भारतीय संस्कृति में सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की गई। इसके लिए सत्मार्ग पर चलने की आवश्यकता होती। इससे सहज मानवीय गुणों का विकास होता है। सद्भाव व सौहार्द की प्रेरणा मिलती है। इस मार्ग से विचलित होना अंततः कष्टप्रद होता है। इससे समाज का भी अहित होता है। भारत के उत्सवों में समाज कल्याण का भाव समाहित होता है। उल्लास के साथ साथ इसमें गंभीर सन्देश रहता है। दीपावली का प्रसंग प्रभु श्री राम से जुड़ा है। लंका विजय कर वह अयोध्या पहुंचे थे। लोगों ने दीप प्रज्ववलित कर आनन्द मनाया था। सन्देश यह है कि अतिताई शक्तियों को अंततः पराजित होना पड़ता है। लाभ के साथ शुभ का होना भी आवश्यक है। सत्मार्ग पर चलते हुए ही लाभ अर्जित करना चाहिए। होली का पर्व भक्त प्रह्लाद से जुड़ा है। वह सत्मार्ग से कभी विचलित नहीं हुए। अंततः आसुरी प्रवत्ति के हिरण्यकश्यप का अंत हुआ। रंगोत्सव पर योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर यात्रा आध्यात्मिक व राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही। अत्यधिक व्यस्तता के बाद भी वह विशेष अवसरों पर गोरक्षपीठ पहुंचने का समय निकालते है। यहां के विशेष अनुष्ठानों में सहभागी होते है। गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में उनके निर्धारित दायित्व होते है। इनका वह श्रद्धाभाव से निर्वाह करते है। होलिका दहन फिर रंगोत्सव के समय उन्होंने यहां परम्परागत पूजा अर्चना की। इस प्रकार श्री महंत के रूप में आध्यात्मिक दायित्व का निर्वाह किया।
होली भेदभाव रहित, समतामूलक समाज का प्रतीक है। उन्होंने हिरण्यकश्यप का प्रसंग सुनाया। कहा कि ईश्वरीय व राष्ट्र सत्ता को चुनौती देना तथा सामान्य नागरिकों की भावनाओं का निरादर करना ही हिरण्यकश्यप और होलिका की प्रवृत्ति है। लेकिन सामान्य जनमानस भक्त प्रह्लाद के रूप में अपनी राष्ट्र अराधना के मार्ग पर चलता है। ऐसी परिस्थिति में भगवान नरसिंह उसके सहगामी बनाते हैं। वह प्रकट होते हैं और भक्त प्रह्लाद के विजय रथ को आगे बढ़ाते हैं। उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर राष्ट्रवाद और सुशासन की सरकार चुनी है। जनता की विजयश्री का यह सिलसिला लगातार चलता रहेगा। हमेशा कायम रहेगा। स्वाभाविक रूप से हर देशभक्त नागरिक के मन में अन्याय,अत्याचार, शोषण और अराजकता के खिलाफ लड़ने की इच्छा रखने वाले के मन में उमंग और उत्साह है।
योगी ने कहा होलिका हों या हिरण्यकश्यप किसी न किसी रूप में समाज के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। इसी तरह किसी न किसी रूप में भक्त प्रह्लाद और भगवान नरसिंह भी उपस्थित रहे हैं। भले ही इनका रूप बदलता रहा है। यह पर्व और त्योहार हमें अच्छे मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं। भक्त प्रह्लाद अपनी बुआ का कहना मानकर भक्ति मार्ग से विचलित नहीं हुए। भक्त प्रह्लाद का स्मरण होली जैसे पावन पर्व पर करना चाहिए। भक्त प्रह्लाद प्रतिकूल परिस्थितियों व यातना के बाद भी सत्मार्ग विचलित नहीं हुए। यह होली का मूल सन्देश है। होली की पूर्व संध्या पर मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में योगीराज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह में बाल सेवा योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को पुरस्कार व अन्य उपयोगी सामग्री प्रदान की. कोरोंना काल में निराश्रित हुए बच्चों के लिए प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना’ शुरू की थी.
योजना के माध्यम से ऐसे बच्चों को प्रतिमाह चार हजार रुपये छात्रवृत्ति स्वरूप दिए जा रहे हैं। इस योजना में
नौवीं या इससे ऊपर की कक्षाओं में पढ़ रहे विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की व्यवस्था की गई है.बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ प्रधानमंत्री जी का मंत्र है। इसी के तहत आज उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बेटियों, संस्थाओं और महिला मंगल दलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। गांव-गांव में खेल के मैदान बनाए जा रहे हैं ताकि बेटियां भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनें। इसमें महिला मंगल दल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सरकार हर ग्राम पंचायत को स्पोर्ट्स किट देगी।
प्रदेश सरकार बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा दे रही है। साथ ही, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना में बालिका के जन्म से स्नातक स्तर की शिक्षा तक विभिन्न चरणों में पंद्रह हजार रुपये देने की व्यवस्था की गयी है। बालिका के विवाह योग्य होने पर मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत इक्यावन हजार रुपये दिए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के विद्यालय बेहतर हो चुके हैं। ऑपरेशन कायाकल्प से स्मार्ट क्लास, अच्छी फ्लोरिंग, टॉयलेट, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि होली का पावन पर्व वैर भाव भुलाकर उत्साह और उमंग से आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हताशा और निराशा में कोई जीवन नहीं होता। बुराई त्याग कर हम जीवन में उत्साह और उमंग की तरफ बढ़ सकते हैं। उन्होंने बच्चों को पर्यावरण व जीव संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि मानव के साथ ही जीव-जंतुओं से सृष्टि की रचना हुई है। पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की रक्षा करना हम सबका दायित्व है।