डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

 

अगर आप किसी काम के लिए निकले हो या कही किसी काम से जा रहे हो और आपके सामने कोई जाती हुई लाश पड़ जाये या उसी रस्ते से लाश भी गुजर जाये तो माना जाता है कि काम हो जायेगा क्योकि लाश देखना शुभ होता है अब जिस देश में आप यही सुन कर देख कर बड़े हुए हो तो भला आप के मन में जिंदा होने की तमन्ना क्यों रह जाएगी यही और लाश देखना शुभ होता है आपको सिद्ध भी करना है तभी तो एक लड़की जिसे मारा जा रहा हो , जिसका सड़क पर उत्पीडन हो रहा हो या निर्भय की तरह बलात्कार हो रहा हो तो भला आप मुर्दे की तरह चुप क्यों न रहे और आंख बंद रखे आखिर आप जैसी लाश को देख कर बलात्कारी का दिन शुभ होना चाहिए कि नहीं |

वैसे हमारे देश में चाहे सीमा पर सैनिक मारे जाये तो हम क्यों बोले आखिर ऐसी लाशो को देख कर ही तो हमारा जीवन इस देश में शुभ होता है | किसी भी ऑफिस में काम हो न हो पर आप मुर्दे बने रहिये क्योकि तभी तो आप जैसी लाश को देख कर घूसखोरी का वातावरण बनेगा | स्कूल कालेज यूनिवर्सिटी में पढाई न हो तो मुर्दे की तरह कभी टीचर के खिलाफ आवाज न उथाइयेगा क्योकि आप जैसी लाश के कारण ही तो ट्यूशन का लाभ टीचर को मिलेगा | वैसे लाश देखना शुभ होता है शायद इसी लिए देश की प्रगति के लिए मुर्दे की तरह जीने वाले जनप्रतिनिधि को देख कर ही तो नरेंद्र मोदी जी को शुभ लाभ प्राप्त हुआ .वैसे आप ने लाश देखी!!!!!!!( या खुद समाज में लाश बन कर भर्ष्टाचार करने वालो के लिए शुभ बनते रहे है )

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