उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सहयोगियों के साथ द केरला स्टोरी
फिल्म देखी. इसके पहले प्रदेश में इस फिल्म को टैक्स फ्री किया गया था. यहां की सरकार ने सच्चाई को छिपाने का प्रयास नहीं किया. देश और समाज को समय रहते शांति और सौहार्द के मार्ग तय करने होंगे. पहले कश्मीर घाटी फिर केरल, पश्चिम बंगाल की घटनाएं चेतावनी की तरह हैं. य़ह सही है कि ऐसी हरकतें कुछ ही लोग करते है. ऐसे लोगों के विरुद्ध कदम उठाना राष्ट्रीय सहमति का विषय होना चाहिए. भारतीय समाज सौहार्द के साथ रहना चाहता हैं. इसमें बाधक तत्वों की पहचान जरूरी हैं. सेक्युलरिज्म के नाम पर वोटबैंक की सियासत ठीक नहीं है. उत्तर प्रदेश में विगत छह वर्षों से सभी पंथ मज़हब के लोग निर्बाध रूप आमने आयोजन करते है. समाजिक शांति सौहार्द बना रहता है. प्रदेश दंगा मुक्त हुआ. सरकार की योजनाओं का लोगों को बिना भेदभाव के लाभ दिया जा रहा है. यही वास्तविक सेक्युलरिज्म है. इस तथ्य को समझने की आवश्यकता है. द केरला स्टोरी को लेकर दो प्रकार की विचारधारा आमने सामने है. एक तरफ इस फिल्म को टैक्स फ्री करने वाले राज्य हैं,दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल जैसे राज्य है,जो इस पर प्रतिबन्ध लगा रहे हैं. प्रतिबन्ध के हिमायती कुछ राज्यों के अरमान पूरे नहीं हो सके. देश में प्रचलित दो प्रकार की विचारधारा आमने-सामने है. अपने को सेक्युलर कहने वाले इस फिल्म के विरोधी हैं. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी है. उसकी नजर में विरोध की य़ह राजनीति ही क्षद्म सेक्युलरिज्म है. ऐसी पार्टियों को केवल वोटबैंक और चुनाव की ही चिंता रहती है. देश और समाज के व्यापक हित और भविष्य की ऐसे लोगों को कोई चिंता नहीं रहती. ऐसी ही पार्टियों की सरकारों ने दशको तक कश्मीर घाटी की सच्चाइयों को दबाने का प्रयास किया. कश्मीर घाटी से हिन्दुओं का पलायन चलता रहा. कश्मीर फ़ाइल फिल्म ने य़ह सच्चाई दिखाई थी. इसलिए उसका भी विरोध हुआ. केरल में भी ऐसे ही सेक्युलर लोगों की सरकारें रही हैं. यहां की सच्चाइयों को इन सरकारों ने दबाया. केरला फिल्म ने वास्तविकता सामने ला दी. अब अपने को सेक्युलर बताने वालों को य़ह बर्दास्त नहीं हो रही है. जाहिर है कि इन्हें देश के भविष्य की चिंता नहीं है. इनकी सरकारें चलती रहें बनती रहें,इतना ही इनका लक्ष्य है. पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद राजनीतिक हिंसा होती है. सरकार खामोशी से सब देखती है. हिन्दुओं की धर्मिक यात्रा पर हमले होते है. सरकार फिर खामोश रहती है. क्योंकि यही उनका सेक्युलरिज्म है. उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने एक तरह
द केरला स्टोरी की सराहना की दूसरी तरफ इसके विरोध में चल रही राजनीति पर जमकर प्रहार किया. डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि द केरला स्टोरी फिल्म से आतंकवाद का क्रूर चेहरा बेनकाब हुआ है. लेकिन विपक्ष वोटबैंक राजनीति के चलते इस सच्चाई को दबाना चाहता है. यही कारण है कि पश्चिम बंगाल में इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. उन्होंने कि विपक्षी दल देश में एक वर्ग विशेष को दोयम दर्जे का नागरिक देखना चाहते हैं। केरला स्टोरी फिल्म पर विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों में लगाई जा रही रोक को दुर्भाग्यपूर्ण है. य़ह एक वास्तविकता को नकारने का षडयंत्र है. ऐसा करके सच्चाई पर परदा डालने का प्रयास किया जा रहा है। आज केरल से अधिक अत्याचार बंगाल में हो रहा है। विपक्ष को देश की चिन्ता ही नहीं है । टीएमसी जैसी पार्टी तो जैसे अखंड बांगलादेश का सपना देख रही है क्योंकि उनका अधिकांश वोटर जाली मतदाता पत्र बनवाकर वहीं से आता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में भाजपा बडे अन्तर से जीत दर्ज करने जा रही है। यह चुनाव कांग्रेस को राजनीति के आईसीयू में पहुचा देगा।
एक बयान में डा शर्मा ने कहा कि देश में इस समय बिहार से विपक्ष के दो बेचारे नेता ठगबंधन के लिए नए साथियों की तलाश में दर दर भटक रहे हैं. लेकिन कोई भी उनके साथ आने को तैयार नहीं हो रहा है। अब उडीसा के सीएम ने उनके अभियान को लाल झंडी दिखा दी है। ये ऐसे लोग है जिनसे उनका खुद का घर तो उनसे संभल नहीं रहा है। जदयू तो आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद पर अभी नो वैकेंसी है प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा पिछली के मुकाबले अधिक बहुमत से विजयी होगी. नरेंद्र मोदी लगतार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में भाजपा एकतरफा जीत दर्ज करने जा रही है। इन चुनाव में विपक्षी दलों के महापौर प्रत्याशियों की जमानत तक नहीं बचेगी। सपा बसपा और कांग्रेस की बची खुची उम्मीद पर जनता पानी फेरने का काम करेगी। पीएम मोदी और सीएम योगी की सरकार के कार्यों ने लोगों के दिलों को जीत लिया है। विपक्षी दलों की सत्ता पर काबिज होकर अपना स्वार्थ साधने की कलई भी खुल चुकी है।