लेखक डा.आशीष तिवारी मुंबई के प्रसिद्ध वरिष्ठ चिकित्सक, कवि, कहानीकार और ब्लाॅगर हैं…
देश 15 अगस्त सन् 1947 को स्वतंत्र हुआ था । तब से आज तक 73 वर्ष पूरे हुए हैं । क्यों कि 15 अगस्त 1948 को पहली वर्षगाँठ थी । अतः आज के दिन 73वीं वर्षगाँठ है पर दिवस की बात की जाये तो 74वाँ स्वतंत्रता दिवस है क्यों कि 15 अगस्त 1947 को पहला स्वतंत्रता दिवस था ।
देश गणतंत्र है और स्वतंत्र भी, पर क्या यह अनुभूति जनमानस के अंतस में है ? इसका उत्तर तो आप सबको स्वयं खोजना चाहिए । मेरे अनुसार यह दोनो शब्द अपने वास्तविक अर्थों में सत्यता से बहुत दूर हैं । यहाँ पर आज भी गण का तंत्र नही बल्कि राजनेताओं का तंत्र चल रहा है जिसमें गण की कोई हैसियत नही है । यहाँ पर आज भी स्वतंत्रता काग़जी है और बहुत से मूलभूत अधिकार बलपूर्वक और कुटिलतापूर्वक अंधकार के गर्त में ढकेल दिये । न्यायतंत्र भी आम जनता के लिए अन्यायपूर्ण बन चुका है । लोकतंत्र के अनेक तथाकथित प्रहरी भी अपनी मुखरता और प्रासंगिकता खो चुके हैं । ऐसे में इन परिभाषाओं का क्या प्रयोजन रह जाता है ।
स्वतंत्रता कागज पर मिली है पर अंतरात्मा अभी तक परतंत्र है इस तंत्र की और इन नेताओं की । क्या हम इनसे कभी स्वतंत्र हो सकते हैं ? क्यों नही । कोशिश तो करिये । हमें समझना होगा कि हम नागरिक हैं और इस देश के एक समान स्तर के हिस्सेदार भी । हमारा दर्जा किसी से कम नही । हमने जिनको चुनकर संसद में भेजा है वो हमारे अधिकारी और कर्मचारी हैं । उनकी खोज खबर लेते रहना जरूरी है । यहाँ कोई 500 वर्षों के बाद ईश्वर का अवतार नही पैदा हुआ है जो देश को सर्वकालिक महान बना देगा । महानता की सीढ़ी पर चढ़ते रहना एक सतत् प्रक्रिया है और सभी देशवासियों को मिलकर इसे आगे बढ़ाना होगा ।
धर्म और जाति की नफरत फैलाने वाले देश के असली दुश्मन हैं । इनके दिमागों से यह गंदगी निकालना जरूरी है तभी देश का भला होगा और प्रगति संभव होगी । धर्म और राजनीति के घालमेल ने देश की दुर्दशा कर दी है इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि धर्म को अपने घर की दहलीज के अंदर रखें और घर के बाहर सिर्फ भारतीय बनकर रहें । किसी भी प्रकार के अन्याय,असमानता और विद्वेष के विरूद्ध सदैव मुखर रहें । एक छोटी आवाज भी बज़े परिवर्तन लाने में सक्षम होती है।