अश्विनी शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार…

महेंद्र सिंह धोनी ने क्रिकेट के मैदान में जो इतिहास रचा है वो स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा.. आसान नहीं है दुनिया के किसी छोर में भी धोनी सरीखे क्रिकेटर का दुबारा अवतरित होना.. उनके सन्यास के बाद मैं भी आम क्रिकेट प्रेमी की तरह ही थोड़ा निराश हूं लेकिन ये तो होता ही है..

समय ही बलवान है.. दुनियां जानती है कि धोनी विकट से विकट हालात में भी विरोधी टीम से जीत छीन ही लाते थे.. वो बोलते कम धुनते ज़्यादा थे.. उनका कूल अंदाज़ दुश्मन टीम को बैचेन कर देता था.. लेकिन इतना सब कुछ उनके अंदर यूं ही नहीं आया था..

उनके पास बेहद भरोसे के मित्र भी थे.. जो उनसे कहते धोनी तुम सिर्फ़ खेलो बाकी ब्रांड, विज्ञापन, बाकी कारोबार हम देख लेंगे.. किसी भी क्रिकेटर के लिए जो बड़ा सर दर्द भी होता है.. धोनी दोस्तों के दोस्त हैं.. इसलिए उन्हें सबसे बड़ा दोस्त भी मिल गया..

धोनी को मैदान में निश्चिंत होकर खेलने का भरोसा कभी मेरे पुराने मित्र रहे बनारस निवासी अरुण पांडेय भाई ने जो एक बार दिया उसे अंत तक कायम रखा.. धोनी के भी बाल सखा अरुण भाई जो कभी बाए हाथ से स्पिन गेंदबाजी कर धोनी को नेट प्रैक्टिस कराते थे उनके सबसे भरोसे के साथी बन गए.. अरुण भाई ने रीति स्पोर्ट्स कम्पनी बनाकर धोनी की ब्रांड वैल्यू को कई गुना बढ़ा दिया.. धोनी का सारा मैनेजमेंट अरुण भाई के हाथ में था..

इसके अलावा सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा, प्रज्ञान ओझा, आर पी सिंह, साइना नेहवाल सरीखे खिलाड़ियों का भी प्रमोशन कार्य अरुण पांडेय भाई की कम्पनी ही देखने लगी.. हां धोनी और उनकी पत्नी साक्षी के लिए तो वो परिवार का सदस्य रहे.. अरुण पांडेय भाई ने ही 2011 वर्ल्ड कप के बाद धोनी के जीवन पर फिल्म बनाने की पेशकश की और Fox Star स्टूडियो के साथ मिलकर MS Dhoni ‘The Untold Story’ का निर्माण किया.. इस फिल्म ने कीर्तिमान का जो रिकॉर्ड कायम किया उससे उत्साहित होकर फिल्म का दूसरा हिस्सा भी बनाने की योजना है..

धोनी बिन भले मैदान अब सूना लगे लेकिन धोनी ने जब उतार चढ़ाव का सामना किया तब अरुण पांडेय जैसे भाई ने ही एकाग्रचित होकर साथ दिया.. मेरे लिए भी अरुण पांडेय भाई से पुरानी पहचान होना अभिमान की बात है.. तब अरुण भाई बनारस के मलदहिया इलाके में बैंककर्मी माँ और बहन के साथ रहकर क्रिकेट खेला करते थे..

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