उत्तर प्रदेश के चुनावी इतिहास में चार दशक बाद योगी आदित्यनाथ ने नया अध्याय जोड़ा है। इस अवधि में वह लगातार दूसरी बार जनादेश हासिल करने वाले पहले मुख्यमंत्री है। चुनावी समर में लोकप्रियता या समीकरण के बल पर एक बार सफलता मिल सकती है। लेकिन दूसरी बार की सफलता नेतृत्व की नेकनीयत व विश्वसनीयता पर आधारित होती है। तब नेतृत्व के यह दो गुण कारक बन जाते है। इस कारण चालीस वर्षों के दौरान किसी मुख्यमंत्री को दुबारा जनादेश नहीं मिला। योगी आदित्यनाथ अपनी नेकनीयत व विश्वसनीयता को कायम रखने में सफल रहे। केंद्र में नरेंद्र मोदी को भी इस आधार पर सफलता मिलती रही है। गुजरात के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी यह विशेषता कायम रखी। इस धरातल पर नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ एक ही धरातल पर है। दोनों परिवारवाद की राजनीति से दूर है। समाज सेवा में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से समर्पित रहते है। विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संशय था। उस समय योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार की जगह कोरोना आपदा प्रबंधन को वरीयता दी थी। वह राजधर्म का निर्वाह कर रहे थे। जनपदों की यात्रा कर रहे थे। सभी जगह कोरोना चिकित्सा व्यवस्था का जायजा ले रहे थे। आपदा प्रबंधन की पूरी व्यवस्था के बाद ही उन्होंने चुनाव प्रचार की तरफ ध्यान दिया था। इसी प्रकार चुनाव परिणाम आने के बाद वह जन कल्याण कार्यों में सक्रिय हो गए। उन्होंने बारह से चौदह वर्ष आयु के बच्चों के वैक्सीनेशन अभियान का शुभारंभ किया। इसके दृष्टिगत प्रदेश में इस अभियान के सुचारू संचालन हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया।

कोरोना आपदा प्रबंधन में योगी मॉडल की प्रशंसा दुनिया में रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसकी सराहना की थी। अमेरिका की चर्चित टाइम मैगजीन ने योगी आदित्यनाथ पर आवरण रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस पूरी अवधि में योगी आदित्यनाथ ने कई बार प्रदेश की यात्राएं की थी। वह अनवरत प्रबंधन का जायजा लेते रहे। वैक्सिनेशन के संबन्ध में भी केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का प्रभावी संचालन सुनिश्चित किया गया। योगी आदित्यनाथ वैक्सिनेशन केंद्रों में पहुंच कर लोगों का उत्साह वर्धन करते रहे। इसके साथ ही समाज को जागरूक बनाने का भी कार्य किया गया। इसके चलते उत्तर प्रदेश ने वैक्सिनेशन का रिकार्ड कायम कर दिया। यह यात्रा अगले चरण के रूप में जारी है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सर्वाधिक टेस्ट व सर्वाधिक वैक्सीनेशन करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। राज्य में अब तक करीब तीस करोड़ वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं। प्रदेश में वैक्सीन की पहली डोज के शत प्रतिशत से अधिक के लक्ष्य को प्राप्त किया जा चुका है। अब तक एक सौ तीन प्रतिशत से ऊपर वैक्सीन की प्रथम डोज पूरे प्रदेश में उपलब्ध करवाई जा चुकी है। सेकेण्ड डोज भी प्रदेश में बयासी प्रतिशत से अधिक लोगों ने ले ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बारह से चौदह आयु वर्ग के बच्चों के कोविड टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय में किया था। बारह से चौदह साल के बच्चों को प्रदेश के तीन सौ केन्द्रों में यह वैक्सीन उपलब्ध करवाई जा रही है। सभी के लिए प्रर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध है। कोरोना के मुकाबले हेतु लागू किए गये फोर टी फॉर्मूले के तहत ट्रेस,टेस्ट,ट्रीट और टीका,इन सभी में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। सत्तानबे प्रतिशत हेल्थ वर्कर्स,कोरोना वॉरियर्स तथा कोमॉर्बिड सीनियर सिटिजन को प्रिकॉशन डोज उपलब्ध करवायी जा चुकी है। पन्द्रह से सत्रह आयु वर्ग के करीब एक करोड़ तीस लाख बच्चों को वैक्सीन की प्रथम डोज दी गई है। यह लगभग बनावे प्रतिशत है। सैंतालीस प्रतिशत बच्चों को दूसरी डोज भी दी जा चुकी है। विशेषज्ञों को आशंका है कि फोर्थ वेव भी आ सकती है। इसलिए सतर्कता और सावधानी बरतना आवश्यक है।

योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाकर पल्स पोलियो अभियान का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि सरकार पोलियो उन्मूलन अभियान को तब तक जारी रखेगी,जब तक पूरी दुनिया से यह बीमारी समाप्त नहीं हो जाती है। पल्स पोलियो अभियान के तहत प्रदेश में पांच वर्ष तक के तीन करोड़ अस्सी लाख बच्चों को पोलियोरोधी ड्रॉप पिलायी जाएगी। इतने बच्चों को बीमारी से सुरक्षा कवर देने के लिए एक लाख दस हजार बूथ बनाए गए हैं। साथ ही,छिहत्तर हजार से अधिक सचल टीमें लगाई गई हैं। पल्स पोलियो अभियान के अलावा बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए मिशन इंद्रधनुष भी चलाया जाता है। मासूमों को पूरा टीकाकरण कवरेज समय पर दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश ने बारह वर्ष पूर्व ही पोलियो की समस्या पर समाधान प्राप्त कर लिया है। परन्तु इन बारह वर्षों में कुछ देशों में पोलियो के मामले सामने आए हैं। बीमारी संक्रामक वायरस दुनिया से समाप्त नहीं हो जाता, तब तक खतरा बना रहता है। इसलिए पोलियो उन्मूलन होने तक सार्थक प्रयास आवश्यक हो गए है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में चार दशकों तक इंसेफेलाइटिस का प्रकोप रहा। पिछली सरकारों ने इसके समाधान पर उचित ध्यान नहीं दिया। योगी आदित्यनाथ इस समस्या के प्रति संवेदनशील रहे है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस समस्या के समाधान का अभियान शुरू किया। इसके अंतर्गत अनेक स्तरों पर प्रयास किये गए। इंसेफलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण हेतु अंतर्विभागीय समन्वय स्थापित किया गया। पांच वर्ष में इसके उपचार व सम्पूर्ण उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए गए। इंसेफलाइटिस से होने वाली मौत के आंकड़े पंचानबे प्रतिशत तक नियंत्रण में हैं। अब इसके सम्पूर्ण उन्मूलन का संकल्प लिया गया है। सरकार इसके पूर्ण समाधान के लिए कटिबद्ध है। इसके नियंत्रण में स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय व मजबूत हुए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का बड़ा योगदान है। कोरोना महामारी के दौरान भी उत्तर प्रदेश में प्रभावी आपदा प्रबंधन की दिशा में प्रयास किये गए। यह आपदा बिल्कुल नई थी। दुनिया में इसके मुकाबले की कोई व्यवस्था नहीं थी। क्योंकि किसी को भी इस संकट की कल्पना तक नहीं थी। शुरुआत में यहां आरटीपीसीआर जांच की सुविधा नहीं थी, जबकि आज प्रदेश के हर जिले में आरटीपीसीआर लैब है।प्रतिदिन चार लाख आरटीपीसीआर जांच की क्षमता है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक जांच व वैक्सीन देने वाला राज्य है। उपचार के लिए सर्वाधिक बेड्स व सुविधाएं उत्तर प्रदेश में हैं। पहले छत्तीस जिलों में वेंटिलेटर नहीं थे। आज हर जनपद में यह सुविधा हैं। प्रदेश में लगभग तीस करोड़ कोविड वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। पांच वर्ष में उत्तर प्रदेश का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर सुदृढ़ हुआ है। एक जिला एक मेडिकल कॉलेज योजना पर तेजी से कार्य चल रहा है।

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