डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

 

सरकार का कहना है कि देश में शहरी क्षेत्रों में रहने वालो के लिए ३२ रुपये रोज और गामीण क्षेत्र में २८ रुपये कि रोज आवश्यकता होतो है | यदि इस को महीने के हिसाब से देशे तो सिर्फ खाने के लिए शहर में ९६०( ३०* ३२) और गर्मीं क्षेत्र में २८*३० यानि ८४० रुपये चाहिए | अब मजा देखिये ( वैसे इस देश में खेलने कि आदत कुछ ज्यादा है भले ही कोई मेडल ना आये ) सरकार को समझ में आता है कि मासिक वृद्ध जन पेंशन सिर्फ ५०० होनी चाहिए | अगर मैं आप जितना ही बुद्धिमान हूँ तो ५०० में रहना खाना दवा दारू सब शामिल है |

अब एक तरफ सरकार शहर में ९६० रुपये सिर्फ खाने के लिए आवश्यक मानती है तो सरकार ही मान रही है कि उसके देश के शहर में रहने वाले वृद्ध जन हर महीने के पंद्रह दिन ही खाना पाते है ( आखिर पेंशन तो ५०० ही है ये तो आधा ही महीना खाना देगी ) और यही हाल ग्रामीण का भी होगा | आरे भाई मैं नहीं कह रहा ये तोसरकार खुद मान रही है कि उसके देश में वृद्ध जन महीने के १५ दिन भुखमरी का शिकार बनते है ( आपको नही मन्ना तो न मनो पर ५०० रुपये में ९६० रुपये खाने के लिए लोगे कहा से ) मैं अभी थाईलैंड में भारत के वृद्ध जन और मानवाधिकार पर बोलने के लिए गया था पर क्या सरकार ने कहने के लिए कुछ भी छोड़ा है ? इस सच्चे व्यंग्य पर कुछ कहेंगे

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