डॉ दिलीप अग्निहोत्री
राज्यपाल गरीब व ग्रामीण बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य के प्रति बहुत संवेदनशील है। इसके लिए वह अपने स्तर से भी प्रयास करती है। उनका मन्तव्य है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को आकर्षण का केन्द्र बनना चाहिए। राज्यपाल ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को निर्देश दिया कि वे अनिवार्य व नियमित रूप से पठन पाठन एवं खेलकूद सामग्री बच्चों को उपलब्ध करायें। उन्होंने ग्रामवासियों से अपील की कि वे अपने आंगनवाड़ी केन्द्रों व प्राथमिक विद्यालयों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। कहा कि महिलाओं के उचित पोषण के लिये सरकार पांच हजार रूपये उपलब्ध कराती हैं। जिससे महिलाओं की उचित पोषण की व्यवस्था हो सके। आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों की यह जिम्मेदारी है कि वह गर्भवती महिलाओं से हिसाब का ब्यौरा लेती रहें ताकि यह पैसा व्यर्थ न जाये।
बच्चों को आकर्षक शिक्षा
आनंदीबेन पटेल विकास खण्ड सरोजनीनगर के ग्राम धामापुर में चालीस आंगनवाड़ी केन्द्रों के बच्चों को खेल खेल में शिक्षण कार्य से जुड़े खेलकूद के सामान उपलब्ध कराते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अब शिक्षा पद्धति बदल गई है। पूर्व में हम चाॅक और स्लेट पर पढ़ते थे लेकिन आज के बच्चों की बौद्धिक क्षमता अधिक है इस दृष्टि से शिक्षा जगत में बदलाव किये जा रहे है, जिन्हें अपनाने की जरूरत है, शिक्षकगण उसी के अनुसार अपने को अपडेट करें। नवीनतम शिक्षा पद्धति के तहत आज बच्चों को ये सामान उपलब्ध कराये जा रहे है,जो राजभवन की प्रेरणा से डा एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ से सम्बद्ध छब्बीस इंजीनियरिंग कालेजों के सहयोग से दिया गया है।आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को इनके मिलने से उनमें आकर्षण पैदा होगा और वे आंगनबाड़ी केन्द्रों पर प्रसन्नता से आयेंगे।
सुपोषण पर ध्यान
राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार कुपोषित बच्चों के लिये उचित पोषण की व्यवस्था आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से करती है। कोरोना के कारण अभी तक आंगनवाड़ी केन्द्र बंद थे,किन्तु अब कोरोना धीरे धीरे समाप्त हो रहा है और आंगनबाड़ी केन्द्र खुल रहे हैं। अब पुनः राज्य सरकार का पोषण उन्हें मिलने लगेगा। समस्त अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र भेजना सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं ग्राम प्रधान,ग्राम पंचायत सदस्य तथा अन्य अभिभावक आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आयें और आहार का परीक्षण भी करें। उन्होंने कहा कि सबकी जिम्मेदारी है कि गांव में एक भी बच्चा टीबीग्रस्त और कुपोषित न हो।