ताधर्ता डॉ प्रभाकर ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया बहरहाल इन सबके बीच गुजरात में कोरोना मरीजों की संख्या 17 हजार को छू रही है वही मौत का आकड़ा हजार पार कर चूका है ऐसे में सिविल में हो रही ये गड़बड़िया कोरोना के प्रकोप से निजात दिलाने के बजाय लोगो की परेशानियां और ज्यादा बढ़ा रही है।