Wednesday, June 7, 2023
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Total Samachar गायों का कत्ल कर बनाये जा रहे हैं सैकड़ों प्रोजक्ट

 

गायों का कत्ल कर बनाये जा रहे हैं सैकड़ों प्रोजक्ट। आईये जानते है…

 

 

शायद आप को नही मालूम होगा कि हम अनजाने कितनी ऐसी वस्तुओं का रोजाना प्रयोग करते हैं जिसमें किसी न किसी बेगुनाह जानवर के खून तेल चर्बी मिलाया गया होता हैं। आज हम आपको बतायेगें की कैसे हमारे ही देश में कई बेगुनाह जानवर के साथ साथ जिसे हमारी देश मां का दर्जा दिया गया हैं उस गऊ माता के चर्बी खून औऱ तेल से बने कई प्रोडक्ट धड़ल्ले से बिक रहे हैं। जिसे हम जाने एंजाने में रोजाना इस्तेमाल भी करते हैं। टोटल समाचार की टीम ने देश के कई कोने में जा कर ये अहम जानकारी प्राप्त की हैं। जिसे आप पढ़ कर हैरान हो जायेगे। टोटल समाचार ने बीड़ा ऊठाया हैं कि जो हमारे देश में गुपचुपतरिके से हो रहा हैं या फिर जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं उसे आप तक पहुचाया जा सके। पेश हैं आप सब के लिये टोटल समाचार की ये एक्सक्लूसिव खबर।

 

कत्लखानों में कौन कौन से जानवरों का किया जाता हैं कत्ल

 

 

 

हमारे देश अब तक 3600 से ज्यादा ऐसे कत्लखआने हैं जिसे सरकार ने पशुओं को काटने का लाईसेंस दे रखा हैं। यही नही देश में 50000 से ज्यादा कत्लखाने ऐसे भी हैं जो गुपचुप तरिके से चलाये जा रहे हैं। यानि कि वो गैरकानूनी तरिके से चल रहे हैं। जिन पर आरोप लगातर ये लगते रहते हैं कि ये अधिकारीयों के मिलीभगत से चल रहे हैं। ये जान कर आपको हैरानी होगी कि हर साल देश में 5 करोड़ से ज्यादा पशुओं को काटा जाता हैं। जिसे यूं समझिये कि कत्ल किया जाता हैं। जिसमें गाय, भैस, सुअर, बकरा, बकरी, मुर्गा, ऊटं, और न जाने कितनी प्रजाति की पक्षियां व मछली आदि शामिल हैं। मछली और मुर्गीया कितनी मारी जाती हैं इसका अब तक कोई रिकार्ड नही मिल सका हैं।

सबसे पहले तो ये सारे पशुओं को मारने के बाद उनके मांस को बेचा जाता हैं। जिसे मासांहारी लोग खाते हैं। उसके बाद जो कुछ बचता हैं उसे निकलने वाल चर्बी और खून होता हैं। जो कि बहुत महगें बिकते हैं। बस निर्भर उस पर किया जाता हैं कि किस जानवर का हैं।

 

क्यों किया जाता हैं गाय औऱ अन्य पशुओं का कत्ल

 

 

गाय और गाय जैसे जानवरो आदि का कत्ल होता है। तो 5 वस्तुए निकलती है। कत्लखाने में गाय, भैंस, बछड़ा, बकरी, ऊंट आदि काटे जाते है। तो इनसे जितना मांस उतपन होता है वो बिकता है। चर्बी का तेल बिकता है। खून बिकता है हडडिया और चमड़ा बिकता है। पशुओं के कत्ल के बाद उनके शरिर से निकलने वाली इन पाँच वस्तुओ का भरपूर प्रयोग है और एक बहुत बड़ा बाजार है इस देश मे।

 

गाय और अन्य पशुओं के अंग और खून से बनाये जाते हैं कई प्रोडक्ट

 

सबसे पहले अगर गाय का कत्ल किया गया तो उसके मांस के अलावा जो तेल निकलता हैं उसे Beef Tallow कहते हैं और जो तेल सुअर से निकलता हैं उसे Pork Tallow कहते हैं। इन तेलों का सबसे ज्यादा उपयोग चेहरे पर लगाने वाली क्रिम बनाने में किया जाता हैं।

ये बात हम ऐसे ही नही कह रहे हैं बल्कि मद्रास हाईकोर्ट में श्री राजीव दीक्षित जी ने चेहरे पर लगाने वाली क्रीम बनाने वाली विदेशी कंपनी के खिलाफ किया था। जिस केश को उन्होने जीता था। जिसमे कंपनी ने खुद माना था कि हम अपने प्रोडक्ट में सूअर की चर्बी का तेल मिलाते हैं।

अब हम जो बताने जा रहे हैं वो औऱ भी भयावह हैं। अब मांस तेल के बाद जानकारी देने की बारी हैं पशुओं के खून के बारे में। कत्लखाने में गाय या फिर दूसरे पशुओं को उल्टा टांगा जाता हैंऔर फिर उनकी निर्मम हत्या कर दी जाती हैं। नीचे रखे ड्रम में उनका खून इकठ्ठा कर लिया जाता हैं। जिसे दवा बनाने वाली कम्पनीयों को बेच दिया जाता हैं। गाय के अलावा कई पशुओं का खून कई तरह की दवा बनाने में किया जाता हैं। खासतौर से गाय के शरीर से निकला हुआ खून ,मछ्ली के शरीर से निकला हुआ खून, बैल ,बछड़ा बछड़ी के शरीर से निकला हुआ खून तो खून बढ़ाने वाली दवा बनाने में किया जाता हैं।   जब किसी मरिज को खून की कमी होती हैं तो डाकटर इन्ही पशुओं के खुन से बनी दवाईयों को खाने की सलाह देते हैं।

अब तक तो आप लोगों कई हैरान करने वाली जानकारी ले ली। अब एक औऱ जानकारी हम आप को बताने जा रहे हैं। कि इन पशुओं का कत्ल करने के बाद इन पशुओं के खून का इस्तेमाल दवा के साथ साथ महिलाओं के सौन्दर्य में इस्तेमाल में आने वाली एक खास वस्तु में भी प्रयोग किया जाता हैं। वो हैं Lipstick। महिलाये अपने सौदर्य को बढ़ाने के लिये अपने होठों पर जो Lipstick लगाती है उसमें भी पशुओं का खून मिलाया जाता हैं। असल में मरे हुए पशुओं के खून का प्रयोग चाय बनाने मे बहुत सी कंपनिया करती है।
अब चाय तो पोधे से प्राप्त होती है और चाय के पोधे का size उतना ही होता है जितना गेहूं के पोधे का होता है। उसमे पत्तिया होती है उनको तोड़ा जाता है और फिर उसे सुखाते हैं। तो पत्तियों को सूखाकर पैकेट मे बंद कर बेचा जाता हैं ! और पत्तियो को नीचे का जो टूट कर गिरता है जिसे डेंटरल कहते हैं। लेकिन ये चाय नहीं है। चाय तो वो ऊपर की पत्ती है। तो फिर चाय बनाने वाली कम्पनियां क्या करते है इसको चाय जैसा बनाया जाता है। अगर हम उस नीचले हिस्से को सूखा कर पानी मे डाले तो चाय जैसा रंग नहीं आता। तो कुछ चाय की पत्ती बनाने वाली विदेशी कम्पनियां जानवरो के शरीर से निकला हुआ खून को इसमें डेंटरल में मिलकर सूखा कर डिब्बे मे बंद कर बेचती है। तकनीकी भाषा मे इसे tea dust कहते है। इसके अलावा कुछ कंपनिया nail polish बनाने ने प्रयोग करती है।

आईये अब आगे का खेल हम आपको बताते हैं। मांस,तेल ,खून ,के बाद कत्लखानों मे पशुओ की जो हड्डीयां निकलती है उसका प्रयोग toothpaste बनाने वाली कई कंपनिया करती है। सबसे पहले जानवरो कि हड्डियों को इकठ्ठा किया जाता है। उसे सुखाया जाता है फिर एक मशीन आती है bone crasher मे इसको डालकर इसका पाउडर बनाया जाता है और कंपनियो को बेचा जाता है ! shaving cream बनाने वाली काफी कंपनिया भी इसका प्रयोग करती हैं। और आजकल इन हड्डियों का एक नया प्रयोग भी होने लगा है टेल्कम powder बनाने मे। नहाने के बाद जो हम लोग पाउडर लागाते हैं उसमे इसका प्रयोग होता है। क्यूंकि ये थोड़ा सस्ता पड़ता है। वैसे टेल्कम powder पत्थर से बनता है। जो कि 60 से 70 रुपए किलो मिलता है। जबकि गाय की हड्डियों का powder 25 से 30 रुपए मिल जाता है। इस लिए बहुत सी कंपनिया हड्डियों से बने powder का प्रयोग करती हैं।

इन सबके बाद गाय ऊपर की जो चमड़ी होती है उसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है cricket के ball बनाने मे। लाल रंग की ball होती है आज कल सफ़ेद रंग मे भी आती है। जो गाय की चमड़ी से बनाई जाती है। गाय के बछड़े की चमड़ी का प्रयोग ज्यादा होता है ball बनाने मे। दूसरी एक ball होती है foot ball।  cricket ball तो छोटी होती है पर foot ball बड़ी होती है इसमे और ज्यादा प्रयोग होता है गाय के चमड़े का।

आजकल और एक उद्योग मे इस चमड़े का बहुत प्रयोग हो रहा है। जूते चप्पल बनाने मे। अगर आप बाजार से कोई ऐसा जूता चप्पल खरीदते है। जो चमड़े का है और बहुत ही soft है तो वो 100 % गाय के बछड़े के चमड़े का बना होता हैं और अगर hard है तो ऊंट और घोड़े के चमड़े का। इसके इलवा चमड़े के प्रयोग पर्स, बेल्ट जो बांधते है उसमें भी होता हैं।  इसके इलवा आजकल सजावट के समान ने इन का प्रयोग किया जाता है।

इसके अतिरिक्त गाय के शरीर के अंदर के कुछ भाग है। उनका भी बहुत प्रयोग होता है। जैसे गाय मे बड़ी आंत होती है। जैसे हमारे शरीर मे होती है। ऐसे गाय के शरीर मे होती है। तो जब गाय के काटा जाता है ! तो बड़ी आंत अलग से निकली जाती है और इसको पीस कर gelatin बनाई जाती है !जिसका बहुत ज्यादा प्रयोग आइसक्रीम, चोकोलेट, कैप्सूल आदि में किया जाता है।

इसके इलवा Maggi, Pizza, Burger, Hotdog , Chawmin के base material बनाने मे भरपूर होता है और एक jelly आती red orange color की उसमे gelatin का बहुत प्रयोग होता है।

आजकल जिलेटिन का उपयोग साबूदाना में होने लगा है। जो हम उपवास मे खाते है। तो ये सब वस्तुएं जो जानवरो के कत्ल के बाद बनाई जाती है और हम जाने अनजाने मे इन का प्रयोग अपने जीवन मे कर रहे है। कुछ लोग अपने आप को 100 टका हिन्दू कहते है। शाकाहारी कहते है और कहीं न कहीं इस मांस का प्रयोग कर रहे है। अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हैं। तो आप इन सबसे बचे और अपना धर्म भ्रष्ट होने से बचाये।  एक बात हमेशा याद रखे टीवी पर देखाये जाने वाले विज्ञापन (ads) को देख अपने घर में कोई वस्तु न लाये इनमे ही सबसे बड़ा धोखा है। आप अपने दिमाग से काम ले और इन सब चीजों को लेने बचे। क्यूंकि विज्ञापन उनी वस्तुओं का दिखाया जाता है जिनमे कोई क्वाल्टी नहीं होती। देशी गाय का घी बिना विज्ञापन के बिकता है नीम का दातुन बिना विज्ञापन के बिकता है गन्ने का रस बिना विज्ञापन के बिकता है।

विज्ञापन का सिद्धांत है गंजे आदमी को भी कघा बेच दो। एक ही बात को बार-बार, बार-बार दिखाकर आपका brain wash करना। ताकि आप सुन सुन कर एक दिन उसे अपने घर मे उठा लाये।

Total Samachar गरीबी दूर करने के लिये नवरात्रि में करें ये उपाय..

 

नवरात्रि में कभी भी इस जगह रख दें फिटकरी, रातोंरात दूर हो जाएगी गरीबी!

 

 

 

 

 

आपने घर में कई बार फिटकरी का इस्तेमाल किया होगा पर अगर हम आपसे कहे कि घर में इस्तेमाल होने वाली यही फिटकरी आपको करोड़पति बना सकती है, तो क्या आपको यकीन होगा। बरहलाल आज हम आपको फिटकरी का एक ऐसा उपाय बताने वाले है। जो आपको नवरात्रि में ही करना है। जी हां नवरात्रि में किया गया फिटकरी का ये उपाय आपको यक़ीनन अमीर बना देगा। वैसे इस उपाय को बताने का मतलब ये नहीं है कि आप मेहनत करना छोड़ दे और इस उपाय पर ही टिके रहे बल्कि ये उपाय तो केवल आपकी मदद करने के लिए बताये जाते है और वो कहते है न कि भगवान भी केवल उन्ही की मदद करते है, जो अपनी मदद खुद करते है। इसलिए इस उपाय को मान कर इसे आजमाना या न आजमाना ये हम आप पर ही छोड़ते है।

कहा जाता है कि माता के इन खास दिनों में जिसने सच्चे दिल से जय माता दी बोल दिया माता ने उसके लिए कुबेर का खजाना भी खोल दिया. बता दे कि ये उपाय जितना आसान है उतना ही असरदार भी है. तो चलिए अब आपको इस उपाय के बारे में जरा सलीके से बताते है. इस उपाय में आपको कुछ नहीं करना है, बल्कि फिटकरी का टुकड़ा घर में ऐसी जगह रखना है, जिससे आपको माता रानी का भरपूर आशीर्वाद मिल सके. इस उपाय के अनुसार सबसे पहले पचास ग्राम फिटकरी का एक टुकड़ा ले लीजिये और उसे किसी काले कपडे में लपेट दीजिये.

जी हां अब इस फिटकरी को आप घर या दुकान कही पर भी लटका सकते है, पर इस बात का ध्यान रखे कि ये दरवाजे पर ही लटका होना चाहिए.यानि आप चाहे तो दरवाजे के बीच में कील लगा कर भी इसे वहां लटका सकता है. इसके इलावा अगर दरवाजे पर लटकाने की जगह नहीं है। तो आप इसे किसी भी कांच के बाउल में डाल कर घर में किसी भी जगह रख सकते है। जहाँ ये कांच का बाउल टूटने का खतरा न हो। इसके साथ ही यदि व्यापार में ज्यादा नुकसान हो रहा है और आपका काम नहीं बन पा रहा है। तो पचास ग्राम फिटकरी का टुकड़ा काले कपडे में लपेट कर आप ऑफिस या दुकान में कही भी लटका सकते है. यहाँ तक कि दस ग्राम छोटा सा फिटकरी का टुकड़ा अपनी जेब में भी जरूर रखे.

 

बता दे कि यदि आप धनवान बनना चाहते है। तो पान के पत्ते में एक छोटी सी फिटकरी का टुकड़ा ले लीजिये और थोड़ा सा सिंदूर लेकर इन दोनों चीजों को पान के पत्ते में बाँध लीजिये गौरतलब है कि ये उपाय आपको नवरात्रि में बुधवार को ही करना है। जी हां बुधवार को शाम को पीपल के पेड़ के नीचे चले जाईये और फिर इस पान के पत्ते को मोड़ कर किसी पत्थर के नीचे दबा दीजिये। बता दे कि ये उपाय आपको नवरात्रि से शुरू करके लगातार तीन बुधवार तक करना है। इसके बाद आप खुद देखेंगे कि कैसे माता रानी आपके लिए धन के द्वार खोल देंगी।

बरहलाल अगर माता रानी की भरपूर कृपा पाना चाहते है तो इन उपायों को करना बिलकुल न भूले.

Total Samachar मर्दो के छाती देखकर कैसे पहचाने उनके स्वभाव…..

 

शास्त्र के अनुसार मर्दो की छाती देख कर ही पता लग जाता हैं मर्दो का स्वभाव…

 

वैदिक काल से ही शास्‍त्रों में ज्योतिष विद्या पर लागातर शोध होते चला आ रहे हैं। वैदिक काल में ही इन्सान के शरिर के हर अंग, आचार विचार, चाल चलन, ग्रह नक्षत्र सबके बारे में हुए शोध से कई आश्यर्च जनक बातें सामने आई हैं। उन्ही से आज हम आपके पुरूषों के बारे में एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं हैं जिससे कि आप पुरूष के बारे में कई जानकारीयां आसानी से पा सकते हैं। आपकों बता दे कि पुरूष के सीने और सीने परहोने वाले बाल से ही पुरूष के कई रहस्ये आपने आप खुल जाते हैं। तो आईये जानते हैं पुरूषों के सीने और सीने के बालों से पुरूष के व्यक्तित्व का रहस्य।

  1. अगर किसी व्यक्ति की छाती चौड़ी हो तो वह धनवान, वैभवशाली व पराक्रमी माना जाता है। शास्‍त्र में बताया गया है कि ऐसे पुरूष काफी  मेहनती होते हैं और समाज में अपनी खास पहचान बनाते हैं। ऐसे पुरुषों को अनेक भौतिक सुख मिलते हैं। चौड़ी छाती वाले पुरुष पुलिस, आर्मी आदि में उच्च पदों पर कार्यरत होते हैं।
  2. ऐसा व्यक्ति जिसकी छाती अन्दर की ओर थोड़ी झुकी हुई हो, उसका स्वभाव शकी और अपनी बात किसी से न कह पाने वाला होता है। लेकिन सामाजिक रूप से विद्वान होना इनकी सबसे बड़ी खासियत होती है।
  3. ऐसा पुरुष जिसकी एक तरफ की छाती बड़ी तथा दूसरी तरफ की छोटी हो उसे शास्‍त्र के मुताबिक तेज-तर्रार, चालाक, आडम्बरी एंव धनवान माना जाता है। ऐसा देखा गया है कि ऐसे व्यक्ति कई स्रोतों से पैसे कमाते हैं। ऐसे पुरुष सम्बन्धों के मामले में काफी व्यवहारिक होते हैं।
  4. ऐसा व्यक्ति जिसका सीना कठोर हो उसे अहंकारी स्वभाव का और निडर माना जाता है। सामुद्रिक शास्‍त्र के मुताबिक ऐसा व्यक्ति राजा के समान सुख भोगता है। ऐसे पुरुष जो भी कार्य करते हैं उनमें इनकी प्रशंसा होती है। ऐसे पुरुष सामाजिक कार्यो में भी शामिल होते हैं।
  5. सीने पर अधिक बाल वाले पुरुषों का स्वभाव शालीन, उदार व भावुक प्रकृति का माना जाता है। अक्सर देखा जाता है कि ऐसे पुरुषों का स्त्रियों के साथ मेल-जोल थोड़ा ज्यादा होता है। इस विशेषता वाले पुरुष समय के काफी पाबंद होते हैं।
  6. जिस पुरूष के छाती पर अधिक बाल हो , ऐसे पुरुषों को शारीरिक रूप से मजुबूत व बलिष्ट माना जाता है। लेकिन, ऐसे पुरुष अगर यदि मात्रा में नशीले पदार्थो का सेवन करें तो, इनका शरीर व धन बर्बाद होने में अधिक समय नहीं लगता। ऐसे पुरूष किस्मत के के सहारे लंबा हाथ मारने कि फिराक में रहते है।
  7. इसके अलावा, अगर किसी पुरुष की छाती पर बहुत अधिक बाल न हो, तो ऐसे पुरुष धनवान, बुद्धिमान, विद्याप्रेमी व संगीतकार आदि प्रवृत्ति के होते है। ऐसी विशेषता वाले पुरुषों का कार्यक्षेत्र न्याय से संबंधित होता है। ऐसे पुरुषों की पत्नी अक्सर क्रोधी स्वभाव की देखी जाती हैं।
  8. यह तो आपने भी सुना होगा कि जिस व्यक्ति की छाती पर एक भी बाल न हो, उसका विश्वास नहीं करना चाहिए। दरअसल, यह बात बिल्कुल सही है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की बातें जानने में माहिर होते है, लेकिन अपनी बातों को गुप्त रखते हैं।

 

 

 

Total Samachar रहस्य…. अर्जुन कैसे हुए पुनर्जीवीत…

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अर्जुन हुए पुनर्जीवित

 

 

 

महाभारत के बारे में आप लोगों ने सुना ही होगा। महाभारत में भी अर्जुन को लेकर दो कहानियां सामने आती हैं। जिसके बारें में आज हम बतायेगें। कुंती पुत्र अर्जुन को महाभारत के समय का सबसे बड़ा धनुर्धर माना गया है। ऐसा भी माना जाता है कि अर्जुन के पास अगर धनुष चलाने का कौशल नहीं होता तो पाण्डव शायद ही महाभारत युद्ध जीत पाते। साथ ही अधिकतर लोग यही जानते हैं की अर्जुन की मृत्यु पांडवों के सशरीर स्वर्ग यात्रा के दौरान हुई थी। लेकिन दर्शको महाभारत में एक ऐसे भी कथा पढ़ने को मिलता है जिसमे में बताया गया है की अर्जुन की इससे पहले भी एक बार मृत्यु हो चुकी थी… जिसके बारें में हम पहले आप को बता चुके हैं आज हम आप को बतायेगें कि अर्जुन पहली बार मृत्यु के बाद कैसे हुए पुनर्जीवीत..

तब श्री कृष्ण देवी गंगा को समझते है की अर्जुन ने जिस तरह से अपने पितामह का वध किया वो स्थिति स्वंय पितामह ने अर्जुन को बताई थी। क्यूंकि पितामह जानते थे की उनके होते हुए पांडवों की विजय असंभव थी। इसलिए उन्होंने स्वंय युद्ध से हटने का मार्ग अर्जुन को बताया था। अर्जुन ने तो बभ्रुवाहन के प्रहारों को सिर्फ रोका है। स्वंय प्रहार तो नहीं किया। अर्जुन ने तो कामाख्या देवी द्वारा दिए गए दिव्य बाण और आपका मान बढ़ाया है।

कृष्ण के तर्क सुनकर गंगा दुविधा में पड़ गयीं और श्री कृष्ण से इस दुविधा से बाहर निकलने का मार्ग बताने को कहा।

 

तब कर कृष्ण ने देवी गंगा से प्रतिज्ञा को वापस लेने को कहा। फिर देवी गंगा ने अर्जुन के सिर को धड़ से जोड़े जाने का रास्ता बताया और उसके बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन की दूसरी पत्नी और बभ्रुवाहन की सौतेली माँ उलूपी से प्राप्त नागमणि द्वारा अर्जुन को जीवित कर कर दिया।

Total Samachar महाभारत के कुछ अनसुलझे रहस्य… बेटे के हाथों आई अर्जुन की मृत्यु तो मुस्कुराने लगी देवी गंगा, क्यों

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महाभारत के कुछ अनसुलझे रहस्य

 

 

 

 

महाभारत के बारे में आप लोगों ने सुना ही होगा। महाभारत में भी अर्जुन को लेकर दो कहानियां सामने आती हैं। जिसके बारें में आज हम बतायेगें। कुंती पुत्र अर्जुन को महाभारत के समय का सबसे बड़ा धनुर्धर माना गया है। ऐसा भी माना जाता है कि अर्जुन के पास अगर धनुष चलाने का कौशल नहीं होता तो पाण्डव शायद ही महाभारत युद्ध जीत पाते। साथ ही अधिकतर लोग यही जानते हैं की अर्जुन की मृत्यु पांडवों के सशरीर स्वर्ग यात्रा के दौरान हुई थी। लेकिन महाभारत में एक ऐसे भी कथा पढ़ने को मिलता है जिसमे में बताया गया है की अर्जुन की इससे पहले भी एक बार मृत्यु हो चुकी थी और देवी गंगा अर्जुन की मृत्यु पर मुस्कुराने लगी थी। तो श्रोताओं आइये जानते हैं की आखिर अर्जुन की मृत्यु पर देवी गंगा क्यों मुस्कुराने लगी थी।

 

अश्वमेघ यज्ञ

 

 

 

कथा के अनुसार महाभारत युद्ध में विजयी होने के बाद ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने। कुछ दिन पश्चात् श्री कृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने अश्वमेघ यज्ञ आरम्भ किया। नियमानुसार यज्ञ के अश्व को अर्जुंन के नेतृत्व में छोड़ दिया गया। अश्व जहाँ जहाँ जाता अर्जुन अपनी सेना के साथ उसके पीछे-पीछे जाते। इस दौरान यज्ञ का अश्व कई राज्यों से गुजरा जिसमे से कई राज्य के राजाओं ने तो अर्जुन से युद्ध किये बिना ही हस्तिनापुर की आधीनता स्वीकार कर ली और जिसने ऐसा नहीं किया उसे अर्जुन ने युद्ध में परास्त कर अपने अधीन कर लिया।

 

अर्जुन और पुत्र बभ्रुवाहन का युद्ध

 

 

 

इसी क्रम में अश्वमेघ यज्ञ का अश्व एक दिन मणिपुर पहुंचा। उस समय मणिपुर का राजा अर्जुन और चित्रांगदा का पुत्र बभ्रुवाहन था। बभ्रुवाहन ने जब ये सुना की उसके पिता अर्जुन उसके राज्य में पधारे है तो वह उनके स्वागत के लिए राज्य की सीमा पर जा पहुंचा। और अपने पिता अर्जुन को देखते ही वह उनके स्वागत के लिए आगे बढ़ा लेकिन अर्जुन ने उसे रोक दिया। अर्जुन ने बभ्रुवाहन से कहा की मैं इस समय तुम्हारा पिता नहीं हूँ बल्कि हस्तिनापुर नरेश का प्रतिनिधि हूँ इसलिए क्षत्रिय नियमानुसार तुम्हे इस समय मुझसे से युद्ध करना चाहिए। उसी समय अर्जुन की दूसरी पत्नी उलूपी वहां आ गई और बभ्रुवाहन से बोली कि हे पुत्र तुम्हे अपने पिता के साथ युद्ध करना चाहिए, अगर तुम युद्ध नहीं करोगे तो ये तुम्हारे पिता का अपमान होगा। माता की आज्ञा पाते ही बभ्रुवाहन युद्ध के लिए तैयार हो गया। इसके बाद अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच घोर युद्ध हुआ।

 

बेटे के हाथों आई अर्जुन की मृत्यु तो मुस्कुराने लगी देवी गंगा..क्यों ?

 

 

 

 

 

काफी समय तक युद्ध चलने के बाद जब कोई परिणाम नहीं निकला तो बभ्रुवाहन ने कामाख्या देवी से प्राप्त दिव्य बाण से अर्जन पर प्रहार किया जिससे अर्जुन का सर धड़ से अलग हो गया। यह देख हस्तिनापुर की सेना में सन्नाटा पसर गया क्यूंकि युद्ध में बभ्रुवाहन ने अर्जुन से पहले भीम को भी परास्त कर दिया था। इधर यह बात जब श्री कृष्ण को पता चला तो वो तत्काल द्वारका से मणिपुर के लिए निकल पड़े। उधर अर्जुन की माता कुंती भी अर्जुन की मृत्यु की खबर सुनकर मणिपुर के लिए निकल पड़ी। मणिपुर पहुंचकर अर्जुन को धरती पड़ा देख श्री कृष्ण को गहरा आघात लगा। तभी श्री कृष्ण ने देखा की देवी गंगा अर्जुन की मृत्यु पर मुस्कुरा रही है। इतने में ही कुंती भी वहां पहुंच गयी और अपने पुत्र के शव को गोद में रखकर विलाप करने लगी।

 

कुंती का विलाप

 

 

 

 

कुंती को विलाप करता देख देवी गंगा से रहा नहीं गया और वह कुंती से बोली -हे कुंती तुम व्यर्थ में रो रही हो क्यूंकि तुम्हारे पुत्र अर्जुन को उसके कर्मो का फल मिला है। मेरा पुत्र भीष्म इसे अपने पुत्र की तरह स्नेह करता था फिर भी इसने शिखंडी का सहारा लेकर मेरे पुत्र भीष्म का वध कर डाला। मैं भी उस समय ऐसे ही रोई थी जैसे तुम आज अपने पुत्र के लिए रो रही हो। मैंने अपने पुत्र के वध का बदला ले लिया। क्यूंकि जिस कामाख्या देवी के बाण से बभ्रुवाहन ने अर्जुन का सिर धड़ से अलग किया है वो मेरे द्वारा ही प्रदान किया गया था।

देवी गंगा के मुख से बदले की बाते सुनकर श्री कृष्ण हैरान हो गए। और बोले- हे देवी आप किस बदले की बात कर रही हैं ,आप किस किस से बदला लेंगी। अर्जुन की माता कुंती से या फिर अर्जुन से, आप एक माता से प्रतिशोध कैसे ले सकती है। तब देवी गंगा ने कृष्ण से कहा हे वासुदेव ये तो आप जानते ही हो की अर्जुन ने उस समय मेरे पुत्र का वध किया जब वो निहत्था था। अर्जुन का ऐसा करना जब उचित था तो अर्जुन का वध उसी के पुत्र द्वारा करा कर मैंने क्या गलत किया।

 

 

Total Samachar TOP 5 खतरनाक जंगल की सैर…

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TOP 5 खतरनाक जंगल की सैर

 

 

 

 

आईये आज हम आपको एक ऐसे जगह की सैर कराते हैं जहां पग पग पर खतरा मडंरा रहा होता हैं। जहां दिन रात खतरनाक जीव जन्तु विचरण कर रहे होते हैं। जहां एक शिकारी दूसरे शिकारी को मात देने के लिये लगातार चौकन्ना रहता हैं। इस इलाके में शिकारी भी जीव और शिकार भी जीव ही रहता हैं। अब तो आप लोग समझ ही गये होगें। जी हां हम लोग बात कर रहे हैं देश के Forest के बारे में। आईये आज आप को अपने साथ लिये चलते हैं India के Top 5 Forest की सैर पर… जहां पर आप लोग न सिर्फ जंगल की सैर करेगें बल्कि उसके बारे में कई रोचक बातें भी जानेगें। तो फिर देर किस बात की निकल पड़ते हैं जंगलों की सैर पर।

 

सबसे पहले आप को कुछ बातें बताते हुए जंगल की सैर को आगे बढ़ाते हैं। जिससे उत्सुकता भी बनी रहेगी। आप सब जानते हैं कि पृथ्वी में अगर जिंदा रहना है तो जंगल भी बेहद ही जरूरी है। लेकिन दोस्तों हमारे देश में ही  ऐसे ऐसे जंगल मौजूद हैं जो बेहद ही खतरनाक और रहस्यमई माने जाते हैं। अब हम आ पहुचे हैं सबसे पहले India के सबसे खतरनाक Forest सुन्दर वन में

 

1…… सुन्दरवन का जंगल, पश्चिम बंगाल..

दोस्तों यहां घुमते वक्त बहुत सावधानी की जरूरत होती हैं। क्यों कि यह जंगल भारत के सबसे खतरनाक जंगल में से सबसे खतरनाक है और यह हमारे इस लिस्ट में सबसे टॉप पर भी है ।सुंदरवन का जंगल भारत का सबसे बड़ा और खतरनाक जंगल के रूप में जाना जाता है। सुंदरवन का जंगल भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है, जो कि गंगा नदी के डेल्टा पर स्थित है। जंगल का क्षेत्रफल 1330 km2 है। यह जंगल रॉयल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध है।  जानकारी के लिए बता दें कि यहां खारे पानी के मगरमच्छ भी पाए जाते हैं। सुंदरवन का डेल्टा में ही गंगा ब्रह्मपुत्र पद्मा और मेघना नदी जैसी नदियां आकर समुद्र में मिलती हैं। सुंदरवन का जंगल भारत और बांग्लादेश 2 देशों में पड़ता है. यहां की जमीन बड़ी ही दलदली है और यहां पर दुनिया का सबसे हरा भरा जंगल भी मौजूद है।

 

आप सब देश के सबसे बड़े औऱ खतरनाक Forest सुन्दर वन तो घुम लिया इसकी कुछ रोचक जानकारीयां भी आप सब को मिल गई अब चलते हैं देश के दूसरे सबसे बड़े जंगल की तरफ…

 

2……. गिर का जंगल, गुजरात

दोस्तों भारत के सबसे खतरनाक जंगलों के लिस्ट में गिर का जंगल भी शामिल है जो बेहद ही घना और खतरनाक जंगल माना जाता है बता दें कि इस जंगल में लोग जाना बिल्कुल भी नहीं चाहते। गिर का जंगल भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह सोमनाथ से 43 किलोमीटर उत्तर पूर्व की ओर और जूनागढ़ से 60 किलोमीटर दक्षिण पूर्व की ओर स्थित है। इस जंगल का क्षेत्रफल 1,412 km2 है। ये जंगल asiatic lion यानि एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध है। गिर के इस जंगल में से 258 किलो मीटर स्क्वायर का भाग पूरी तरीके से संरक्षित है और 1,153 किलो मीटर स्क्वायर का भाग एक वन्य जीव अभ्यारण्य है। गिर का जंगल विश्व में एकमात्र ऐसा जंगल है  जहां पर एशियाई शेर मिलते हैं।

 

देश के दूसरे सबसे बड़े जंगल के बारे में आप ने जाना। अब नम्बर हैं तीसरे सबसे बड़े जंगल की। तो चलते हैं फिर देर कैसी….

 

3…… खासी के पहाड़ों का जंगल, मेघालय

दोस्तों भारत के सबसे खतरनाक जंगलों के लिस्ट में खांसी के पहाड़ों का जंगल भी शामिल है जो तीसरे नंबर पर आता है यह जंगल इतना खतरनाक है कि अगर आप तस्वीरों में भी देखेंगे तो चौक जाएंगे बता दें कि भारत के मेघालय राज्य में स्थित खासी के पहाड़ों के जंगल वर्षा वन हैं। दक्षिण में स्थित चेरापुंजी की वजह से ये जंगल पूरी तरह से वर्षा की वजह से पूरी तरह भीगा हुआ रहता हैं। खासी के पहाड़ों के उपर बसा ये जंगल maximum 1,978 m की ऊचाई पर बसा हुआ हैं। मेघालय में स्थित जंगल काफी दूर तक और काफी बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं। वैसे भी मेघालय भारत का एक ऐसा राज्य है, जहां पर वहां की कुल भूमि का 75% से भी ज्यादा भाग जंगलों से घिरा हुआ है।

 

कैसा लगा दोस्तो अब तक के जंगलों का सैर। उम्मीद करता हूं कि आप को अब तक की सैर काफी रोमाचिंत की होगी। अब आपने इस Forest के सैर को आगे बढाते हैं। नम्बर देश के 4 नम्बर के जंगल का….

 

4…… नामडाफा जंगल, अरुणांचल प्रदेश

यह जंगल भारत के सबसे खतरनाक जंगलों के लिस्ट में शामिल है जो अरुणाचल प्रदेश में है। नवाड़ा जंगल एक ऐसा घोर जंगल है जो बेहद ही घना और रहस्यमई जंगल है। बता दें कि पूर्वी हिमालय में अरुणाचल प्रदेश में स्थित ये जंगल 1,985 km2 के क्षेत्र में फैला हुआ हैं। ये जंगल भारत के बहुत ही ठन्डे इलाके में स्थित हैं। सदाबहार इस जंगले में ऐसे ऐसे जानवर पाए जाते हैं जो भारत में और कहीं नहीं पाए जाते हैं। इन जंगलों में लाल पांडा, लाल लोमड़ी, लंगूर, बन्दर जैसे जानवर पाए जाते हैं।

 

अब तक आपने देश के 4 बड़े जंगलों की सैर की। अब बारी आ गई हैं पांचवे और इस बार के सैर के अन्तिम पड़ाव की। आईये हमारे इस लिस्ट के अन्तिम जंगल यानि कि पांचवे नम्बर के जंगल की सैर करते हैं।

 

5………. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, उत्तराखंड

दोस्तों यह जंगल भारत का सबसे खतरनाक और सबसे रहस्यमई जंगलों के लिस्ट में पांचवे नम्बर पर आता हैं। उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित जिम कार्बेट 520 km2 के क्षेत्र में फैला हुआ ये जंगल बंगाल टाइगर के लिए प्रसिद्ध हैं। इस जंगल में पीपल, आम के पेड़, साल के पेड़ और 10% का क्षेत्र हरे घास का मैदान हैं। जिम कार्बेट नेशनल पार्क को भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क माना जाता है। 1936 में लुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके बंगाल टाइगर की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था।

 

आज हम लोगों ने India के Top-5  Forest की सैर की। मुझे तोबहुत मजा आया इस सैर में। कई ऐसी जानकारीयां मिली जो की मुझे अब तक नही मालूम थी। मैं तो अपने इस अनुभव को सबके साथ Share जरूर करूगां। जिससे की इस सैर से मिली जानकारीयां ज्यादा से लोगों और बच्चों तक पहुच सकें। उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको भी इस सैर में बहुत आनन्द आया होगा। कुछ अहम जानकारीयां मिली होगी। इस बार की ये सैर यही खत्म होती हैं आगे फिर हम मिलेगें की अलग सैर पर… नमस्कार….

 

अगर आप सब ये सैर और जानकारी अच्छी लगी हो तो आप हमारे इस पोस्ट को लाईक और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। ताकि ये रोचक जानकारी आगे और लोगों तक पहुच सकें।

Total Samachar भारत के TOP 5 चोर बाज़ार…..

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भारत के TOP 5 चोर बाज़ार के…

 

 

 

 

आज हम आपको एक ऐसी जानकारी देगें जिसे सुकर आप हैरान हो जायेगें। आज हम आप को देश के इस 5  जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर नि सिर्फ सूई से लेकर गाड़ी तक हर चीज आसानी से मिल जाती हैं और वो भी बहुत कम दाम में। हां जी हम बताने जा रहे हैं देश के प्रमुख 5 चोर बाजार के बारे में।

 

चलिए तो जानते हैं चोर बाजार की खास बातें.

 

1-मुंबई चोर बाज़ार

मुंबई का चोर बाजार डेढ़ सौ साल पुराना है मुंबई का चोर बाजार पहलेचोर बाज़ार के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां पर लोगों की भीड़ ज्यादा हो जाती है सौर बाजार से इसका चोर बाजार नाम इसलिए रखा क्योंकि आप पर अंग्रेजों ने डुप्लीकेट माल यहां पर बेचते थे मुंबई का चोर बाजार सुबह 11:00 बजे शाम 7:30 बजे तक खुलता है .

 

 

 

 

 

2- दिल्ली का चोर बाज़ार

दिल्ली का चोर बाजार भारत का सबसे पुराना चोर बाजार है। यह मारकर सिर्फ रविवार के दिन ही खुलता है दिल्ली का चोर बाजार पहले लाल किले के पीछे लगता था दिल्ली के चोर बाजार का दूसरा नाम कबाड़ी बाजार है इस बाजार पर आपको इलेक्ट्रॉनिक माल मिलेगा यहां पर खरीदा दारी करते समय एक बात का हमेशा याद रखना सामान की जांच जरूर करने क्योंकि जो दिखता है वह होता नहीं है.

 

 

 

3- उत्तर प्रदेश का चोर बाज़ार

उत्तर प्रदेश के मेरठ में सोती गंज मार्केट की जानी मानी है सोतीगंज मार्केट को गाड़ी के पार्ट्स केंद्र माना जाता है शोध मार्केट में आपको साइकिल से लेकर क्लीन तक सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स मिल जाएंगे सुबह 9:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक खुलती है .

 

 

 

 

4- बेंगलुरु चोर बाज़ार

आपको यहां पर चोरी का हर समान मिलेगा यह बाजार सिर्फ, रविवार के दिन ही खुलता है.

 

 

 

 

 

 

5- चेन्नई चोर बाज़ार

चेन्नई का ऑटो नगर पुरानी चोरी की कारों को बदलने का काम करता है.

मार्केट में हजारों की संख्या में मिलेंगे इनकी खासियत यह है कि यह अपने काम में इतने तेज होते हैं गाड़ी के पार्ट को तेजी से बदल देंगे आपको पता भी नहीं चलेगा यह चेन्नई का चोर बाजार गाड़ियों के पार्ट को बदलने का काम करता है.यह बाजार सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है.

Total Samachar किससे ज्यादा प्यार करती थी द्रोपदी, जानिए महाभारत की अनसुलझे रहस्य…

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महाभारत के अनसुलझे रहस्य… द्रौपदी किससे ज्यादा प्यार करती थी…

 

 

महाभारत दुनिया का सबसे अद्भुत एवं थोड़ा विचित्र ग्रंथ है जिसके सार को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है। महाभारत की द्रोपदी का असली नाम कृष्णा था जो हवन कुंड से प्रकट हुई थी। ज्ञानी बताते है कि द्रोपदी के कारण ही महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ था। द्रोपदी भले ही अपने पांच पतियों के साथ रहती थी परन्तु उसका प्यार सिर्फ एक व्यक्ति ही थे।

द्रोपदी के स्वयंवर को जितने में अर्जुन सफल हो गए थे कहा जाता है कि विवाह से पूर्व द्रोपदी कर्ण को अपना वर बनाना चाहती थी लेकिन द्रोपदी का जन्म कुरु वंश के अंत के लिए ही हुआ था। यदि वह कर्ण से विवाह कर लेती हो महाभारत युद्ध कभी ना हो पाता।

यह बात महाभारत युद्ध से पहले की है जब श्री कृष्ण पांडवों सहित द्रोपदी की परीक्षा लेते है। इस परीक्षा में हर किसी को अपने मन में छिपे राज को कहना होता है जिसमें पांडव समेत द्रोपदी शामिल होती है। पांडवों ने एक एक करके अपने दिल के राज को बया कर दिया और जब द्रोपदी की बारी आयी तो उन्होंने अपने मन की व्यथा खोलते हुए कहा कि पांडवों के अलावा वह कर्ण को चाहती थी परन्तु पिता का सम्मान करने हेतु उन्होंने इस बात को अपने मन में दबा कर रखा था।

 

Total Samachar जानें दुनिया के 5 सबसे बड़े बांध की…

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हैरान करने वाली हकिकत-  दुनिया के इन 5 सबसे बड़े बांध की…

 

 

 

 

 

अगर बाध न होता तो पूरी दुनिया के 60 फिसदी से ज्यादा इलाकों में बिजली नही होती। बाध न सिर्फ हमारी कुछ आवश्यकताओं को पूरा करते हैं बल्कि हमारी सभ्यताओं को भी जिन्दा किये हुए हैं। मानव के अति महत्वपूर्ण अविष्कारों में से एक हैं बाध के निर्माण का अविष्कार। माना जाता रहा हैं कि पहला बाँध सिंधु नदी पर हड़प्पा सभ्यता में बनाया गया था। अगर यह बांध होते तो ये सकता था कि विश्व युद्ध 3 पानी के नाम पर सदियों पहले ही हो गया होता। बाध की वजह से ही हमे न सिर्फ हमें बिजली मिलती हैं बल्कि हमें पानी की किल्लत नही होती। आज हम आपको बताने जा रहे दुनिया के TOP 5  STORNG बांध के बारे में।

  1. करिबा डैम – जिम्बाब्वे – Kariba Dam, Zimbabwe

दुनिया के सबसे बड़े बांध में आकर जिम्बाब्वे में करिबा कण्ठ में बनाया गया है। इसकी कुल क्षमता 185 बिलियन क्यूबिक मीटर है। इस बांध का कुल सतह क्षेत्र 5,580 वर्ग किलोमीटर है और 32 किलोमीटर चौड़ा है।

2 . ब्रात्स्क डैम- रूस – Bratsk Dam, Russia

इसकी क्षमता 170 बिलियन क्यूबिक मीटर है और यह कुल सतह का क्षेत्रफल 5,540 वर्ग किलोमीटर है।

बांध को इरकुत्स्केंर्गो ने बनाया है और इसे बनने में दस साल लगे हैं।

3- अकोसोम्बो डैम-  घाना- Akosombo Dam, Ghana

ये शक्तिशाली डैम वोल्टा नदी के पर बनाया गया हैं।  अकोसोम्बो  155 बिलियन क्यूबिक मीटर की जल धारण क्षमता है। बांध 8,500 वर्ग किलोमीटर के आकार की एक कृत्रिम झील बनाता है। इस बांध की ऊंचाई 134 मीटर है, जिसकी लंबाई 700 मीटर है। अकोसोम्बो बांध की सतह की खुदाई की क्षमता लगभग 12 मिलियन क्यूबिक मीटर है। बांध को बनने में महज 5 साल लगे। यह लगभग 3 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है।

4- डैनियल जॉनसन डैम, कनाडा -Daniel Johnson Dame, Canada

पहले इसे 5 डैम के रूप में जाना जाता था। मैनीकौगन नदी  पर बने इस बांध की क्षमता 140 मिलियन क्यूबिक मीटर है। यह मणिकौगन नदी पर 1,973 वर्ग किलोमीटर के कुल सतह क्षेत्र में बनाया गया है। इसकी कुल लंबाई 1,310 मीटर और 213 मीटर ऊंची है जो 2.2 मिलियन घन मीटर कंक्रीट का उपयोग करके बनाया गया है।

5-गुरी बाँध- वेनेजुएला – Gouri Dam, Venezuela

विश्व का पाँचवाँ सबसे बड़ा बाँध वेनेजुएला में 135 बिलियन क्यूबिक मीटर की क्षमता और 4,000 वर्ग किलोमीटर के कुल सतह क्षेत्र के साथ बनाया गया है। इस तटबंध की ऊंचाई 1,300 मीटर और ऊंचाई 160 मीटर है। वेनेजुएला की बिजली की जरूरत का 60% अकेले गुरी बांध द्वारा पूरा किया जाता है। गुरी बांध का स्वामित्व CVG Electrificacion del Caroni CA के पास है।जिसे एडेलका के नाम से भी जाना जाता है।

Total Samachar एक ऐसी जगह जहां होती हैं चमगादडो की होती हैं पूजा…

 

चमगादड़ों की पूजा

 

 

 

 

आज हम आपको एक ऐसा रहस्य बताने जा रहे हैं जिसे सुन कर आपको एक बार विश्वास नही होगा। जी हां हम बताने जा रहे उस जीव की पूजा के बारे में जिसकी वजह से पूरी दुनिया इस समय कोरोना जैसी महामारी से जुझ रही हैं। हां आपने सही समझा हम बात कर रहे हैं चमगादड की। अभी तक के शोध में तो यही माना गया हैं कि कोरोना वायरस चमगादड की वजह से ही पनपा हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा गांव हैं जहां चमगादड़ों की पूजा की जाती हैं। नही तो हम आपको बताते हैं वैशाली जिले के उस गांव के बारे में जहां के लोगों का मानना हैं कि चमगादड उन्हे किसी भी महामारी से बचाते हैं। ये गांव वैशाली जिलें सरसई नाम से जाना जाता हैं। यहा के लोगों का मानना है कि ये चमगादड़ उन्हें महामारी से बचाते हैं। यहां के लोग चमगादड़ों को ‘ग्राम देवता’ के रूप में मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। वह इन्हें संपन्नता का प्रतीक मानते हैं। उनका मानना है कि जिस इलाके में चमगादड़ निवास करते हैं वहां धन की कोई कमी नहीं होती।

सरसई गांव के लोगों का यह भी मानना है कि यहां निवास करने वाले चमगादड़ उनके पूरे गांव की रक्षा करते हैं और साथ ही उनके ऊपर किसी तरह की विपत्ति नहीं आने देते। यहां तक कि ये उन्हें किसी भी तरह की महामारी से भी बचाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि गांव में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं ताकि सभी काम सही सही हो। इस गांव में सैकड़ों की संख्या में ये चमगादड़ एक तालाब के किनारे पीपल के पेड़ पर और आसपास के अन्य पेड़ों पर निवास करते हैं।

इन चमगादड़ों की वजह से ही यह गांव पूरे इलाके में मशहूर है और लोग दूर-दूर से इन्हें देखने के लिए आते हैं। गांव वालों का कहना है कि अगर रात में कोई बाहरी व्यक्ति इस गांव में आता है तो ये चमगादड़ शोर मचाने लगते हैं जबकि गांव वालों के आने पर ये शांत रहते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि इस गांव में ये चमगादड़ कब से रह रहे हैं लेकिन वह एक कहानी सुनाते हैं, जिसके मुताबिक मध्यकाल में एक बार वैशाली जिले में महामारी फैली थी।  तब ये चमगादड़ कहीं से उड़कर यहां आ गए और फिर यहीं के होकर रह गए। उनका मानना है कि इन चमगादड़ों की वजह से ही यहां कभी महामारी नहीं फैलती।

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