रिपोर्ट डॉ दिलीप अग्निहोत्री
करीब चार दशकों की प्रतीक्षा के बाद भारत को नई शिक्षा नीति मिली है. यह पूरी तरह भारतीय परिवेश के अनुरूप है. विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास का अवसर मिलेगा. भारत कभी विश्व गुरु हुआ करता था. दुनिया के अनेक देशों से लोग यहां ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे. नई शिक्षा नीति देश को उसी गौरव की ओर अग्रसर करेगी. योगी आदित्यनाथ ने इसके लिए प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया. कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश के विश्व गुरु होने की अनुभूति की अनुभूति कर रहा है. शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में मूल्यों, आदर्शों तथा राष्ट्रीयता के विपरीत किसी नई धारा को जन्म नहीं देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने ‘हायर एजुकेशन काॅन्क्लेव उच्च शिक्षा नीति मंथन कार्यक्रम को संबोधित किया. इस कान्क्लेव का आयोजन प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग तथा टाइम्स ऑफ इण्डिया ग्रुप की ओर से किया गया. इसका नाॅलेज पार्टनर डेलाॅएट है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन के पूर्व ही उच्च शिक्षा संस्थानों में निवेश के 54 प्रस्ताव अब तक प्राप्त हो चुके हैं। नये विश्वविद्यालय तथा नये शिक्षा केन्द्र स्थापित करने के लिए 01 लाख 57 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 ने कुछ अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के कैम्पस भी स्थापित करने की स्वतंत्रता दी है।
राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र में नये विश्वविद्यालय स्थापित करने के मार्ग पर आने वाली सभी बाधाएं हटा ली है। राज्य में अपना निजी विश्वविद्यालय अधिनियम है। यह अधिनियम सभी के लिए समान रूप से लागू है।
इनोवेशन के लिए अपने युवाओं को प्रेरित करना होगा। उत्तर प्रदेश अपनी कृषि योग्य भूमि से तीन गुना अधिक खाद्यान्न उत्पादन करने की क्षमता रखता है। इसके लिए कृषि के नये स्टार्टअप स्थापित करने की दिशा में कार्य प्रारम्भ करना होगा। विश्वविद्यालयों को इसका केन्द्र बनाना होगा।स्टार्टअप की सम्भावनाएं आईटी एवं आईटीईएस के साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी है।
शैक्षिक संस्थानों को उद्योगों के साथ प्रारम्भ से ही एमओयू करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों को स्थानीय स्थितियों पर कार्य करना चाहिए। सरकार जब भी कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करती है, तो इसके लिए सोशल इम्पैक्ट स्टडी कराती है। विश्वविद्यालयों को सरकार के लिए यह स्टडी करनी चाहिए। इस कार्य के लिए संस्थानों को अपने आपको तैयार करना चाहिए। जिस क्षेत्र में आपका विश्वविद्यालय स्थापित है, वहां के समाज के प्रति आपकी जवाबदेही भी है। उन लोगों की सामाजिक तथा भौगोलिक स्थिति के बारे में आपके पास स्टडी होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के देशों के लिए वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय सीमा तय की है। यह कार्य सरकार के साथ-साथ हमारे शैक्षिक संस्थानों का भी है।
शैक्षिक संस्थाओं को समाज की हर समस्या पर अध्ययन करने का केन्द्र बनाना चाहिए। निजी क्षेत्र, राज्य शासन अथवा केन्द्रीय शासन से जुड़ी सभी संस्थाओं को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता तथा प्रसार में वृद्धि हुई है।
इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री गुलाब देवी, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री रजनी तिवारी, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र,प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री सुधीर एम बोबडे, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद भी उपस्थित थे.