डा. आलोक चांटिया

बच्चे भगवान की मूरत होते है और मूरत पत्थर की बनायीं जाती है | पत्थर पर छीनी हथौड़ी चला कर एक रूप उकेरा जाता है और हमारी इच्छा यही रहती है कि भगवान के चेहरे पर कभी मुस्कान के सिवा कुछ दुनिया को ना दिखाई दे |पर बच्चे आदमी के बाप होते है और वो दुनिया को दिखाते है कि उनको सब कुछ मालूम है | इसी लिए उनसे कुछ छिपा नहीं है और उनसे कुछ छिपाया भी नही जाना चाहिए और ऐसा सोचना भी सही है क्योकि भगवान से भला क्या छिपा है और जब कुछ नहीं छिपा है तो बच्चे को अब कुछ गलत लगता ही नहीं जिससे बच्चो में अपराध बढ़ रहा है पर अपराध बच्चे कैसे कर सकते है वो तो भगवान की मूरत होते है तो आप जिसे अपराध कह रहे है वो तो भगवान की लीला है और अपराध तो आप कर रहे है जिसके कारण भगवान को अपने कई रूप में प्रकट होना पड़ता है और आप उनके ऐसे रूप देखने के आदी नहीं है क्योकि आपके लिए वो भगवान की मूरत है ना कि भगवान तो आप खुद भगवान के पीछे पड़ जाते अहै और भगवान आपको ही भस्मासुर बना देता है क्योकि भगवान तो भगवान है | इस लिए बच्चे से अभी मत लड़िये और अब तो बच्चा ये भी जान गया है कि वो भगवान है और पृथ्वी के कानून में जब तक वो बच्चा है उसके लिए अपराध का दंड वो नहीं है जो आदमी को है और इस लिए आज कल भगवान खुल कर रास लीला कर रहे है , उत्पात कर रहे है , माखन चोरी कर रहे है , गोपियों को छेड़ रहे है क्योकि बच्चे जान गए है कि भगवान से इस देश में कोई पंगा नहीं लेता और लोग भगवान पर आरोप लगने पर कहो तो सर काट डाले वैसे आपने अक्सर दो घरों में लड़ाई इन्ही भगवानो के कारण होते देखा होगा |

एक परिवार कहतेहै तुम्हारा भगवान गलत है मेरा भगवान अच्छा है तो दूसरा कहता है कि मेरे भगवान को कुछ कहा तो ठीक नहीं होगा | और भगवान इस सबसे दूर किसी के घर की खिड़की तोड़ने में लगा रहता है | आइये आज ऐसे भगवान के दिवस पर बधाई दे दे | बाल दिवस पर आप सभी को बधाई | क्योकि अगर आपने बाल की खाल नहीं निकाली तो मजा ही क्या ? तो आप निकालिये बाल की खाल और मैं चला बाल दिवस ओह हो भगवान की मूरत ढूंढने या तो खुद टूट रहे होंगे या कही तोड़ रहे होंगे ! क्या आप बच्चे में भगवान देखते है ? डॉ आलोक चान्टिया , अखिल भारतीय अधिकार संगठन

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