सत्यम सिंह ठाकुर, गुजरात
मोरबी पुल हादसे में 135 जान गवाने के बाद आखिरकार सरकार को यह समझ में आया कि पुल के रखरखाव के लिए विशेष नीति होनी चाहिए वह भी तब जब हाईकोर्ट ने इस बारे में सरकार से सवाल पूछे।
गुजरात सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर पुल के रखरखाव की नीति के बारे में स्पष्टता दी है, सरकार ने बताया कि किस तरह से पुल की मरम्मत और रखरखाव को लेकर सरकार ने विशेष नीति तैयार की है जिसके तहत साल में दो बार राज्य भर के पुलो का इंस्पेक्शन किया जाएगा, नगर पालिका और महानगरपालिका के अंतर्गत आने वाले फूलों का बारिश के पहले मई महीने में और बारिश के बाद अक्टूबर महीने में बाकायदा निरीक्षण कर पुल की स्थिति की समीक्षा की जाएगी । पुल के निरीक्षण की तमाम जिम्मेदारी डेप्युटी इंजीनियर और समीक्षा की तमाम जिम्मेदारी एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की रहेगी । आम जनता के लिए पुल को खोले जाने के तुरंत बाद उसे रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। नई पुल नीति के मुताबिक पुल पर प्रोटेक्टिव वर्क, जल निकासी, फाउंडेशन और मरम्मत, पुल के सब स्ट्रक्चर , बैरिंग , सुपरस्ट्रक्चर, एक्सपेंशन जॉइंट, जैसे तमाम विषयों में देखरेख का उल्लेख किया गया है।
गौरतलब है कि राज्य के शहरी इलाकों के सभी पुल अर्बन डेवलपमेंट और अन्य इलाकों के फूलों की जिम्मेदारी मार्ग और मकान विभाग के अंतर्गत आती है दोनों ही विभागों में कुछ अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद यह नीति बनाई गई है, मोरबी पुल हादसे के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान के केस चलाया था जिसमें सरकार की नीतियों को लेकर हाईकोर्ट ने जबरदस्त फटकार भी लगाई थी