डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

 

आजकल दिल्ली के मुख्यमंत्री बीमार है उनको डिग्री का बुखार चढ़ा है वैसे तो ३७ डिग्री तक व्यक्ति सामान्य रहता है लेकिन केजरीवाल की दशा को देख कर लगता है कि ३७ डिग्री से कही ज्यादा डिग्री से पीड़ित है | बचपन से सुना था जो जैसा सोचता है और करता वो वैसा ही बन जाता है अब देश के लोग केजरीवाल को जबरदस्ती दोष दे रहे है उस व्यक्ति ने अपने चारो तरफ फर्जी डिग्री वाले ही देखे है तो उसको ये भरम होना कि हर राजनीतिज्ञ की डिग्री सामान्य नहीं होगी अगर वो ऐसा सोचता है तो क्या हुआ ? और देश में डिग्री का कब प्रभाव पड़ा है लोगो पर जाड़ो में वो जीरो डिग्री को भी अपने चारो ओर सह लेते है और गर्मी में तो ५० डिग्री तक सह लेते है जब जिंदगी डिग्री के इतने उतर चढाव के बाद भी चलती रहती है तो भला डिग्री का क्या मतलब और केजरीवाल आपतो जानते है पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।

ढाई आखर प्रेम का पढ़े तो पंडित होय और आप इसी लिए नौकरी छोड़ आये क्योकि आपको पता चल गया की उस डिग्री से कुछ नहीं मिलने वाला …..आप तो कौशल कला में इतने माहिर है कि आपने अन्ना को बेच कर अपने राजनैतिक जीवन को खरीद लिया और राजनैतिक डिग्री के सहारे देखिये ना आपके मंत्री गले का ऑपरेशन करवा रहे है अब केजरीवाल बताओ तो सही कि कौन सी डिग्री देखना चाहते हो वैसे इस देश में जो डिग्री से दूर है वही रौशनी दे रहा है कबीर, मीरा, रसखान, तुलसीदास की डिग्री अगर आपको देखने का मौका मिलता तो ये देश कभी साहित्य का आनंद ही ना ले पाता वैसे अकबर , शेरशाह सूरी और बलबन की डिग्री आपको दिखानी होती तो देश ग्रांट ट्रंक रोड , और अकबर के कामो से वंचित रह जाता पर आपके डिग्री के बुखार के कारण आपका दिमाग प्रभावित हो गया है | सर पर बर्फ या ठंडी पट्टी रखिये डिग्री अपनी सीमा में आ जाएगी क्योकि कोई आपको पागल समझे ये एक मुख्यमंत्री के लिए ठीक नहीं है ( पर आपकी हरकत तो पागल जैसी पहले से थी ) क्या अभी भी किसी को जानना है की नरेंद्र मोदी की डिग्री असली है या नकली !!!!!

केजरीवाल की छोडिए वो तो सोचेंगे ही कि लगातार वो मोदी जी डिग्री में इतनी हलचल मचा रहे है फिर भी मोदी जी को कुछ हो नहीं रहा ( तोमर के मामले के बाद केजरीवाल की डिग्री इतनी बिगड़ी कि वो हाई ब्लड प्रेशर में रहने लगे है तो मोदी की डिग्री के बाद भी सामान्य देख पर पागल होना तो बनता है ) केजरीवाल के डिग्री वाले गेम को देख कर सुन कर मुझे राम के समय में धोबी वाली घटना याद आ रही है एक धोबी के कहने पर राम ने सीता की अग्नि परीक्षा ले डाली आखिर राम को आधुनिक भारत में किसी के कहने पर भी परीक्षा देने की लत को बदलना चाहिए अब अगर केजरीवाल देश में सबको तोमर जैसा समझ रहे है तो गलत क्या है आखिर चोर तो हमेशा चोर ही ढूंढेगा तभी तो अपनी बात को सही कह कर अपने चोर को बचा सकेगा | क्या गलत है केजरीवाल उसका चिन्ह ही झाड़ू है और सभी लोग घर में झाड़ू रखते है पर कहा ????( घर के कोने में पड़ी रहती है ) तो वही केजरीवाल को भी रखिये कम से कम मोदी जी ने समझा तो उसको वो झाड़ू से देश साफ़ करने की बात कर रहे है तो झाड़ू वाला ( केजरीवाल आखिर उसका चिन्ह है झाड़ू ) तो फडफडएगा ही अब ऐसे में अगर उसको डिग्री वाला बुखा चढ़ रहा है तो समझिए ना (उसे अपने हाथ से झाडू भी जाती दिख रही है)……………..

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