सत्यम सिंह ठाकुर, ब्यूरोचीफ, गुजरात

एक तरफ गुजरात विधानसभा चुनाव सर पर है और वही दूसरी तरफ राज्य में कई विभागों के अल्टीमेटम और चल रहे अलग-अलग आंदोलनो में सरकार की चिंता बढ़ा दी है ऐसे में आंदोलनकारियों को रिझाने और गुजरात चुनाव में होने वाले नुकसान से बचने के लिए गुजरात सरकार ने 5 मंत्रियों की समिति की रचना की है जो इन आंदोलनों पर लगाम लगाएगी।

पिछले काफी समय से अपनी मांगों को लेकर एक के बाद एक सरकार के अलग-अलग विभाग सरकार के सामने विरोध में सर उठा रहे हैं ऐसे में सरकार को न सिर्फ अपनी छवि खराब होने का डर है बल्कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उसके विपरीत असर की भी चिंता सता रही है , ग्रेड पे को लेकर पुलिस कर्मचारियों के गुस्से को कुछ दिन पहले ही भत्थे की बढ़ोतरी की घोषणा से शांत किया गया है, पूर्व सैनिक और तला तलाटीयो के गुस्से को भी बड़ी मुश्किल से शांत किया गया है पंचायत विभाग के आरोग्य कर्मचारियों का आंदोलन अभी भी चल रहा है ऐसे में अब सरकारी कर्मचारी महामंडल ने भी सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतर जाएंगे वही किसान भी कई मुद्दों को लेकर सरकार से नाराज चल रहे हैं ऐसे में हाल ही में प्रधानमंत्री ने अपने दौरे में एक बात साफ कर दी थी कि 15 सितंबर के बाद राज्य में एक भी आंदोलन राज्य सरकार के लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हो सकता है और इसीलिए इस पर लगाम लगाई जाए।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

ऐसे में अब डैमेज कंट्रोल के लिए सरकार ने पांच मंत्रियों की एक समिति बनाई है जिसमें ऊर्जा मंत्री कनु देसाई शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी, स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ,पंचायत मंत्री बृजेश मिर्जा और गृह मंत्री हर्ष संघवी को इन आंदोलन पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है अब देखना होगा की पांचों मंत्री आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को इन आंदोलनों से होने वाले नुकसान से कितना बचा सकते हैं

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