Total Samachar नरोडा गांव नरसंहार मामले में कोर्ट ने सुनाया फैसला

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सत्यम सिंह ठाकुर, गुजरात

  • माया कोडनानी, बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल समेत सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी किया
  • 2002 में गोधरा दंगो के बाद राज्यभर में फैले थे दंगे
  • 28 फरवरी को अहमदाबाद के नरोडा गांव में 11 लोगो को जिंदा जलाया गया था
  • नरोडा गांव हत्याकांड कर 21 साल बाद आया फैसला
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2008 में SIT को केस की जांच सौंपी गई थी

इस मामले की सुनवाई 2009 से शुरु हुई थी. मामले में 187 लोगों से पूछताछ हो हुई. जबकि 57 चश्मदीद के बयान भी दर्ज किए गए थे इस मामले में 13 साल से सुनवाई चल रही थी सितंबर 2017 में अमित शाह माया कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे. माया कोडनानी दंगों के वक्त गुजरात की मोदी सरकार में मंत्री थीं

नरोदा गांव नरसंहार के मामले में आरोपियों पर आईपीसी की धारा 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश, 143 , 147 दंगे, 148, 129 B, 153 के तहत केस चलाया गया

मामले में कुल 86 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 18 लोगों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है।

27 फरवरी को गोधरा में कारसेवकों की ट्रेन के डिब्बे को आग लगाने के बाद दूसरे दिन विश्व हिंदू परिषद द्वारा गुजरात में बंद का ऐलान दिया गया था और उसी दिन नरोड़ा गांव में या दंगे हुए थे

सुबह 9:00 बजे शांतिपूर्ण माहौल था पर अचानक से भीड़ बढ़ने लगी उसके बाद पथराव व आगजनी हुई और अचानक से ही दंगे भड़क गए जिसमें 11 लोगों को जिंदा जलाया गया और नरोड़ा गांव हुए दंगों के बाद ही पूरे राज्य में दंगे फैले जिसके बाद 27 जितने शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा

इससे पहले कोडनानी को विशेष अदालत ने नरोदा पाटिया दंगों के मामले में 28 साल की सजा सुनाई थी. इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि, हाईकोर्ट ने कोडनानी को बरी कर दिया था.

साल 2010 में शुरू हुए मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष ने क्रमशः 187 और 57 गवाहों की जांच की और लगभग 13 साल तक चले इस केस में 6 जजों ने लगातार मामले की सुनवाई की।

माया कोडनानी ने अपने बचाव में कहा था कि सुबह के वक्त वो गुजरात विधानसभा में थीं। वहीं, दोपहर में वे गोधरा ट्रेन हत्याकांड में मारे गए कार सेवकों के शवों को देखने के लिए सिविल अस्पताल पहुंची थीं। जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था।

अमित शाह ने माया कोडनानी के बचाव में कोर्ट के सामने कहा था कि वह 28 फरवरी को सुबह 7:15 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकले थे. सदन की कार्यवाही सुबह 8:30 बजे शुरू होनी थी. उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8.40 बजे माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा. उन्होंने कहा मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हास्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं. इसके बाद 11 बजे से लेकर 11.30 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हास्पिटल में देखा.

माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने एक दिन पहले हुए गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में हत्या के लिए भड़काया. इस हत्याकांड में उग्र भीड़ ने 11 लोगो की हत्या कर दी थी

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